Aadarsh Rathore

अब तक आप जान चुके हैं कि पेइंग गेस्ट में किस तरह की घटनाएं हो रही थीं. साल 2011 के मार्च महीने की ही बात है. पुरानी पोस्ट पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें. मेरे पीजी के बगल में ही एक मंदिर है, जिसके बारे में मैं पहले ही बता चुका हूं. वहां पर एक पंडित जी भी हैं जो मंदिर के साथ ही ऊपर की तरफ बने कमरे में अपने परिवार के साथ रहते हैं. एक दिन सुबह मैं मंदिर की तरफ गया तो देखा पंडित जी पीजी में रहने वाले एक लड़के को कुछ बता रहे थे. पंडित जी बता रहे थे कि दिल्ली में अपराधी इस कदर बेखौफ हो चुके हैं बीती रात सामने वाले पार्क में एक लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे. मेरी उत्सुकता जगी तो मैं भी पंडित जी के पास खड़ा होकर सुनने लग गया. बीती रात कुछ इस तरह का वाकया हुआ था.

पंडित जी को रात 2 से 2.30 बजे के करीब पंडित जी को आवाज सुनाई कि कोई मंदिर का दरवाजा खटखटा रहा है. पंडित जी उठे और उन्होंने ऊपर से झांककर देखा. नीचे एक लड़की खड़ी थी जो पागलों की तरह मंदिर का दरवाजा पीट रही थी. उसके चेहरे पर डर के भाव थे और बार-बार वो पार्क की तरफ देख रही थी. वो इतनी बदहवास ही थी कि उसे ये भी ख्याल नहीं रहा था कि दरवाजे पर ताला लगा है. हैरान-परेशान पंडित जी ने ऊपर से पूछा कि क्या हुआ, कौन हो... इस पर लड़की ने ऊपर देखकर कहा कि प्लीज, मुझे बचा लो... कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं.. प्लीज़... पंडित जी ने पार्क की तरफ देखा तो अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दिया. फिर भी उन्होंने यूं ही डंडा उठाया और पार्क की दिशा में चिल्लाते हुए कहने लगे कि भाग जाओ वरना पुलिस को बुला दूंगा. इतने में पंडित जी की धर्मपत्नी भी जग गई थीं. दोनों नीचे उतरे और लड़की के पास गए. उन्होंने देखा कि लड़की का दम चढ़ा हुआ है और वो रोआंसी सी है. पंडिताइन ने पास ही रखे घड़े से पानी का गिलास लड़की को पीने को दिया. उसे इतनी प्यास लगी थी कि एक-एक गिलास करके पूरा घड़ा पी गई.

पंडित जी ने हैरानी भरी हालत में उस लड़की से पूछा कि कौन हो तुम? और इतनी रात को यहां क्या कर रही थी? ये लड़के कौन थे? पंडित जी के सवालों पर लड़की खामोश रही और रोने लगी. जब पंडिताइन ने सहारा दिया और हिम्मत बढ़ाते हुए उससे पूछा तो लड़की ने ये कहानी बताई-

"मैं यही संत नगर में रहती हूं. एक छोटे से शहर (नाम याद नहीं है) से यहां पढ़ने आई थी. गरीब परिवार से हूं तो जैसे-तैसे परिवारवालों ने पढ़ाया ताकि मैं यहां कुछ कमाकर परिवार की मदद कर सकूं. नौकरी के लिए कई दिनों से मैं दर-दर भटक रही हूं लेकिन नौकरी नहीं मिली. यहां मेरी जान-पहचान का एक लड़का है जिसने मुझे अच्छी नौकरी दिलाने का वादा किया. इंटरव्यू के नाम पर आज मुझे उसने एक जगह बुलाया और वहां पर बहुत सारे लोग थे. वहां पर मुझे कुछ ठीक नहीं लगा इसलिए मैंने तबीयत खराब हो जाने का बहाना करके घर जाने की जिद की. इस पर वो सभी लोग एक गाड़ी में बिठाकर मुझे घर छोड़ने के लिए निकले. मैं समझ गई थी कि इनके इरादे ठीक नहीं है. कार में बैठी ही थी कि मेरे साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. लेकिन मैंने गाड़ी की खिड़की का शीशा बंद नहीं होने दिया इसलिए उनमें से किसी की हिम्मत नहीं पड़ी. जैसे ही गाड़ी संत नगर पहुंची तो जो मेरी जान-पहचान का लड़का था उसने हाथ-पकड़ लिया और कहने लगा कि प्लीज आज हमारे साथ चल लो. लेकिन मैं किसी तरह से गाड़ी से भाग निकली और भागते हुए इस गली में आ गई (आपको बता दूं कि हमारे पीजी वाली गली मेन रोड और पार्क की तरफ से पहली गली है). मैंने जब मंदिर का दरवाजा खटखटाना शुरू किया तो वो लोग पार्क में ही रुक गए. वो इधर उजाले में नहीं आने देना चाहते थे. "

इस पर पंडित जी ने कहा कि तुमने पुलिस को फोन क्यों नहीं किया ? इस पर लड़की ने कहा कैसे करूं पुलिस को फोन? मेरा फोन तो हड़बड़ी में गाड़ी में ही रह गया. इस पर लड़की ने फिर से रोना शुरू कर दिया. पंडित जी ने अपनी पत्नी से कहा कि आप चाय बनाकर लाएं. पंडिताइन जी चाय बनाने के लिए ऊपर चली गईं. पंडित जी ने भी लड़की की हिम्मत बढ़ाई और कहा कि कोई बात नहीं, अब तुम यहां सुरक्षित हो. जब काफी देर हो जाने पर भी पंडिताइन चाय लेकर नहीं आईं तो पंडित जी खुद सीढ़ियां चढ़कर देखने चले गए कि क्या बात हो गई. पंडित जी ने 7-8 सीढ़ियां चढ़कर छत पर पहुंचते ही पार्क की तरफ देखा कि कहीं पार्क में वो बदमाश तो नहीं हैं जिनका जिक्र लड़की ने किया है. जब वो संतुष्ट हो गए कि वहां पर कोई नहीं तो उन्होंने यूं ही छत से झांककर एक नजर लड़की की तरफ भी दौड़ाई. वो हैरान रह गए कि जिस जगह पर लड़की बैठी थी, वो खाली है. वो तुरंत दौड़ते हुए नीचे उतरे और देखा कि लड़की का कोई अता-पता नहीं हैं.

पार्क और गली के बीच में कई फीट की रेलिंग लगी थी जिसे वो लड़की पार नहीं कर सकती थी. अगर उसे वहां से जाना होता तो उसी रास्ते से जा सकती थी जिस रास्ते से वो आई थी. अगर ऐसा होता तो 100 मीटर लंबी सड़क को 5-10 सेकेंड में तो "बोल्ट " जैसा रेसर भी पार नहीं कर सकता. पंडित जी ने सोचा कि अजीब लड़की है. जो बिना बताए ही चली गई. पंडित जी भी अपेन कमरे में गए और सो गए.

पंडित जी तो इसे सामान्य घटना मान रहे थे. लेकिन हमारे पेइंग गेस्ट में जैसे ही इस बात की खबर फैली, इसे पीजी में हो रही रहस्यमयी घटनाओं से जोड़ दिया गया. कहीं वो उसी लड़की की आत्मा तो नहीं थी जिसने हमारे पीजी में कथित तौर पर आत्महत्या की थी? कहीं इसी तरह की घटना (जो पंडित जी को मिली लड़की के साथ हुई थी) से परेशान होकर उस लड़की ने आत्महत्या तो नहीं की थी जिसने हमारी पीजी में जान दी थी? सभी को लग रहा था कि वो कोई आत्मा ही थी क्योंकि इतनी रात को कोई लड़की अगर ऐसे हालात में फंसती तो वो बजाए बस्ती के किनारे की तरफ जाने के वो बीच बस्ती की ओर जाती जहां उसे ज्यादा लोग सुन पाते. और अगर वाकई उसके पीछे गुंडे थे तो वो थे कहां? यही नहीं, उसने हमारे पीजी के साथ एक कोने में बने मंदिर को ही क्यों चुना? 5 सेकेंड के अंदर वो लड़की कहां गायब हो गई? कुछ लोगों का कहना है कि क्योंकि वो अच्छा आत्मा थी और खुद पीड़ित थी इसलिए वो मंदिर के पास तक आ गई.

ये कई सारे सवाल हैं जिनका जवाब कोई नहीं दे पाया. लेकिन इस घटना के बाद ये बात पुख्ता हो चली थी कि हो न हो, पीजी में आत्महत्या वाली बात में दम है. इस घटना के बाद एक और ऐसी ही घटना हुई जिससे ये आशंका गहरा गई कि आत्महत्या वाली बात अफवाह नहीं, बल्कि सच्चाई है...
अगली पोस्ट में आपको बताऊंगा कि कैसे मेरे कमरे में आया नया रूममेट भी बना अजीब घटना का गवाह और कैसे एक और एक घटना ने पीजी में रहने वाले शरारती लड़कों की हवा गुम कर दी... कीजिए इंतजार अगली पोस्ट का...

(तस्वीर सिर्फ डेमो के लिए है)
2 Responses
  1. Unknown Says:

    Bhaiya aage kya hua ...


  2. Unknown Says:

    Bhaiya aage kya hua..???