वो सोते रहे
बेसुध होकर
मगर फिर भी
उनके बिस्तर
सरकते रहे
मंजिल की तरफ
खुद-ब-खुद...
और हम!
करते रहे
जी-तोड़ मेहनत
बिन रुके
बिन थके
मगर नतीजा
सिफर...
उधर वो
थकते नहीं
श्रेय देते
मेहनत को
और इधर
फुरसत नहीं
कि कोस सकें
किस्मत को..
बेसुध होकर
मगर फिर भी
उनके बिस्तर
सरकते रहे
मंजिल की तरफ
खुद-ब-खुद...
और हम!
करते रहे
जी-तोड़ मेहनत
बिन रुके
बिन थके
मगर नतीजा
सिफर...
उधर वो
थकते नहीं
श्रेय देते
मेहनत को
और इधर
फुरसत नहीं
कि कोस सकें
किस्मत को..
यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।
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