Aadarsh Rathore
नफरत थी जिससे हद से भी ज्यादा
जाने कब बन बैठा उसी का दीवाना,
पहले बनी खुशी मनाने का ज़रिया
बन गई है अब ग़म भुलाने का बहाना।।

7 Responses
  1. लाजवाब.. चार लाइनों में ही बहुत कुछ कह दिया..


  2. वाह!! बहुत खूब!!


  3. क्यों हो गया ना......

    मैं तो पहले ही जानता था की ये होगा.....

    भैया अब जल्दी से इन चार लाइनो की कहानी पाठकों से सम्मुख प्रस्तुत करो.....


  4. Crazy Codes Says:

    in chaar lino mein hi sab kuchh kah gaye aap... adbhutaas...


  5. Dev Says:

    kam shabdo main bahut kuch bayan kar diya aapne .....


  6. सही है महाराज समझ रहे है


  7. Neha Pathak Says:

    iska mai kya arth nikaaloo?