1.
कह देना बीमार मां से
कि मां!
इस महीने दवा नहीं ला पाऊंगा
थोड़ा सा कष्ट सह लेना
अगले महीने डबल डोज़ ले आऊंगा
जब आएगी
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
2.
मकान मालिक की निगाहों से बचता हुआ
आत्मा को निकलने से रोकता हुआ
आंसुओं को पलकों पर सोखता हुआ
कर रहा हूं उस दिन का इंतज़ार
जब आएगी
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
3.
ठूंठ पर उग आई कोंपले
मुरझा रही हैं धीरे-धीरे,
उम्मीदों की लौ
बुझ रही है धीरे-धीरे
धरे के धरे रह गए सारे सपने
कब आएगी आखिर?
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
कह देना बीमार मां से
कि मां!
इस महीने दवा नहीं ला पाऊंगा
थोड़ा सा कष्ट सह लेना
अगले महीने डबल डोज़ ले आऊंगा
जब आएगी
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
2.
मकान मालिक की निगाहों से बचता हुआ
आत्मा को निकलने से रोकता हुआ
आंसुओं को पलकों पर सोखता हुआ
कर रहा हूं उस दिन का इंतज़ार
जब आएगी
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
3.
ठूंठ पर उग आई कोंपले
मुरझा रही हैं धीरे-धीरे,
उम्मीदों की लौ
बुझ रही है धीरे-धीरे
धरे के धरे रह गए सारे सपने
कब आएगी आखिर?
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह...
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह का इंतजार , इस डर के साथ की कही दिसम्बर ना आ जाए
Good poetry.
बहुत ही भावुक कविता, जिन पर बीतती होगी, उस से पुछे.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
वाकई बंधु ठीक कहा आपने पर कभी न कभी तो आयेगी "दो नही तीन नही नही शायद चार पता नही कितने महीने की इकट्ठी तनख्वाह..."
बहुत खुब!!
मित्र इंतजार करें हो सकता है कि मिल जाए इसी महीने आपकों कम से कम आपकों आपकी दो महीने की तनख्वाह
ha aadarshji ab to sirf dk aas hi baki hai
दो महीने की इकट्ठी तनख्वाह ...कितने ही लोग इस उहा पोह में हैं.
खूब लिखा है .. बहुत बढिया।
बहुत बढिया।मैने देखा है लोगो को दो महिने की इकट्ठी तन्ख्वाह का कई महिने तक़ इंतज़ार करते हुये।बहुत से चेहरे मेरे सामने अभी भी घूम रहे हैं।बहुत ही कड़ुवा सच कह दिया है।
bahut dard hai is kavita me
बेहतरीन...दर्द बांटने से घटता है...
खुशियां बांटने से बढ़ती हैं...
ये वो बेले हैं
जो बेमौसम मुडेर चढ़ती हैं...
bilkul sahi baat kahi hai....aapne.....great yaar
koi umeed nazr nahin aatee,lekin aapka ye dard dekh kar purne din taza ho gaye... ham bhee apne full and finalka intezar hi to kar rahe hain.
"दो महीने की तन्खाह" बहुत खूब.....
दर्द से भडा हुआ....पढ के सिहर गया कि किसी दिन गर ऐसा हुआ तो मै तो खत्म ही हो जाउँगा.
2mahine ki ikkathi tankhvah maa ki dava bhi jaroori marmik likha bhai aapne thanks ashok khatri