तत् त्वं असि / बलराम अग्रवाल
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दरवाजा खुलवाने को घंटी बजी। अन्दर से आवाज आयी—“कौन?”
“दरवाजा खोलके देख!”
“भाई, तू है कौन? यह जाने बिना मैं दरवाजा नहीं खोल सकता!”
“ दरवाजा खोले बिना ...
3 months ago
आदरणीय आदर्श राठौर जी
आपका संगीत सुनकर आनद आया ..पहली बार आपके ब्लॉग तक आना हुआ ..लेकिन सब कुछ सार्थक है आपके ब्लॉग पर आपका आभार हिमाचली संस्कृति को हम सब के साथ साँझा करने के लिए ..मंडयाली का तो में कायल हूँ ..आपका आभार