पिछले दिनों से आसपास कुछ ऐसा माहौल बन रहा है कि नकारात्मकता के दौर से भरा जा रहा हूं। हर वक्त एक बोझ सा रहता है। मन में भार सा रहता है, बहका-बहका सा रहता हूं। निराशावादी विचारों से मन भरा है। आत्मविश्वास खोता जा रहा हूं। कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है। अपनी प्रकृति के ठीक विपरीत अंतर्मुखी होता जा रहा हूं। पहले एक समय था जब भावनाओं पर नियंत्रण रहता था। इस तरह का दौर कई बार आया लेकिन एक या दो दिन से ज्यादा नहीं ठहरा। लेकिन इस बार दो सप्ताह से ज्यादा समय से इसी तरह की मानसिक उठा-पठक के दौर से गुज़र रहा हूं। पहले रो लेता था तो मन हल्का हो जाता है, अब तो कमबख्त रोया भी नहीं जाता। किसी से बात करने का भी मन नहीं करता। चिड़चिड़ा हो गया हूं। कार्यालय से सीधे अपने निवासस्थल जाता हूं और निवास स्थल से सीधे ऑफिस... चाहकर भी इस दिनचर्या के अलावा और कुछ नहीं कर पाता। उफ............. क गैटिdfgsdfgsdfg;ldfkl;sadkf
asdZX
asdZX
अरे यह केसे बाबा, अभी तो जिन्दगी पुरी पडी है.... अभी से हिम्मत हार गये तो ... आगे क्या करो गे.... अरे हर तरह के हालात से लडो दिल चाहे रोयॆ लेकिन आंखॊ मै हंसी की चमक होनी चाहिये, यहां कोई भी आप के आंसू नही पोछने वाला, ध्यान रखे, इस लिये इस दुनिया को हमेशा हंसते नजर आओ, वरना यह मतलबी दुनिया तुम्हे जीने भी नही देगी.
ऊठो एक नयी हिम्मत से, ओर कमर कसो, हर हालात से जेसे भी हो लडो.
धन्यवाद
अच्छा और बुरा समय तो आता जाता है। यही तो जिन्दगी है।
आदर्श भाई,
नकारात्मकता हमें बेहतर करने की प्रेरणा देती है बस उसे ग्रहण करने का तरीका बदल दीजिए। उसे खुद पर हावी न होने दें। निराशा ही आशा की उम्मीद बंधाती है। निराशा नहीं होगी तो आशा को कौन पूछेगा। असफलता है तभी तो सफलता का जश्न मनेगा।
रधैर्य खे समय बाकुछ द सब ठीक हो जाएगा जिन्दगी में हर तरह क्षण आते रहते है यही जिन्दगी है !
याद है मैने आपसे कहा था कि मेरे और आपके विचार काफ़ी मिलते हैं. एक और मिल गया. और वो यही है.
मुझे भी कभी-२ ऐसा ही लगता है. फ़िर ठीक हो जाता है. मैं अपनी मम्मी से बात करता हूं और मम्मी वाला जादू चल जाता है. नकारात्मकता छू मंतर हो जाती है.
कभी कभी होता है. सबके साथ ऐसा होता है. ज्यादा परेशान मत होइये. कोई थिंक पाजिटिव/सेल्फ़ हेल्प वाली पुस्तक पढ़ लीजिये. इससे बहुत असर पड़ता है. सब ठीक हो जायेगा.
"नर हो ना निराश करो मन को "
अब क्या आपको भी ये सब बताना पड़ेगा. महाराज थोडा समय आत्मचिंतन को दिजिये सब ठीक हो जाएगा.
ghar jaao yaar...........u will feel good
aree Bhai kyaa ho gaya hai, issi ka naam jindgi hai bhai, utaar chadav aatte rehte hain.........iss soch ke sath jiyo
dost dost na raha, pyar pyar na raha, jindgi tujh pe mujhe fir bhi aitbar hai............. eek din apna bhi aayega....... be positive man
read this stay hungry stay foolish by rashmi bansal. mood theek ho jayega.