Aadarsh Rathore
कल ही एक इंग्लिश ब्लॉग पर जाना हुआ। इस वक्त भारत में क्या शायद दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग बन गया है। क्या तो इसके अनुसरणकर्ता और क्या इसके पाठक। इस ब्लॉग को बने हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ लेकिन इसने ये मुकाम हासिल कर लिया। फेक आईपीएल प्लेयर नाम से बना है। यही एक ब्लॉग नहीं है और भी कई ऐसे ब्लॉग हैं जो सुप्रसिद्ध हैं और खासकर युवाओं के बीच। जब मैंने फेक आईपीएल प्लेयर ब्लॉग को देखा तो हैरान रह गया। हालांकि क्रिकेट में लोगों की रुचि होना इस ब्लॉग की प्रसिद्धि का कारण हो सकती है। लेकिन अगर यही ब्लॉग अगर हिन्दी में होता तो क्या यह सफल रहता? हिन्दुस्तान में हिन्दी बोलने वाले लोगों की कमी नहीं लेकिन जाने क्या वजह है कि लोग हिन्दी में लिखना नहीं चाहते। युवा तो वैसे भी आंग्लभाषा से अभिभूत हुए पड़े हैं। हिन्दी बोलना तो वो अपमान समझते हैं। उदाहरण के लिए हिन्दी ब्लॉगजगत में देखें तो युवाओं की संख्या कम है। हालांकि धीरे-धीरे युवा हिन्दी ब्लॉगिंग का रुख कर रहे हैं।



इसके अलावा लोग कहते हैं कि इसके लिए कंप्यूटर में हिन्दी भाषा से संबंधित संसाधनों की कमी होना एक वजह हो। लेकिन शायद इस वजह को मैं जायज़ नहीं मानता। यदि लिखने की ललक हो तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। वैसे भी हिन्दी के लिए पर्याप्त वैकल्पिक टूल्स इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।


हिन्दी ब्लॉगजगत विकासशील है। धीरे-धीरे हिन्दी ब्लॉगिंग भी लोकप्रिय हो रही है। लेकिन एक समस्या विज्ञापनों वाली है।
एक तो गूगल एडसेंस के विज्ञापन हिन्दी ब्लॉग्स पर प्रदर्शित नहीं होते। जो होते हैं वो सार्वजनिक सेवा वाले विज्ञापन होते हैं। और उन पर भी आमदीन बहुत कम है।

इसके अलावा भी हिन्दी ब्लॉगिंग में कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या है लोगों का हिन्दी से हटकर अंग्रेजी की तरफ झुकाव रखना। पहले वाली समस्याओं का निदान तो तकनीक के माध्यम से किया जा सकता है लेकिन इस समस्या का निदान कैसे किया जाए...?
12 Responses
  1. चिंता न करें। इन समस्याओं का निदान भी होगा.
    आभार

    http://satyamkj.blog.com/


  2. Anonymous Says:

    hindi blogger bloging ka matlab kewal un sahitik rachnao ko yahaan publish karna samjhtey haen jo kahin chchapi tee nahin .

    kavita kehani ko baar baar thel kar wo hindi kae str ko upar uthane ki baat kartey haen

    yae bloging nahin haen yae kewal blog ko ek magzine ki tarah istmaal karna haen

    iskae allwaa bahut sae old blogger { age or pehlae aane ki vajah sae } apnme ko hindi blogging ka mahihaa , thaekaedaar samjhtey haen aur ek group banaa kar hindi bloging hindi bloging chilaatey haen
    jabki bloging kii abcd bhi nahin jantey

    आठ मई को इलाहाबाद में हुये ब्लागर समागम http://satyarthmitra.blogspot.com/2009/05/blog-post_09.html

    mae jitnae bhi log they wo sab hindi kae laekhak they blogger kitnae they unmae sae ?? kitno kae blog sakriyae haen jaese is IPL blogger kaa haen

    lekin nahin danka peet peet kar photo chaep kar apne ko blogger ghoshit kartey haen hindi waale


  3. काफी युवा जुड़ते जा रहे हैं. आने वाले वर्षों में हम प्रयास करें की अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित हों. आभार. .


  4. इससे निदान पाने के लिए
    समस्‍याओं की ब्‍लॉगिंग करें


  5. हिन्दी में भी अच्छे ब्लाग हैं। जिस ब्लाग का उल्लेख है वह सिर्फ एक खास वक्त के लिए है। जैसे मेले की नौटंकी के बाहर चाटवाला। मेला गया, नौटंकी गई, चाटवाला गया।
    हिन्दी ब्लागिंग भी नई है और इसका पाठकवर्ग भी सीमित है।

    अभी कुछ वक्त लगेगा। तब तब अच्छे ब्लागों पर विचरण करें। कई लोग हैं जो चुपचाप काम कर रहे हैं।
    जै जै


  6. शुरूआत हो चुकी है .. धीरे धीरे रे मना धीरे सबकुछ होय .. समय आने पर सारी समस्‍याएं समात्‍प होंगी।


  7. बिंदास लिख कर .....ओर सिर्फ मन की लिख कर..
    वैसे अग्ग्रीगेटर का प्रचार ही इसका सबसे अच्छा तरीका है


  8. मैंने देखा है कि कई बार बहुत हल्की रचना पर भी बीस-तीस टिप्पणियाँ आ जाती हैं। लेकिन उनमें से गम्भीर कितनी होती है? इसलिए आप टिप्पणियों की संख्या पर नहीं उनकी सार्थकता को 'पैमाना' मानें। हिन्दी ब्लॉगिंग में कुछ दूसरी तरह की कमियाँ हैं जो समय के साथ ठीक हो जाएँगी, हताश न हों।


  9. Anonymous Says:

    more important is your what you have writeen not hindi english as per my opinion.


  10. Anonymous Says:

    more important is your content not english hindi


  11. प्रिय अनाम मित्र,
    हिन्दी और अंग्रेजी का भेद तो है... हिंदी ब्लॉगिंग अभी रफ्तार पकड़ रही है। और शायद यही एकमात्र वजह है। हिंदी के किसी भी ब्लॉग पर अक्सर 50 से अधिक कमेंट्स नहीं आते, तो क्या इसका ये अर्थ निकाला जाए कि हिन्दी ब्लॉग्स का कंटेट अच्छा नहीं होता?


  12. कंटेंट अच्छा होता है. बिल्कुल अच्छा होता है. मेरा निजी अनुभव कहता है कि खर्च करने के मामले में हम भारतीय विकसित राष्ट्रों से पीछे हैं. मसलन, अगर एक ई-बे का एड दिखा तो शायद ही क्लिक करके उस सामान को खरीद लें. हिंदी ब्लागों में ज्यादातर पाठक भारत के होते हैं. अत: कंपनी अगर अपने एड हिंदी ब्लागों में देगी भी तो उसे उतना फ़ायदा नही होगा. मेरी साइट के विजिटर्स भी भारत से हैं. कई एड नेटवर्कों से मुझे इसी वजह से नाता तोड़ना पड़ा.

    अगर हिंदी ब्लागों में एडवर्टाइजमेंट्स की बहार लानी है तो हमें अपने जेबों में भी बहार लानी होगी. यानी कि क्रय शक्ति बढ़ानी होगी.