मैं खुश था कि हिमाचल प्रदेश के नेताओं ने हमें मुफ्तखोरी की आदत नहीं डाली। अब तक बाकी राज्यों की तरह मुफ्त टीवी, साइकल वगैरह के फालतू चीज़ों का लालच देकर कभी वोट नहीं मांगे गए थे। लेकिन इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों में होड़ मची है कि कौन क्या देकर वोटर्स को लुभाता है। कोई लैपटॉप का लालच दे रहा है तो कोई इंडक्शन चूल्हों का।
ये बेहद शर्मनाक है। अरे, बेहतर होता आप ऐसी नीतियों की बात करते जो लोगों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर उठाएं। लोगों को इतना सक्षम बनाया जाए कि वे इन चीज़ों को खुद से खरीद सकें। धिक्कार है इस घटिया राजनीति पर, जहां नेताओं को अपनी काबिलियत पर भरोसा नहीं है। एक बार यह गलत परंपरा शुरू हो गई तो फिर यह खत्म नहीं होगी।
जनता के पास विकल्प भी नहीं है कि वह इस ओछी राजनीति का बहिष्कार करे, क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने सरकारी खजाने को 'मुफ्त' में उड़ाने का वादा किया है। ये चीज़ें असल मुद्दों से भटकाती हैं। इसी वजह से बाकी राज्य गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे हैं। क्योंकि जनता ने कभी असल मुद्दों के आधार पर वोट किया ही नहीं कभी। वे इन मुफ्त के तोहफों पर लार टपकाते नजर आते हैं।
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ये बेहद शर्मनाक है। अरे, बेहतर होता आप ऐसी नीतियों की बात करते जो लोगों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर उठाएं। लोगों को इतना सक्षम बनाया जाए कि वे इन चीज़ों को खुद से खरीद सकें। धिक्कार है इस घटिया राजनीति पर, जहां नेताओं को अपनी काबिलियत पर भरोसा नहीं है। एक बार यह गलत परंपरा शुरू हो गई तो फिर यह खत्म नहीं होगी।
जनता के पास विकल्प भी नहीं है कि वह इस ओछी राजनीति का बहिष्कार करे, क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने सरकारी खजाने को 'मुफ्त' में उड़ाने का वादा किया है। ये चीज़ें असल मुद्दों से भटकाती हैं। इसी वजह से बाकी राज्य गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे हैं। क्योंकि जनता ने कभी असल मुद्दों के आधार पर वोट किया ही नहीं कभी। वे इन मुफ्त के तोहफों पर लार टपकाते नजर आते हैं।
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