Aadarsh Rathore
वो सोते रहे
बेसुध होकर
मगर फिर भी
उनके बिस्तर
सरकते रहे
मंजिल की तरफ
खुद-ब-खुद...
और हम!
करते रहे
जी-तोड़ मेहनत
बिन रुके
बिन थके
मगर नतीजा
सिफर...
उधर वो
थकते नहीं
श्रेय देते
मेहनत को
और इधर
फुरसत नहीं
कि कोस सकें
किस्मत को..
2 Responses
  1. यथार्थपरक रचना.... हार्दिक बधाई।


  2. Arvind Kumar Says:

    कुछ भी नहीं पढ़ पा रहा इस पोस्ट में. बॉक्स - बॉक्स से दिख रहे हैं. शायद utf-8 (encoding) में बदलने की आवश्कयता है.