कमाल की उठापटक चल रही है आज कल उत्तर प्रदेश की राजनीति में....मायावती बलात्कार पीड़ितों को मुआवज़ा देकर तथाकथित भला काम कर रही थीं। उनके सचिव गांव गांव जाकर हैलीकॉप्टर से लड़कियों औऱ महिलाओं को 25 हज़ार से लेकर 75 हज़ार तक की कीमत अदा माफ करियेगा मुआवज़ा दे रहे थे। इस शुभ काम या कहें कि ज़बान बंद करने की कीमत या ये भी कह सकते है कि बलात्कार पीड़ित महिलाओं के जले पर नमक छिड़कने का भला कर रही थीं। एक तो पहले ही उनके आत्मविश्वास को तोड़ दिया गया औऱ बजाए आरोपियों को मृत्युदंड दिये महिलाओं को पैसे थमा रही हैं। भाई मैं तो इस तरह के मामले पर तालिबान का समर्थन करता हूं कि जब भी उनके राज में कोई पुरुष किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता या बलात्कार करता तो उसको ऐसा दंड दिया जाता था कि फिर कभी वो ये करने के हालत में ही न रहे। मतलब आप समझ गये होंगे। लेकिन भईया ये भारत है हम है सबसे बड़े लोकतंत्र। यहां पर सबको जीने का हक है चाहे वो बलात्कारी हो या बलात्कार पीड़ित। यहां पर किसी भी कत्ल में शामिल मुजरिम को सिवाय कुछ दिन की सज़ा के अलावा कुछ नहीं मिलता। तभी तो आजकल फैशन हो गया है कि पांच पांच सौ में लोगों का मर्डर हो जाता है। क्योंकि कानून कड़ा नहीं है। और अगर कोई ये कहता है कि कानून कड़ा है तो मै बता दूं तो वे दलाल भी तो कानूनविद् है जो ऐसे अपराधियों को छुड़ा लेते है प्रोफेशनल बनकर। खैर मुद्दे से भटक गया था मुद्दा है मायावती के बलात्कार पीड़ित महिलाओं को उनकी कीमत अदा अरे फिर गलती हो गई माफ करियेगा मुआवज़ा देने औऱ इसी मुद्दे पर कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी के बयान के बाद भड़की आग में झुलसे उनके घर औऱ उत्तर प्रदेश की राजनीति की। रीता के बयान को सही नहीं ठहरा रहा हूं ये दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। कार्यकर्ता कह रहे है कि मायावती पर की गई टिप्पणी अशोभनीय थी और बीएसपी कार्यकर्ताओं द्वारा रीता का घर प्रतिशोध की ज्वाला में जल गया तो एक बात मै ऐसे कार्यकर्ताओं को याद दिला दूं कि.......याद दिला दूं कि ये वहीं मायावती हैं जो मुलायम सिंह के खिलाफ बयानबाज़ी में माहिर है। मायावती ने अपने एक बयान में कहा था कि अगर मुलायम की बेटी होती वैसे तो उसकी बेटी है नहीं लेकिन अगर उनके रिश्तेदारी में किसी लड़की का बलात्कार हो जाये तो उन्हें कुछ पैसे दे दे दिये जाये तो कैसा रहेगा। उस वक्त भी वो मुलायम के बलात्कार पीड़ित महिलाओं को पैसे बांटने के मुद्दे पर बोल रही थीं। क्यों उस वक्त बसपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा नहीं भड़का...हां उस वक्त तो खी खी करके हंस रहे होंगे पक्का है। लेकिन अब जब रीता बहुगुणा ने ज़हर उगला तो भड़क गये.. घर फूंक दिया.. जान से मारने की धमकी दी। तो अब क्यों मचा है बवाल। यहीं तो मुद्दा है कि तुम भी बोलो हम भी बोलें देखें कौन बड़ा नेता है।
लघुकथा की भाषिक संरचना / बलराम अग्रवाल
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यह लेख मार्च 2024 में प्रकाशित मेरी आलोचनात्मक पुस्तक 'लघुकथा का साहित्य
दर्शन' में संग्रहीत लेख 'लघुकथा की भाषिक संरचना' का उत्तरांश है। पूर्वांश
के लि...
1 week ago
बडा वही .. जिसके हाथ सत्ता !!
दोनों आग लगायेंगे,
जनता का घर जलाएंगे.
फिर उसी आग में सेंक सेंक के
दोनों रोटी खायेंगे.
Rajniti ki to yahi niyati hai.