हिमाचल प्रदेश में लोहड़ी आज मनाई जाती है..। अल सुबह छोटे भाई का बधाई भरा एसएमएस आया..। पुरानी यादें ताज़ा हो गईं.. लोहड़ी के दिन हमारे वहां खिचड़ी बनाई जाती है..। तीन-चार तरह की खिचड़ी... एक सोयाबीन की, एक माह की दाल की, एक चने की और कई बार राजमाह की खिचड़ी...। आहा हा. हा...! घर में ही बना ताज़ा मक्खन, गर्मागर्म देसी घी, दही और दूध... ये सब अनुपूरक होते हैं....। इन सबके बिना खिचड़ी खाने में आनंद भी नहीं आता...। परंपरा ये है कि लोग इस दिन एक दूसरे के घर जाते हैं और खिचड़ी खाते हैं...। इससे आपसी मेल-जोल भी बढ़ता है..., रात को तीन-चार परिवार एक साथ एक जगह मैदान (स्थानीय भाषा में ख्वाड़ा कहते हैं) में इकट्ठा होते हैं, अलाव जलाया जाता है और देर-रात तक पारंपरिक गाने गाकर प्रसन्नता का इज़हार किया जाता है..। इस दौरान कई बार चाय का दौर चलता है, मूंगफली और रेवड़ी भी खाई जाती है..। एक अलग ही मज़ा है इस सब में...
दुर्भाग्य ही है मेरा जो मैं स्वर्ग को छोड़कर यहां दिल्ली में हूं...। वैसे तो मुझे घर की बहुत याद आती है लेकिन त्योहार या फिर किन्ही और खास दिनों में तो मैं बेचैन ही हो जाता हूं..। आज दिन भर मैं घर के बारे में ही सोचता रहा... सोचा था कि मौसी जी के घर जाउंगा और वहीं पर खिचड़ी भी खाउंगा..। लेकिन ऑफिस की व्यस्तता से छुटकारा मिले तब न...! सोचा था कि आज शाही डिनर ही कर लूंगा...। लेकिन देखा तो पर्स खाली हो चुका है...। ओह!!! मुझे तो ख्याल ही नहीं रहा कि धीरे-धीरे करके मैं अपने सारे पैसे खत्म कर चुका हूं। फिर एटीएम गया और 500 रुपये निकालने चाहे.. लेकिन मशीन ने संदेश दिया कि अकाउंट खाली हो चुका है...। धीरे-धीरे पांच-पांच सौ रुपये निकालता रहा और इस बीच पता ही नहीं चला कि अकाउंट खाली हो चुका है...। सैलेरी आने में अभी देर है... और दूसरे अकाउंट का एटीएम दो दिन से मिल नहीं रहा। कहीं रखकर भूल गया हूं...। भारी मन से मैं बाहर निकला... जेबें तलाशने लगा कि शायद कहीं से कोई भूला-बिसरा, पुराना, दो-तीन धुलाई धुल चुका नोट ही निकल आए... लेकिन अफसोस.. किसी पुराने की बिल की लुगदी ही मिली...। आखिरकार जींस की छोटी जेब को टटोला...। पांच रुपये मिल ही गए... दिल को सुकून मिला...। लेकिन इन पांच रुपयों को कहां खर्च करूं, क्या खरीदूं...? शायद इससे कुछ भी न आए...। यही सोचकर मैंने इस पांच रुपये के सिक्के को अपने पर्स में रख लिया... बरकत के रूप में...। सुना है खाली नहीं रखते हैं...
दुर्भाग्य ही है मेरा जो मैं स्वर्ग को छोड़कर यहां दिल्ली में हूं...। वैसे तो मुझे घर की बहुत याद आती है लेकिन त्योहार या फिर किन्ही और खास दिनों में तो मैं बेचैन ही हो जाता हूं..। आज दिन भर मैं घर के बारे में ही सोचता रहा... सोचा था कि मौसी जी के घर जाउंगा और वहीं पर खिचड़ी भी खाउंगा..। लेकिन ऑफिस की व्यस्तता से छुटकारा मिले तब न...! सोचा था कि आज शाही डिनर ही कर लूंगा...। लेकिन देखा तो पर्स खाली हो चुका है...। ओह!!! मुझे तो ख्याल ही नहीं रहा कि धीरे-धीरे करके मैं अपने सारे पैसे खत्म कर चुका हूं। फिर एटीएम गया और 500 रुपये निकालने चाहे.. लेकिन मशीन ने संदेश दिया कि अकाउंट खाली हो चुका है...। धीरे-धीरे पांच-पांच सौ रुपये निकालता रहा और इस बीच पता ही नहीं चला कि अकाउंट खाली हो चुका है...। सैलेरी आने में अभी देर है... और दूसरे अकाउंट का एटीएम दो दिन से मिल नहीं रहा। कहीं रखकर भूल गया हूं...। भारी मन से मैं बाहर निकला... जेबें तलाशने लगा कि शायद कहीं से कोई भूला-बिसरा, पुराना, दो-तीन धुलाई धुल चुका नोट ही निकल आए... लेकिन अफसोस.. किसी पुराने की बिल की लुगदी ही मिली...। आखिरकार जींस की छोटी जेब को टटोला...। पांच रुपये मिल ही गए... दिल को सुकून मिला...। लेकिन इन पांच रुपयों को कहां खर्च करूं, क्या खरीदूं...? शायद इससे कुछ भी न आए...। यही सोचकर मैंने इस पांच रुपये के सिक्के को अपने पर्स में रख लिया... बरकत के रूप में...। सुना है खाली नहीं रखते हैं...
अब क्या कहें...थोड़ा सा तो प्लानिंग करना चहिये.
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ दे देते हैं.
अरे बाबा पहले बताते ना... अजी आज तो लोहडी है, बस एक दो घरो मै जा कर सुंदर मुंदरी गाते तो काम चल जाता अजी लोहडी तो हम भी शान से मांगते थे, ओर आप इस दिन भी....
लोहडी ओर मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ
क्या कर सकते है आमदनी तो रुपय्ये से अठन्नी हो गयी है, और खर्चा अठन्नी से रुपया तो पता कहां से चलेगा. वैसे पांच रुपये भी काफी लकी थे जो जेब खाली कहने का मौका नहीं दिया आपको
कोई बात नहीं शशांक.. हर दिन एक जैसे नहीं होते, मुझे याद कर लियी होता...
मैं तो आख़िरी लाइन तक ये सोच रहा था की इस पाँच रुपये का भूत से कुछ ना कुछ लिंक होगा.....
lohri ke din...jeb mein sirf 5 rupey....hota hai bhai...zindgi mein aise kai mode aayenge. kadvi aur meethi yaaden jeevan kee poonji hoti hai...chalo blog mein is post ke bahane sahaj to liya. kisi khoonte se bandhoge to aisi sitheeti per koi xcuse nahi hoga...
अत्यंत खूबसूरती के साथ भावों को शब्द दिए हैं आपने......
वाह..
सब कुछ अंतर से निकला हुआ प्रतीत होता है.....इस शैली को बरकरार रखिएगा.....
शुभकामनाएँ....