Aadarsh Rathore
सर्दियां फिर आ गई हैं और इसी के साथ मेरे पीजी में रहस्यमयी आवाज़ें आने का सिलसिला शुरु हो गया है. हालांकि ये आवाज़ें हर मौसम में सुनी जा सकती हैं लेकिन इन दिनों इनके आने की क्रम और तीव्रता ज्यादा हो जाते हैं. मेरे पीजी में आने वाली रहस्यमी आवाज़ों और यहां घट चुकी अविश्वसनीय घटनाओं के बारे में मैं आपको पहले ही बता चुका हूं.
क्या मेरे पेइंग गेस्ट में भूत रहते है?
क्या उस पंखे से भूत का कोई संबंध है?
क्या मेरे दरवाज़े पर भूत ने लात मारी थी?
साथ ही मैंने सूझबूझ से काम लेते हुए खोजबीन की और कई बातों की सच्चाई भी पता लगाई थी.
वो भूत है या कुछ और?
मैंने पाया था कि कुछ चीज़ें तो सिर्फ भ्रम मात्र थीं लेकिन कुछ बातें वाकई ऐसी थीं जो आज भी समझ से परे हैं. फिर से कुछ ऐसा हो रहा है जो कि सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर ये मामला क्या है.

बीते दिन, यानी सोमवार को ऐसा ही कुछ मैंने फिर महसूस किया. स्वास्थ्य थोड़ा खराब होने के कारण मैं ऑफिस नहीं जा सका, इसलिए बिस्तर पर ही लेटा हुआ था. 12 बजे दोपहर का समय रहा होगा कि मेरे से ऊपर वाले फ्लोर पर किसी ने दौड़ना शुरु कर दिया. इतनी उछल-कूद मची थी कि पूरी छत और दीवारों में कंपन साफ महसूस किया जा सकता था. आपकी तबीयत खराब हो और ऊपर से कोई शोर करे तो गुस्सा आना लाज़िमी है. गुस्सा आ तो रहा था लेकिन मेरे ऊपर वाले फ्लोर पर रहने वालों से मेरी अच्छी पटती है. इसलिए कुछ बोलना भी सही नहीं था. मैंने सोचा कि मस्ती कर रहे होंगे और थोड़ी देर बाद वो उछल-कूद बंद कर देंगे. लेकिन 15-20 मिनट हो गए और वो उछल-कूद बंद नहीं हुई. मैंने सिर पर तौलिया लपेटा और ऊपर से कंबल ओढ़कर सो गया.

थोड़ी देर बाद वो धमाचौकड़ी बंद हो गई. लेकिन आधे घंटे बाद तो हद ही हो गई, ऊपर से इतनी आवाज़ें आने लगीं कि नींद ही टूट गई. आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया. मैं दनदनता हुआ सीढ़ियां चढ़कर ऊपर गया. गलियारे का दरवाज़ा बंद था. मैंने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया. सामने अंधेरे से गलियारे से होकर मैंने उस कमरे की ओर जाना शुरु कर दिया. ऊपर वाले दोनों कमरों की लाइट्स ऑफ़ थीं. देखा कि पहले वाले कमरे का दरवाजा आधा खुला था, मैं उस कमरे में सीधा घुस गया. देखा कि वहां कोई नहीं है. वहां से बाहर निकला और दो कदम चलकर दूसरे कमरे तक पहुंचा. इस कमरे के ठीक नीचे मेरा कमरा है. मैंने दरवाज़ा ज़ोर से खटखटाया. जब अंदर से कोई हलचल होती नहीं सुनाई पड़ी तो मैंने गुस्से को काबू में रखते हुए व्यंग्यात्मक तरीके से कहा- दरवाज़ा खोलो तो सही भाई!!! अंदर से फिर कोई जवाब नहीं.

एक-डेढ़ मिनट तक मैंने इंतज़ार किया लेकिन दरवाजा नहीं खुला. मैंने ये दरवाजे से कान सटा लिया और सुनने की कोशिश की कि अंदर ये लोग कर क्या रहे हैं. अंदर कुछ फुसफुसाहट सी सुनाई दी. फिर मैंने खटखटाने के लिए कुण्डी (जिसमें ताला लगता है) का सहारा लेनी की सोची. जैसे ही मैंने कुण्डी की तरफ हाथ बढ़ाया, मेरी सांसें थम गईं... दिल पर चेहरे पर आकर धड़कने लगा... शरीर पर ठंडी झुरझुरी सी दौड़ गई... मैंने देखा कि कुण्डी लगी हुई थी और उसपर ताला भी लगा था. यानी उस कमरे में कोई नहीं था. वहां रहने वाले भाई लोग तो ऑफिस गए थे. एकदम से दिल बैठ गया और पल भर में ही मैं भागता हुआ अपने फ्लोर पर आ गया.

पहली बार मैं इतनी तेज़ी से भागा था शायद कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं उस दरवाज़े के पास से अपने फ्लोर की बालकॉनी में आ चुका हूं. शरीर अभी भी कांप रहा था. न तो वो आवाज़ें झूठी थीं, न वो फुसफुसाहट और न ही वो ताला. अगर उस कमरे में कोई नहीं था फिर इतनी ज़ोर से कौन कूद रहा था. कमरे में फुसफुसाहट कैसी थी. उस कमरे में प्रवेश करने का और कोई रास्ता भी नहीं. मैं जल्दी घबराने वालों में से नहीं हूं. खासकर इस तरह भूत-प्रेत की बातों से तो बिल्कुल नहीं घबराता. लेकिन अभी-अभी जो कुछ देखा-सुना था उसने सोचने पर मजबूर कर दिया था. न तो मैं सपना देख रहा था और न ही हकीकत में उस कमरे में कोई था.

आमतौर पर माना जाता है कि जिन जगहों पर इस तरह की आत्मा, भूत-प्रेत जैसी चीज़ें होती हैं वहां पर तापमान में रहस्यमयी ढंग से बदलाव आता है. अक्सर ऐसी जगहों का तापमान बेहद कम होता है. मेरे कमरे की बात करें तो ये कुछ अतिरिक्त ही ठंडा है. आप चाहे सभी दरवाजे बंद कर दो. बाहर से हवा आने की सभी संभावनाएं खत्म कर देने पर भी ये कमरा ठंडा ही रहेगा. यही वजह है कि सर्दियों में ठंड से बचने के लिए अतिरिक्त इंतज़ाम करने पड़ते हैं. बहरहाल, ये तो वो सामान्य सी बातें हैं जो कहीं भी हो सकती हैं. सर्दियां हैं तो ठंड तो होगी ही लेकिन सर्दियों में जिस तरह की अजीब घटनाएं इस जगह पर होती आई हैं, वो सोचने पर मजबूर करती हैं.

ऐसा नहीं कि मैं किसी मनोवैज्ञानिक विकार के कारण ये सब महसूस कर रहा हूं. क्योंकि अकेला मैं ही नहीं जिसने इन रहस्यमयी घटनाओं को महसूस किया है. मेरे रूममेट से लेकर और भी कई लोग रहे हैं जो आश्वस्त होकर कहते हैं कि कुछ तो गड़बड़ है. साथ ही मैं ये दावा भी नहीं कर रहा है कि ये सब काम भूत-प्रेत या आत्माएं कर रही हैं. लेकिन जो कुछ भी कर रहा है वो कोई इंसान तो हरगिज़ नहीं हैं. फिर वो क्या है? इन घटनाओं के पीछे का वैज्ञानिक कारण मैं भी तलाशना चाहता हूं. इस कोशिश में काम भी कर रहा हूं. जिस दिन पता चल जाएगा आपको भी बताउंगा लेकिन फिलहाल ये सब घटनाएं मेरे लिए और पीजी में रहने वाले साथियों के लिए रहस्य ही हैं...


क्रमश:



(सत्य घटनाओं पर आधारित इस सीरीज़ को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
10 Responses
  1. क्या वो फिर से शुरू हो गया। आप वो पी.जी. छोड दो


  2. Yachna Says:

    aap abhi bhi use pg me rehte ho??? well, its always very interesting to read your blogs. waiting for next seg.


  3. This comment has been removed by the author.

  4. भूत-प्रेत कुछ नहीं होते आर्दश जी ये आपका वहम है। मुझे तो लगता है कि कोई शरारत कर रहा है। या फिर कहीं आप ही ये शरारत कर रहे हैं और इस तरह दहशत फैला रहे हैं।


  5. किसी तांत्रिक को बुलवाईए और झाड़फूंक करवाईए। इस तरह से तो वो जगह काफी खतरनाक लग रही है।


  6. सही है महाराज....भूतों का अनुभव मजेदार है


  7. Neha Pathak Says:

    iska vaigyanik kaaran ho sakta hai. agar ye ghatna is mausam mei badh rahi - is mausam mei hava bhi bahut chalti hai. ho saktoi hai ki aapki pg ki building mei hi in aawaazo ko karaan chhupa ho.shaayd building ke material aur hava ke interaction se ye aawaaze aati ho. koi sankri pipe ke kaaran bhi ye ho sakta hai. is tarah se ajeeb aawaaze ana sambhav hai aur sambhav hai ki physics ki gehri jaankari rakhna waala koi vyakti aapko is sateek kaaranbhi de de.

    ye bhi sambhav hai ki koi aapko bevakuf bana raha hai.kahi aas paas chhote bachche to nahi rehte ye upar waali pg mei koi paltu janwar to nahi jo uchhalta koodta ho?

    kahi aapki pg mei koi sandighd kaary to nahi ho rahe baahar se taala laga diya ho taaki sab ko lage ki ghar mei koi nahi hai aur andar kuchh khuraafat ki ja rahi ho...


  8. naresh singh Says:

    भूत प्रेत तभी तक अंधविश्वास है जब तक आप उन्हें देख नहीं लेते है |


  9. भूत प्रेत नहीं होते , वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करें ।


  10. sach much mein wahan par bhoot ho bhi sakte hai ..
    or jaankari ke liye ap mere blog par jaroor aaiye..
    Please visit my blog..

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