पिछले साप्ताहिक अवकाश पर कनॉट प्लेस गया था। वापस आते वक्त रीगल के पास ये दृश्य देखने को मिला। मैंने तुरंत मोबाइल निकाला और झट से छायाचित्र खींच लिए...
और इनसे मिलिए, ये हैं टॉमी जी। टॉमी जी मेरे ऑफिस के बाहर रहते हैं। आदमी ने कुत्ता शब्द को गाली बना दिया है। इसलिए मैं इन्हें टॉमी नाम से पुकारता हूं। तो इन टॉमी जी की ख़ासियत ये है कि आपको ये हर बार नई मु्द्रा में सोते हुए मिलेंगे। इनकी मुद्राएं भी अजीबो-गरीब होती हैं। बिल्कुल इंसान की तरह...
थोड़ा और करीब से देख लीजिए...
और इनसे मिलिए, ये हैं टॉमी जी। टॉमी जी मेरे ऑफिस के बाहर रहते हैं। आदमी ने कुत्ता शब्द को गाली बना दिया है। इसलिए मैं इन्हें टॉमी नाम से पुकारता हूं। तो इन टॉमी जी की ख़ासियत ये है कि आपको ये हर बार नई मु्द्रा में सोते हुए मिलेंगे। इनकी मुद्राएं भी अजीबो-गरीब होती हैं। बिल्कुल इंसान की तरह...
थोड़ा और करीब से देख लीजिए...
हम दोनों में कोई विशेष अंतर नहीं है. वैसे वे शायद हम से बेहतर इंसान हैं
"आदमी ने कुत्ता शब्द को गाली बना दिया है।" -- बहुत अच्छा आदर्श जी।
कुत्ता रोया फूटकर यह कैसा जंजाल।
सेवा नमक हराम की करता नमकहलाल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
aadmee se jyaada vafaadaar hai ye tomy...
वाकई तस्वीरें बहुत कुछ बोल रही हैं.
सुन्दर तस्वीरे. कथात्मक
ग्रेट.
आदर्श तुम्हारे अंदर vision है. हम भी इस टोमी को रोज़ देखतें हैं. सही बोल रहे हो तुम, रोज नयी नयी मुद्रा मे सोता है यह.. एक बार तो मैने उसे छिपकली की तरह सोते हुए देखा था. हम खुब हसें थे.. आज ब्लोग पर इसे देख कर खुब मझा आया..
अच्छा तो लिखते ही हो, अच्छा दुरदर्शन भी है..
keep it up.