आभासी पन्नों
आभासी लिखावट
और आभासी शब्दों के बीच
भावनाएं भी आभासी हो गई हैं
निकलती हैं जो दिमाग से
लूटने को छद्म वाहवाही
और 2-4 छद्म टिप्पणियां
टेप दी जाती हैं जो
बिना पढ़े, बिना समझे...
फिर क्यों लिखूं मैं ब्लॉग?
लिख भर देने के लिए
या फिर छलूं खुद को
और करूं बहाना
आत्मसंतुष्टि का...
आभासी लिखावट
और आभासी शब्दों के बीच
भावनाएं भी आभासी हो गई हैं
निकलती हैं जो दिमाग से
लूटने को छद्म वाहवाही
और 2-4 छद्म टिप्पणियां
टेप दी जाती हैं जो
बिना पढ़े, बिना समझे...
फिर क्यों लिखूं मैं ब्लॉग?
लिख भर देने के लिए
या फिर छलूं खुद को
और करूं बहाना
आत्मसंतुष्टि का...
अब इस रचना पर क्या कहें,
टिप्पणी करें तो वो भी संदेह के घेरे में खड़ी हो जाएगी।
तारीफ के भी मायने नहीं रह जाएंगे।
लेकिन हर कोई वैसा नहीं करता जैसा आप सोच रहे हैं।
bhayi maine kaha ka kya likhne ke liye. mat likh
क्या कहूं ????
श्री भगवान उवाच: ब्लॉग लिख कुएं में डाल.
लिखो... एक आग लगाने के लिए
अन्याय के खिलाफ, सच के पक्ष में ...
बेबाकी से...........
ऐसा लिखो कि पढ़ने वाले के कम्प्यूटर में आग लग जाए....
start writing for some cause dear...
Adarsh bhai acha likha hai.
aap bina bataye hi chale gaye. ek baar mil to lete
सही आदर्श जी,
कुछ भी लिख देने से बेहतर है कि कुछ भी न लिखा जाये। आप विराम दीजिए। जब कोई मकसद मिले तभी लिखिए। मैं ब्लॉगिंग में एक साल से ज्यादा से हूं लेकिन आज तक मेरा एक ब्लॉग नहीं है। क्योंकि मुझे मकसद नहीं मिला। और दोस्तों के बीच विशिष्ट दिखने के मकसद से ब्लॉग मैं बनाऊंगा नहीं।
आपने तो सारी कलई खोल दी है।
बधाई!
बताना जरा मुश्किल है।
अरे यार अपने लिये लिखों, जब ब्लाग लिखना
शुरु किया था तो क्या सोच कर किया था कि लोगों को पढ़वाने के लिये लिखोगे
bahut kuchh kah agye aap apni post se
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर
बस, अपनी धुन में, अपने मन की लिखते जाइये ।
श्लाघा या निन्दा से विचलित न होइये, फिर
यह प्रश्न आपको दोबारा न पूछना पड़ेगा ।