पेन चुराया, पेंसिल चुराई और फिर एक दिन किसी ने मेरा मोबाइल ही चुरा लिया। ऑफिस से घर आते वक्त रास्ते में किसी ने जेब से निकाल लिया। मोबाइल खोने का उतना दुख नहीं हुआ जितना उसमें रक्षित किए महत्वपूर्ण नंबरों के खोने का दुख हुआ। ऐसा लगा कि सारी पूंजी ही लुट गई। पिछले 5 साल से दिल्ली में रहकर कुछ अर्जित किया है तो वो है मित्रधन। अब ऐसे में उनसे संपर्क करने का सूत्र ही खो जाए तो कष्ट होगा ही। लेकिन एक बात है, जिसने भी ये चोरी की है वो ज्यादा दिन नहीं जियेगा। मैं उसे बददुआ नहीं दे रहा, बल्कि मेरी तो इच्छा है कि वो व्यक्ति अपनी निर्धारित उम्र आराम से जिये। लेकिन एक शोध कहता है वो आदमी ज्यादा दिन नहीं जी पाएगा। पीजीआई चंडीगढ़ के कार्डियोलॉजी विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर यशपाल शर्मा ने किया है एक शोध... और उस शोध में सामने आई है ये चौंकाने वाली जानकारी...।
रिसर्च में ये साफ हुआ है कि अगर कोई शख्स किसी तरह का अपराध, भ्रष्टाचार, धोखेबाजी या फिर बेवफाई कर रहा है तो वो खुद अपनी उम्र कम कर रहा है।
ये रिसर्च कहता है कि कोई भी गलत काम करने पर आदमी के अंदर अपराध बोध बना रहता है...। इस भावना के कारण दिमाग पर स्ट्रेस बढ़ जाता है...। इस स्ट्रेस को साइकोसोशल स्ट्रेस कहा जाता है। धीरे-धीरे ये स्ट्रेस दिमाग़ के उस हिस्से (हाइपोथेलमस) पर असर डालता है जो हमारे शरीर के कई एक्शन्स को कंट्रोल करता है...। इस स्ट्रेस की वजह से शरीर में ऐसे हारमोन्स का रिसाव होने लगता है जो शरीर को कमज़ोर कर देते हैं और बुढ़ापा समय से पहले ही आ जाता है...।
मान लीजिए अगर आप किसी को धोखा देते हैं तो आपके मन में कहीं न कहीं इस बात का पछतावा रहता है..। चाहे आपको इस बात का मलाल भी न हो लेकिन कहीं न कहीं ये बात आपके दिमाग पर गुपचुप तरीके से असर डाल रही होती है...। इस तरह का स्ट्रेस बढ़ने से आपकी खूबसूरती पर भी असर पड़ता है..। ये शोध साफ करता है कि भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी वगैरह असामाजिक काम करने से शरीर में असामान्य बदलाव आने लगते हैं... शरीर मे कुछ ऐसे बदलाव आते हैं जिससे दिल बैठना, मानसिक परेशानी, भ्रम या गलतफहमी होना, चिड़चिड़ापन, असामान्य व्यवहार, हाइपरटेंशन से लेकर दिल में दर्द और हार्ट अटैक तक हो सकता है...। इसके अलावा कमजोरी, समय से पहले बालों का सफेद होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने जैसी समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है...। ये सब कुछ होने से शरीर का रक्षा तंत्र इतना कमज़ोर हो जाता है कि आप आसानी से किसी भी वारयल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन का शिकार हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू और एड्स जैसी कई बीमारियां आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं...।
शोध में ये भी साफ हुआ है कि ये असाधारण बीमारी डीएनए को भी प्रभावित करती है जिससे जीन्स भी प्रभावित होते हैं। इस तरह से बीमारियां अगली पीढ़ी में भी हस्तांतरित हो सकती हैं....। इसलिए इस असाधारण और अनोखी बीमारी से बचने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करें....
-कोई भी काम करने से पहले सोच लें
-गहरी सांसें लेकर फैसला करें
-रोज़ाना आत्ममंथन करें
-सामाजिक कार्यों में सहयोग दें
-ज़रूरतमंदों और गरीबों की मदद करें
-योग और ध्यान करें
-साधारण जीवन शैली अपनाएं
-ज्यादा खाना न खाएं
यानी इस स्ट्रेस से बचने के लिए बेईमानी करना छोड़िए और ऐसे काम कीजिए जिससे आपको सुकून मिले। ऐसे काम जो हमारे संस्कार हमें समझाते हैं, पाप के बजाए पुण्य की राह पकड़िए... तभी दीर्घायु हो सकते हैं... अन्यथा जल्दी बूढ़े होकर मरने के लिए तैयार रहिए...
(मूलत: हिमाचल के चिंतपूर्णी से संबंध रखने वाले डॉक्टर यशपाल शर्मा ने और रोचक शोध किया है। वो है खान-पान संबंधी आदत के बारे में। उस बारे में अगली पोस्ट में जानकारी दूंगा)
रिसर्च में ये साफ हुआ है कि अगर कोई शख्स किसी तरह का अपराध, भ्रष्टाचार, धोखेबाजी या फिर बेवफाई कर रहा है तो वो खुद अपनी उम्र कम कर रहा है।
ये रिसर्च कहता है कि कोई भी गलत काम करने पर आदमी के अंदर अपराध बोध बना रहता है...। इस भावना के कारण दिमाग पर स्ट्रेस बढ़ जाता है...। इस स्ट्रेस को साइकोसोशल स्ट्रेस कहा जाता है। धीरे-धीरे ये स्ट्रेस दिमाग़ के उस हिस्से (हाइपोथेलमस) पर असर डालता है जो हमारे शरीर के कई एक्शन्स को कंट्रोल करता है...। इस स्ट्रेस की वजह से शरीर में ऐसे हारमोन्स का रिसाव होने लगता है जो शरीर को कमज़ोर कर देते हैं और बुढ़ापा समय से पहले ही आ जाता है...।
मान लीजिए अगर आप किसी को धोखा देते हैं तो आपके मन में कहीं न कहीं इस बात का पछतावा रहता है..। चाहे आपको इस बात का मलाल भी न हो लेकिन कहीं न कहीं ये बात आपके दिमाग पर गुपचुप तरीके से असर डाल रही होती है...। इस तरह का स्ट्रेस बढ़ने से आपकी खूबसूरती पर भी असर पड़ता है..। ये शोध साफ करता है कि भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी वगैरह असामाजिक काम करने से शरीर में असामान्य बदलाव आने लगते हैं... शरीर मे कुछ ऐसे बदलाव आते हैं जिससे दिल बैठना, मानसिक परेशानी, भ्रम या गलतफहमी होना, चिड़चिड़ापन, असामान्य व्यवहार, हाइपरटेंशन से लेकर दिल में दर्द और हार्ट अटैक तक हो सकता है...। इसके अलावा कमजोरी, समय से पहले बालों का सफेद होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने जैसी समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है...। ये सब कुछ होने से शरीर का रक्षा तंत्र इतना कमज़ोर हो जाता है कि आप आसानी से किसी भी वारयल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन का शिकार हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू और एड्स जैसी कई बीमारियां आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं...।
शोध में ये भी साफ हुआ है कि ये असाधारण बीमारी डीएनए को भी प्रभावित करती है जिससे जीन्स भी प्रभावित होते हैं। इस तरह से बीमारियां अगली पीढ़ी में भी हस्तांतरित हो सकती हैं....। इसलिए इस असाधारण और अनोखी बीमारी से बचने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करें....
-कोई भी काम करने से पहले सोच लें
-गहरी सांसें लेकर फैसला करें
-रोज़ाना आत्ममंथन करें
-सामाजिक कार्यों में सहयोग दें
-ज़रूरतमंदों और गरीबों की मदद करें
-योग और ध्यान करें
-साधारण जीवन शैली अपनाएं
-ज्यादा खाना न खाएं
यानी इस स्ट्रेस से बचने के लिए बेईमानी करना छोड़िए और ऐसे काम कीजिए जिससे आपको सुकून मिले। ऐसे काम जो हमारे संस्कार हमें समझाते हैं, पाप के बजाए पुण्य की राह पकड़िए... तभी दीर्घायु हो सकते हैं... अन्यथा जल्दी बूढ़े होकर मरने के लिए तैयार रहिए...
(मूलत: हिमाचल के चिंतपूर्णी से संबंध रखने वाले डॉक्टर यशपाल शर्मा ने और रोचक शोध किया है। वो है खान-पान संबंधी आदत के बारे में। उस बारे में अगली पोस्ट में जानकारी दूंगा)
भाई जी
संदेश तो बहुत अच्छा है मगर जिस गति से आपके सामान खो रहे हैं, बड़ी चिन्ता सी सताने लग गई है. जरा सतर्क हो जाईये. :)
अरे रूको
मत दो श्राप
जीने दो उसे
देखना एक दिन
उसका भी खून
अवश्य कोई पियेगा।
nice
jai ho !
चलो फोन के साथ-साथ रिसर्च की जानकारी भी मिल गई.. लेकिन जो बात समीर जी ने कही है.. उसका भी ध्यान रखना..
अच्छी पोस्ट लिखी है.संदेश अच्छा है।लेकिन कई बार अपनी ही भूल के कारण भी हम चीजों को खो बैठते हैं।
are adarash bhai tumhara time kharab chal raha hai kisi pandit se jakar milo
यानि लाईफ़ टाईम वैलिडिटी का ..थोडा कम ही फ़ायदा उठा पायेगा ....बेचारा ....
जब सब लोग कह रहे हैं तो एक बार आप अपनी जन्मपत्रिका दिखा ही लीजिए :)
कोई भी गलत काम करनेवाला हमेशा भय भरे माहौल में रहता है .. ऋणात्मक चिंतन करता है .. शरीर पर इसका बुरा प्रभाव स्वाभाविक है .. आपका गुम हुआ मोबाइल हमारे लिए एक बडी सीख देने वाला बन गया !!
aadarsh ji aap yun hi apni vastuyen khote rahiye aur Pyala par Post likhte rahiye....
sundar rachna
अनवरत होती दुखद घटनाएँ......
रोचक व्याख्यान........
महत्वपूर्ण शोध की जानकारी......
और प्रतीक्षा एक और.........
घ.......
लेख की.....
आदर्श जी अल्प मात्रा मे खेद मिश्रित भावो के साथ मैं ये अवश्य कहूँगा की ये घटना पाठकों के लिए बहुत बड़ी जानकारी का सबब बन गयी...बस यूँ ही लेखनी को सक्रिय रखिए.......
फोन खोने का बहुत दुख है। आशा करता हूं कि चोर इस लेख को पढ़े और स्वयं आपका मोबाइल आपके हाथों में सौंप दे।