राकेश कश्यप
कहते हैं गांधी की धरती गुजरात में शराब पर पाबंदी है... हाल में यहां जिस तरीके से 140 से भी ज्यादा लोगों की जान जहरीली शराब पीन से गई... उससे साफ हो गया है कि राज्य में बापू के मूल्यों की रक्षा की आड़ में शराब की पाबंदी का पाखंड चल रहा है.... पाबंदी के नाम पर गुजरात में चल रहे इस पाखंड को 140 लोगों की मौत से ज्यादा बड़ा प्रमाण नहीं चाहिए... बावजूद इसके इन तस्वीरों को देखिए... सरेआम शराब की तस्करी सीमाएं लांघ रही हैं...
वो भी पुलिस की मौजूदगी में... या यूं कहें कि पुलिस के इशारे पर... हम आपको ये भी बता दें कि इस खेप में 10 से 20 रुपये तक कीमत वाली शराब भी है... मतलब सैकड़ों मौत के बाद भी नशीला ज़हर राज्य की गली गली में पसर रहा है... सब खुलेआम है... और सरकार मौन... हैरत होती है कि पाबंदी के बावजूद राज्य में 140 से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं... और राज्य के मुखिया यानी नरेंद्र मोदी मुंह तक नहीं खोलते... बड़बोलेपन के बेताज बादशाह मोदी मौन हैं.... पाबंदी के पाखंड की पोल क्या खुली गरजने वाले मोदी भीगी बिल्ली बन गए हैं... राजनीति की जंग में अपनी जुबान से विरोधियों को चित करने वाले मोदी... इतने गंभीर मसले पर भी अब तक खामोश हैं...चलिए मान भी लें कि सरकार के लिए पाबंदी पाखंड नहीं... तो भी इस मसले पर उनकी खामोशी का सबब क्या है... कहीं ऐसा तो नहीं मोदी और उनकी सरकार... पाबंदी के पांखड को जारी रखने की फिराक में हैं... ताकि बापू के सो कॉल्ड मूल्यों को बचाये रखने की राजनीति चमकती रहे... और जहां तक सवाल है.. मयकदों के मरने का, तो उसके पीछे तो बदनाम शराब है ही....
4 Responses
  1. ये जो लोग मरे हैं क्या वे दूध के धुले लोग हैं? क्या आपको लगता है कि वे अपराधी नहीं हैं? क्या उनकी मृत्यु पर आंसू बहाना उचित है? क्या कोई चोरी करने जाय और उसे साँप काट दे और वह मर जाय तो उस पर भी रोने का कारण है?


  2. अनुनाद जी, दुनिया के हर कोने में शराब मिलती है। भारत में भी मिलती है, मुद्दा यहां ये है कि शराबबंदी की घोषणा अगर दिखावा मात्र रह जाए तो फायदा क्या? जिनको पीनी है वो तो पिएंगे ही, इसलिए जब विषाक्त शराब उन्हें पीने को मिल रही है तो मरेंगे ही। ऐसी नशाबंदी का क्या लाभ जिसमें तस्करी हो रही है और सभी की नज़रों के सामने काम चल रहा है।


  3. जिस तरह पूरे भारत में शस्त्रों पर पाबन्दी होने के बावजूद भी बड़ी आसानी से अवैध असलहे कोई भी हासिल कर सकता है, हत्या के लिए आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान है उसके बावजूद आये दिन हत्याएं होती रहती हैं तो क्या इसके लिए कभी प्रधानमंत्री या उस राज्य के मुख्यमंत्री को कठघरे में खडा किया जाता है..........यदि नहीं तो फिर क्या मोदी कोई भगवान है जो बैठे- बैठे सबका मन बदल दे कि वे शराब न पियें या शराब न बेचें. शराब की लत एक सामाजिक बुराई है जिसके सामाजिक और आर्थिक पहलू हैं. उन वजहों को समाप्त करने का प्रयास करने के साथ साथ दोषी लोगों को दण्डित चिन्हित कर दण्डित किया जाना चाहिए. सिर्फ मोदी को गाली देने या उसका सर मांगने से यह बुराई समाप्त नहीं हो जाने वाली. इस तरह की दुर्घटनाएं समय समय पर देश के विभिन्न प्रान्तों में होती रही हैं जहाँ के मुख्यमंत्री मोदी नहीं हैं..... आजादी के साठ सालों बाद भी देश में तमाम समस्याए व्याप्त हैं जिनमे से अधिकांश के लिए नेहरु - गाँधी खानदान के प्रधान्मत्रित्व वाली सरकारें दोषी हैं........... क्या उन्हें भी फांसी पर लटकाया जायेगा या सिर्फ मोदी ही सबकी "आँखों का तारा बने रहेंगे".


  4. मोदी के दिमाग में क्या है ये तो वो ही जाने पर शराब पर पाबंदी से कुछ नहीं होगा। जहां तक अवैध शराब की बात है तो वो तो बहुत पहले से बनती थी और लोग पीते भी थे लेकिन पकड़े अब गये जब मौते होने लगी