तत् त्वं असि / बलराम अग्रवाल
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दरवाजा खुलवाने को घंटी बजी। अन्दर से आवाज आयी—“कौन?”
“दरवाजा खोलके देख!”
“भाई, तू है कौन? यह जाने बिना मैं दरवाजा नहीं खोल सकता!”
“ दरवाजा खोले बिना ...
3 months ago
bahut sunder lines bhi aur chitra bhi,zindagi har pal man marzi jina waah.
आपका ये चित्र बहुत पसंद आया मुझे
ये चित्र आपने बनाया है? अगर हां तो बेहद सुंदर है.
अंकुर सिर्फ पंक्तियां मेरी हैं,
चित्र तो गूगल से लिया है।
आदर्श जी, फोटो भले ही गूगल से लिया हो लेकिन लाइनें बड़ी जोरदार हैं, जिन्दगी को इसी अंदाज में जिया जाए तभी जीने का मजा है...
or kai tippani
nicw bloging sir