इस पोस्ट में गोपाल दास नीरज जी की प्रसिद्ध कविता 'फिर दीप जलेगा' को आपके साथ बांट रहा हूं। वही कविता जिसे पिछली पोस्ट में प्रकाशित किया था, लेकिन इस बार ये नए रूप में है। इस कविता को मैंने अपनी आवाज़ दी है। मित्र अश्विनी कुमार ने कम समय में दृश्यों के अभाव में बड़ी खूबसूरती से इसे संपादित किया है। एक बार अवश्य देखें, सुनें...। और हां प्रतिक्रिया देना न भूलें...
धन्यवाद।
धन्यवाद।
ek achchhi post
वाकई में एक खूबसूरत रचना है और साथ मे आपके मित्र ने उतनी ही खूबसूरती से उसे एडिट किया है....