फेसबुक पर एक दोस्त ने यू-ट्यूब का लिंक भेजा था। क्लिक किया तो देखा कि उस विडियो में कुछ लड़के गालियां दे रहे थे। कुछ सेकंड बाद समझ आया कि वे लोग महाभारत के एक अंश का मंचन कर रहे हैं। लेकिन इतनी गालियां और अश्लील संवाद कि उफ! 6 मिनट के उस विडियो को 1 मिनट के अंदर ही मैंने बंद कर दिया। समझ नहीं पा रहा था कि बाकायदा माइक लेकर अश्लील और घिनौने संवाद अदा कर रहे उन लोगों का मकसद क्या रहा होगा।
इतने में विडियो के नीचे दी गई जानकारी पर नजर गई। अपलोड करने वाले लिखा था कि कुछ दिन पहले मंडी शहर के एक जाने-माने होटल में आईआईटी मंडी के छात्रों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें इस तरह से एक बेहूदा ड्रामा किया गया। अपलोड करने वाले ने यह भी लिखा था कि उसका मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं है, वह तो बस इस शर्मनाक हरकत को लोगों के सामने लाना चाहता था।
विडियो देखने के बाद यह जानना मुझे सन्न कर गया कि यह हरकत आईआईटी मंडी के छात्रों ने की है। मुझे बहुत दुख पहुंचा। दुख इस बात का कि आखिर हमारे किस दिशा में जा रहे हैं? आईआईटी में पहुंचने वाले छात्रों को एक अलग नजर से देखा जाता है। वह आम छात्रों से हटकर इसलिए भी होते हैं, क्योंकि वे वहां अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर पहुंचे होते हैं। जिस गंभीरता और समर्पण से उन्होंने पढ़ाई की होती है, वह सभी के बस की बात नहीं होती। ऐसे में इन समझदार युवाओं से इस तरह की हरकत की उम्मीद नहीं थी।
उस विडियो को देखकर मुझे बुरा इसलिए नहीं लगा कि उसमें महाभारत के पात्रों का अपमान हुआ। मेरी ‘धार्मिक भावनाओं’ को ठेस भी नहीं पहुंची। अगर यूं ही छोटी-छोटी बातों से किसी की ‘धार्मिक भावना’ को ठेस पहुंचने लग जाए, तो इसके 2 ही मतलब हो सकते हैं। या तो आपके धर्म में कमी है, या फिर आपकी भावना में। इसलिए, मुझे चिंता उन छात्रों के व्यवहार को देखकर हुई। क्या युवाओं का बौद्धिक स्तर इतना गिर गया है, कि वे सही और गलत का फर्क ही न समझ पाएं?
जुए वाले प्रकरण में पांडवों ने सब कुछ हारकर अपनी इज्जत गंवा दी थी। आज उसी घटना का मंचन करते हुए वे छात्र भी मान-मर्यादा हार गए। मंच पर खुलेआम न सिर्फ गालियां दी जा रही थीं, बल्कि मां और बहनों को लेकर ऐसे संवाद कहे जा रहे थे, जिन्हें सुनकर सीने पर वज्रपात होता है। ड्रामा करने का उद्देश्य बेशक मनोरंजन रहा हो, लेकिन क्या इसके लिए अश्लील संवाद जरूरी थे? मुद्दा यह नहीं है कि वह ड्रामा महाभारत से प्रेरित था या रामायण से, प्रश्न यह है कि उसमें फूहड़ता क्यों डाली गई? गालियां समाज का अंग हैं और धार्मिक पात्रों को लेकर अश्लील चुटकुले सुनने-सुनाने वालों की भी कमी नहीं। लेकिन आज तक ऐसा घिनौना वाकया कहीं नहीं घटा था कि इस बौद्धिक दीवालिएपन का प्रदर्शन सार्वजनिक रूप से किया जाए।
इसे बालपन की नासमझी मानना सही नहीं होगा। अगर एक अकेला छात्र ऐसा करता, तो उसे उसकी नासमझी या शरारत समझा जा सकता था। लेकिन यह सब तो बड़े पैमाने पर सामूहिक रूप से हो रहा था। क्या किसी के भी मन पर यह विचार नहीं आया, हम इस तरह की गंदी भाषा सभी के सामने कैसे इस्तेमाल करेंगे? धार्मिक पात्रों को तो छोड़िए, क्या मां-बहन के प्रति अपमानजनक बातें कहते हुए किसी के मन में अपनी मां-बहन का ख्याल नहीं आया? इन फूहड़ता पर ठहाके लगा रहे लोगों की भीड़ में से भी किसी को यह गलत नहीं लगा? मालूम नहीं कि वहां लड़कियां थीं या नहीं, लेकिन अगर वे वहां थीं तो यह और भी शर्मनाक बात है।
हमारा हिमाचल प्रदेश बहुत ही खुले और प्रगतिवादी विचारों वाले लोगों से भरा है। यहां पर छोटी-छोटी बातों पर बाकी जगहों की तरह बवाल नहीं होते। यहां कोई किसी के काम में दखल नहीं देता। न यहां खाप पंचायतों की खप है, न ही धार्मिक रोक-टोक। फिर भी हमारे यहां कुछ मर्यादाएं और सीमाएं हैं। खास बात यह है कि ये मर्यादाएं हम पर किसी और ने नहीं थोपी हैं। इन मर्यादाओं को हमें खुद तय करना होता है और खुद ही इनका पालन भी करना होता है। हिमाचल की तरह की वैचारिक आजादी भारत के किसी दूसरे राज्य में आपको नहीं मिलेगी। लेकिन आजादी का सम्मान करना भी जरूरी होता है। आधुनिक होने का मतलब यह कतई नहीं है कि हम अपनी जड़ों को भूल जाएं।
मुद्दा यह नहीं है कि वे किस संस्थान के छात्र हैं या कहां के रहने वाले हैं। साथ ही यह बात भी मायने नहीं रखती कि गालियां किसे दी गई हैं। बात सीधी सी है कि हमारे बीच में से ही कुछ लोगों ने ऐसा व्यवहार किया है। इसलिए इस मुद्दे पर ओवर रिऐक्ट करने या इसे ज्यादा तूल देने की जरूरत भी नहीं है। सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहते। बेहतर हो कि वे सभी युवा इस घटना के लिए माफी मांगें और गंभीरता से भविष्य निर्माण में जुट जाएं।
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aaka post acha tha nd mujhe bhi badaa khed h ki iit k students ki ye harkat h
1 to ye log iit me aa rhe h or aisaa kaam kr rhe h
isse achaa to mit h jhaan k students mehnut krke bhi kuch kr rhe h
inn bando ko resticate kr denaa chaahiye