ये है खुद को "सेक्युलर" कहाने वाले परिवार का "हिन्दू" बेटा। वरुण गांधी, जिसने पीलीभीत में अपने हिन्दू होने का सबूत दिया। ये शख्स उन लोगों में से एक है जो राष्ट्रविरोधियों को टरटराने का मौका देते हैं। ऐसी ही करतूतों की वजह से छद्म सेक्युलर लोग भारत पर उंगली उठाते हैं। अगर उसके भाषण की रिकॉर्डिंग किसी मुस्लिम को सुना दी जाए तो वह निश्चित ही हिन्दू विरोधी हो जाएगा। इन दिनों वरुण खुद को सच्चा हिन्दू साबित करने में जुटा है। इसीलिए उसने ये उग्र भाषण दिया। विदेशों में पले-बढ़े और पढ़े-लिखे ये आधे अंग्रेज़ क्या समझेंगे धर्म को। कम से कम राहुल गांधी साल भर सक्रिय तो रहते हैं। ड्रामा ही सही लेकिन लोगों से मिलते जुलते तो हैं। लेकिन वरुण जैसे बरसाती मेंढक जो यूं तो शीत निद्रा में रहते हैं, चुनावी मौसम आते ही आ जाते हैं टरटराने के लिए। पशु अधिकारों के लिए हो हल्ला मचाने वाली मेनका गांधी अपने बेटे को ये नहीं सिखा सकीं कि मानव के अधिकार क्या हैं। लगता है बात-बात पर ड्रामा करने वाली मेनका का पशु प्रेम तो विदेश से आने वाले पैसे और सहायता के लिए है। हमेशा विवादों से घिरी रहने वाली मेनका गांधी, जिस पर कभी व्यापारियों से भैंसे छीनकर गांवो में बंटवाने और कभी आईएएस और पुलिस अधिकारियों से दुर्व्यवहार के आरोप लगते रहते हैं, एक बेहतरीन अदाकारा है। वैसा ही है उनका बेटा वरुण गांधी, जिसे उसकी मां ने ये नहीं सिखाया कि बेटा मानव जाति की भी इज्जत करनी चाहिए। तभी तो पीलीभीत में उसने वो काम किया जिसने राजनीति को शर्मसार कर दिया है। एक ऐसा भड़काऊ भाषण, जैसा आज तक मैंने कभी सुना। मैंने प्रवीण तोगड़िया को भी सुना है, लेकिन जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल वरुण गांधी ने किया है वो वाकई शर्मनाक है। बीजेपी को भी शर्म आनी चाहिए। अगर पार्टी नेताओं में कुछ भी नैतिकता बाकी हो तो वरुण का टिकट काट देना चाहिए। हालांकि वरुण अकेला नहीं जो है इस तरह का भाषण देता है। हर पार्टी के नेता ऐसा करते हैं और हर समुदाय के बीच जाकर ऐसा कहते हैं। लेकिन अगर कोई शख्स बेपर्दा हो गया है तो क्यों न उसे उचित सज़ा दी जाए। चुनाव आयोग के पास कोई ऐसा अधिकार होना चाहिए जो उम्मीदवारी को ही रद्द कर दे। नहीं तो यही हाल रहे तो देश यूं ही आतंक का शिकार होता रहेगा। धिक्कार है री ओछी राजनीति तुझ पर... और हम पर भी जो हर बार इस राजनीति का शिकार बन जाते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ चाह कर भी नहीं कर पाते। है किसी के पास कोई हल?
लघुकथा की भाषिक संरचना / बलराम अग्रवाल
-
यह लेख मार्च 2024 में प्रकाशित मेरी आलोचनात्मक पुस्तक 'लघुकथा का साहित्य
दर्शन' में संग्रहीत लेख 'लघुकथा की भाषिक संरचना' का उत्तरांश है। पूर्वांश
के लि...
2 weeks ago
Varun ne kaha kya is se anbhigy hun,isliye lekh padhkar koi raay na bana paayi.
वही वरुण अब चुनाव आयोग को सफाई दे रहे हैं कि उन्हों ने कुछ नहीं कहा सीडी से छेड़छाड़ हुई है।
आप का आलेख सराहनीय है।
आदर्श जी, आपका कहना बिल्कुल ठीक है...मुझे तो यही समझ नहीं आया कि बीजेपी ने वरुण को टिकट आखिर किस बेस पर दिया है...लगता है उन्हें मेनका गांधी का बेटा होने का पुरस्कार मिला है..क्योंकि मेरी जानकारी में तो उन्होंने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया जो उन्हें भारतीय राजनीति में कोई मुकाम दिला सके...राहुल गांधी से तो उनकी तुलना ही बेमानी है...बढ़िया लेख।
pahle ye varun ye to samjhe ki bharteeyta kya hai ...chale hain bhaashan dene
ये जनाब पिछले ५ सालों से राजनीति में सक्रिय हैं , हर चुनावी मौसम में प्रचार करते पाए जाते हैं स्टार प्रचारक के रूप में और अब खुद को भाजपा में उभारने की कोशिश में हैं
ये भाषण उसी कोशिश का हिस्सा है
शर्मनाक !
न जाने क्या देख कर भाजपा ने इन्हें उम्मीदवार बनाया था
राहूल से वरूण की तुलना बेकार है, क्योंकि राहूल पर न तो इतना लिखा जा सकता है ना कार्टून बन सकते है न उसे मीडिया में कवरेज मिलती है.
सब वरूण की चाल में फँस गए बन्धू... :)
bahut khub! bahut khub!bahut khub!
भारत में भ्रष्टाचार का एक और कारण है. हर बड़ा नेता जब फ़ंसता है तो उसे निचली अदालत सजा सुना देती है पर ऊपरी अदालत छॊड़ देती है. अरे भई जब सब वरुण की इतनी निन्दा हो रही हैं तो उसे जमानत क्यों मिल गई. और उसका ये सब कहा जाना इस बात का संकेत करता है कि वो हिंदू मुस्लिम दंगे करवाने में सक्षम है.
मुझे दो दोनो ही कलंक लगते है इस देश पर.
भैया, मैने बीजेपी के आई टी विजन के बारे में एक पोस्ट लिखी है. एक बार पढियेगा जरूर. उसमें सवाल यही है कि जाति धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले जब २१वीं सदी की बातें करें तो अटपटा लगता है. http://ankurthoughts.blogspot.com
अगर मैं ये कहूं कि वरुण गांधी ने जो कुछ किया वो सही है तो शायद गलत होगा लेकिन सिर्फ वरुण ही गलत क्यों .....सच्चर कमेटी के माध्यम से या धर्म निरपेक्षता के नाम पर जो कुछ भी कांग्रेस,आरजेडी,समाजवादी पार्टी और ढेरों नाम हैं....करते आ हैं....कर रहे हैं.....वो भी गलत है....वरुण गांधी ने जो भी कहा मानवता के लिहाज़ से गलत है...धर्म निरपेक्षता की दृष्टि से गलत है....लेकिन आज किसी एक राजनेता का नाम बता दीजिए....जो आपको सही लगता हो.....मुझे तो कोई नहीं दिखता....हमाम में सभी नंगे हैं.....जिनके तन पर कुच भी नहीं....जो है वो दिकता भले हो...पर है नहीं.....
क्षितिज
वैसे तो अपने देश कों छोड़ कर विदेश जाने वाले लोगो के पक्ष में नहीं हूँ पर फिर भी कहना चाहूंगी.
जे.आर.डी. टाटा भी विदेश में पले-बढे थे, फिर भी उन्होंने ने भारत और भारतीयता कों बहुत कुछ दिया था..................
बात विदेशी लालन पालन से अधिक छोटी सोच की है.
and rahul gandhi rocks!