टूटता था हर बार
टूटते वादे के साथ,
और जु़ड़ भी जाता था कमबख्त,
नए वादे के साथ...
दोस्ती सी हो गई थी
झूठे वादों के साथ,
करता था यकीन उनपर
नेक इरादों के साथ।
जिंदगी की राह में
इक नया ठौर आया,
वादे सब पीछे छूटे
दावों का दौर आया,
सीने में उठता दर्द
है जान लेने पर आमादा,
खोखले दावों से तो बेहतर था
वो झूठा, मगर मीठा वादा...
टूटते वादे के साथ,
और जु़ड़ भी जाता था कमबख्त,
नए वादे के साथ...
दोस्ती सी हो गई थी
झूठे वादों के साथ,
करता था यकीन उनपर
नेक इरादों के साथ।
जिंदगी की राह में
इक नया ठौर आया,
वादे सब पीछे छूटे
दावों का दौर आया,
सीने में उठता दर्द
है जान लेने पर आमादा,
खोखले दावों से तो बेहतर था
वो झूठा, मगर मीठा वादा...
तेरे वादों मे तुझसी कुछ नज़ाकत सी दिख रही है
हैं रु-ब-रु मुझसे, मगर खिलाफत सी दिख रही है
था मुझे गुमा कज़ा तक तेरे साथ होने का
पर आगाज़-ए-मुहबत मे ही तेरी बग़ावत सी दिख रही है
दिल ही बहल जाता, गर तू कर देती एक झूठा मगर मीठा वादा.
जनाब बहुत खूब कहा आपने…..कभी कभी मैं भी लिख लिया करता हूँ….आप ऐसी नॅज़्मो को बराबर नज़र किया कीजिए…..
खोखले दावों से तो बेहतर था
वो झूठा, मगर मीठा वादा...
bahut khoob sundar hai
खोखले दावों से तो बेहतर था
वो झूठा, मगर मीठा वादा...
ehasso ki khubsoorti hai isame....atisundar
भावों को कितनी खूबसूरती से शब्द दिए जा सकते हैं ये आपकी रचना पढ़कर पता चला ….बहुत ही सुंदर लिखा है आदर्श जी आपने
ROCK ON BRO....
Rock on hai ye pyala sabse pyara
Rock on sare blogon se nyara....
nice poem bro....
सही कहा है किसी ने कि इश्क आदमी को शायर बना देता है, कवि बना देता है। कहीं इन लाइनों के पीछे भी वही बात तो नहीं
आपकी रचना भी बहुत मीठी है ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bahut khoob likha hai aapne ...sach methi rachna
बहुत उम्दा भावों की अभिव्यक्ति!!
अच्छा लिखा है
har jhoota magar meetha wada kai khokhle daavo se behtar hai...
meethi kavita... man mitha ho gaya...
आदर्श जी कहा खूब कहा है तेरा झूठा मगर मीठा वादा..वाकई में एक बेहतर रचना लिखी है आपने..बस ऐसे ही लिखते रहिए