पिछले साल अक्तूबर में ये प्याला अस्तित्व में आया था। आज लगभग 6 महीने पूरे होने को हैं। चिट्ठाजगत पर रजिस्टर्ड करीब सात हज़ार ब्लॉग्स में से इसका सक्रियता क्रम 275 है। बिना किसी गुटबाज़ी के (जैसा कि ब्लॉगजगत पर चर्चा है) इस स्तर पर पहुंचने पर खुश हूं। इसके लिए उन सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं जो मेरे ब्लॉग पर आते हैं और मेरी किसी भी पोस्ट को पढ़कर उत्साहवर्धन करते हैं। दरअसल ये प्याला मेरे लिए बहुत मायने रखता है। जब भी मेरा मन करता है कुछ कहने को मैं उसे इस प्याले में डाल देता हूं। अपने अनुभव, विचार, भावनाएं, कल्पनाएं सभी इस प्याले के ज़रिए एक्सप्रेस करता हूं। व्यस्तता के इस आलम में दोस्तों के बीच बैठने का समय कम ही मिल पाता है। कभी उन्हें समय नहीं होता कभी हमें नहीं। इसलिए एक प्याला ही माध्यम है दोस्तो से संपर्क करने का। मैंने इस प्याले को कभी सीमाओं में नहीं बांधा। मैंने कभी नहीं सोचा कि इसमें धीर-गंभीर पोस्ट्स डालकर एक स्तर बनाऊं। मैंने इसमें बनावटीपन नहीं रखा। आदमी के मन में दिन भर कई तरह के विचार आते हैं, कुछ उत्कृष्ठ होते हैं, कुछ सामान्य को कई बहुत ही बचकाने से। मैं इसमें हर उस विचार को डालता हूं जो मुझे अलग लगता है। कई दोस्त मुझसे कहते हैं कि आदर्श प्याले की गंभीरता नष्ट हो रही है। इसका कंटेट लेवल उस स्तर का नहीं है जिसका होना चाहिए। तो मैं दोस्तो को कहता हूं कि मुझे अपनी लेखन कला का लोहा नहीं मनवाना है और न ही मैं किसी विषय पर निरर्थक बहस छेड़ना चाहता हूं। समाज को सुधारने आदि का भाषण देना भी मेरे बस की बात नहीं। मेरा मकसद तो आत्म अभिव्यक्तिकरण करना है। और अगर उसमें कोई धीर-गंभीर बात आती है तो उससे मुझे कोई गुरेज नहीं। प्याले की शुरुआत विवादास्पद रही थी। मैंने इसकी पहली कुछ पोस्ट्स बहुत उग्र डाली थीं। हालांकि वो सच थीं लेकिन किसी कारण मुझे बाद में हटानी पड़ीं। लेकिन आज प्याला निरंतर आगे बढ़ रहा है। मेरी कोशिश रहेगी कि इसको इसके नाम जैसा ही बनाऊं। एक प्याला, जो जिंदगी के रंगों से भरा है...
धन्यवाद।
धन्यवाद।
आप का ये प्याला हमेशा यूँ ही छलकता रहे ये ही कामना है...महीने दर महीने....साल दर साल...
नीरज
Shubhkaamnayen...man ke pyale ko yun hi chhalkaye aage badhte rahiye..
आप जोशीले और सिद्धाँत प्रिय नौजवान हैं । साफ़गोई से बातें कहने की खूबी के चलते आपसे काफ़ी उम्मीदें हैं । ऎसे में आप जज़्बात की बजाय जज़्बे को तरजीह दें तो बेहतर रहेगा ।
apne is pyale ke blog par achchi achchi posto ki tea banakar hame pilate rahiye aapke blog par pahli baar aakar achcha laga
keep on writing................
पिछले साल ही जब से आदर्श ने प्याला शुरू किया है मैंने भी एक-दो ब्लॉग (अपनी ख्वाहिश, ज़िंदगी आदि) के नाम रजिस्टर किए थे। लेकिन, कुछ ख़ास लिख नहीं सका। अब वक़्त की कमी या फिर घर में इंटरनेट कनेक्शन की अनुपलब्धता का रोना रोकर खुद को डिफेंड नहीं करूंगा। ऐसा मान लीजिए कि थोड़ा आलसी हो गया था इस मामले में। दरअसल ऑफिस में लिखना नहीं चाहता था, सायबर कैफे जाना नहीं चाहता था और घर में नेट था नहीं। भड़ास ब्लॉग की मेंबरशिप ली थी तो कभी-कभार उसमें लिखता रहता था। लेकिन वाकई प्याला में आदर्श की सतत सक्रियता इस बात का प्रमाण है कि कोशिशें किस तरह प्याले को भरती हैं (चाहे वो ब्लॉग हो या फिर ज़िंदगी का प्याला)। बहरहाल.....शुभकामनाएं....कीप इट अप...