Aadarsh Rathore
Humans of New York वाले फटॉग्रफर ब्रैंडन स्टैंटन पिछले दिनों भारत यात्रा पर आए थे। वह हिमाचल प्रदेश भी आए थे और धर्मशाला में ठहरे थे। उन्होंने कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं, जिनमें से ज्यादातर तिब्बतियों की हैं। पेज पर आपको हिमाचल और हिमाचलियों को स्थापित करती कोई भी तस्वीर आपको नहीं मिलेगी।

आखिर क्या वजह रही इसकी? हालांकि ब्रैंडन पर सिलेक्टिव फोटोब्लॉगिंग के आरोप लगते रहे हैं। यानी वे दुनिया के आम आदमियों की सिर्फ वैसी ही तस्वीरें और बातचीत शेयर करते हैं, जो न्यू यॉर्क के लोगों को पसंद आएं। मगर क्या उस पॉइंट ऑफ व्यू से भी हम अपीलिंग नहीं हैं?

शायद नहीं। क्योंकि हमारे पास अपनी संस्कृति के नाम पर रह क्या गया है? हमारा खान-पान, बोल-चाल, रहन-सहन और पहनावा वगैरह सब बदल गया है। हम खुद अपनी पहचान खो चुके हैं। ऐसे में भीड़ में सिर्फ वे लोग ही नजर आते हैं, जो कुछ अलग हों। जैसे तिब्बती। पराये मुल्क में रह रहे है, लेकिन बहुत हद तक वैसे ही, जैसे तिब्बत में रहते थे।

हिमाचल, जो सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध था, आज गुम होता जा रहा है। बाहर से लोग यहां इसका सांस्कृतिक रंग देखने नहीं आते। वे तीन वजहों से आते हैं-

1. हनीमून या छुट्टियां मनाने के लिए
2. चरस और गांजा पीने के लिए
3. तिब्बती/बौद्ध परंपरा को समझने के लिए

अब कुछ किया भी नहीं जा सकता। जिस पथ पर हम आगे बढ़ चुके हैं, वहां से पीछे जाना संभव नहीं है।
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