Aadarsh Rathore
बचपन में हिन्दी की पाठ्यपुस्तक में इस कविता को पढ़ा था। बड़ी अटपटी सी लगी थी। मैंने इस समझने की बहुत कोशिश की लेकिन समझ नहीं पाया। अध्यापिका जी ने भी गाइड में से रटा सरलार्थ सुना दिया और साथ में टिप्पणी की थी "मुझे लगता है कि इस कविता को प्रकाशित करने के लिए लेखक ने रिश्वत दी होगी"। ये कविता धूमिल जी की है और इसे उनकी आखिरी रचना माना जाता है। मैं अपनी उन अध्यापिका की बातों से ज़रा भी सहमत नहीं। न तो उन्हें धूमिल जी के बारे में कुछ पता था और शायद न हीं इस रचना की गंभीरता का। मैंने इस कविता को कई बार पढ़ा है। मुझे हर बार इसमे नवीनता नज़र आती है। यदि आप इस कविता का सरलार्थ (प्रत्येक पंक्ति का) कर मुझे बताएं तो आपका आभारी रहूंगा।


शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना कि यह
लोहे की आवाज़ है या
मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
का रंग।

लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
घोड़े से पूछो
जिसके मुंह में लगाम है।
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5 Responses
  1. भाई मुझमे तो इतनी सामर्थ नहीं है, छमा करैं
    वीनस केसरी


  2. I guess the poet is asking you to read between the lines.Every line of a poem has a person's agony trying to give words to his/her feelings/sorrow.
    It may be the sound of a sword but also the sound of the human the sword has felled( that's why the colour of blood).
    The maker of fate does not know what the fate would taste/feel like. Just as the taste of iron is known to the horse but not the ironmonger who makes the bit.
    gb


  3. चलिये आप को इस कविता का अर्थ ओर माहनूभव बता देगे, वेसे हमे कविता बहुत सुंदर लगी ओर हर शव्द अपना अलग आर्थ लिये है.आप क धन्यवाद


  4. rachna ki gahanta ki vyakhya karna har kisi ke baski kahan hai.........har shabd aur har pankti ke beech na jaane kya kuch kah diya hai.lajawab rachna.vyakhya karne ki samrthya nhi hai.sirf mahsoos kar sakte hain.


  5. शब्द किस तरह
    कविता बनते हैं
    इसे देखो
    अक्षरों के बीच गिरे हुए
    आदमी को पढ़ो
    --- कुछ कहने से पहले मै आपको बता दूं कि जिस वक्त ये कविता लिखी गई थी उस वक्त धूमिल जी के अंतिम कुछ पल चल रहे थे तो उनकी कविताओं को तरजीह न मिलने को देख या कहें कि उनके मनोभाव को न समझ सकने से वो काफी त्रस्त थे तो उन्होंने दूसरों के सामने खुद के लिए ये रचना की होगी....इस पंक्त की मतलब सहज ही है कि शब्दों का प्रयोग वही होता है पर सही तरीके से सेट करने पर वो कविता का रुप लेते हैं ये कहे कि सही भावार्थ को समझाते हैं। इसीलिए वो खुद को समझने के लिए कहते हैं कि उनकी कवितायें पढ़कर सिर्फ ये मत कहें कि अच्छी है या बढ़िया है पर ये सोचें कि जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है उन शब्दों को कितनी समझ के बाद लिखा गया होगा उसकी कल्पना करें कि कवि ने कितनी गहराई के मनन के बाद ये लिखा होगा इसलिए वो कहते हैं कि अक्षरों के बीत घिरें हुए आदमी को पढ़ो।

    क्या तुमने सुना कि यह
    लोहे की आवाज़ है या
    मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
    का रंग।
    ---यहां पर अवसाद से ग्रस्त होकर उन्होने इस कहानी को आगे का रुप दिया है कि इन कविताओं मे जो मजबूती है लोहे का मतलब है जिस कलम से लिखी गई है ये कविता उसकी निब जो कि स्टील या लोहे कि बनी होती है इसलिए वो लिखते है कि कविता को लोहे की आवाज मत समझो ये मिट्टी में गिरे खून की बूंदों का रंग है मतलब जिस तरह जब मिट्टी पर खून की बूंदे पड़ती है या गिरती है तो वो काली पड़ जाती है जैसे कि किसी स्याह स्याही की छाप से किसी कागज पर अक्षर...उसी तरह मेहनत लोहे की निब नही करती है वो कवि करता है जिसकी खून की बूंदों या कहें कि उसकी मेहनत जो की स्याह रुप लेकर कागज पर लिखता है वो समझों वो रंग देखो....

    लोहे का स्वाद
    लोहार से मत पूछो
    घोड़े से पूछो
    जिसके मुंह में लगाम है।

    -----लोहे का स्वाद से मतलब है जैसा की पहले लिखा है मैने कि उस निब या कहें कलम की मेहनत के लिए उसके लोहार से मत पूछो मतलब उस कलम जिससे कविताओं की रचना हुई है उसके लिए लोहार या कहे कि कलम बनाने वाले के पास मत जाओ..बल्कि उस घोड़े से पूछो जिसके मुंह में लगाम है आप समझ तो गये होंगे अब इसका मतलब ..बिलकुल ठीक समझा लोहे का स्वाद घोड़े से पूछो मतलब कि कलम का कला का स्वाद कविता के रचनाकार से पूछो जो कलम के बिना रह नहीं सकता और कविताये लिखता रहता है मतलब कलम से बंधे हुए कवि से पूछो कि उसका रचना में उसने क्या कहना चाहा है उसका स्वाद उससे पूछों..मतलब कलम एक लगाम की तरह हमेशा कवि के मुंह में रहती है मेरा मतलब हाथ में रहती है।

    मुझे लगता है आपकी इस रहस्यमयी कविता का मतलब आपको पता चल गया होगा अब भी कोई शंका हो तो एक बार और मेरी ये टिप्पणी पढ़कर मेरा मतलब समझे नहीं तो मुझसे पूछें मै समझाने की कोशिश करुंगा। बताईयेगा कि आप संतुष्ठ हुए या नहीं