एक लड़की
जो कल उस चौराहे पर
खड़ी थी अपना पेट उघाड़े,
रेंग रही थी धीरे-धीरे
दो औरतों के सहारे
सूखे होठों पर लिए कंपन
और मैली आंखों में रुलाई,
मांग रही थी भीख
देकर पेट से होने की दुहाई
इस चौराहे पर आज वही लड़की
शनिदान का कटोरा लिए दौड़ रही है,
इतनी चुस्त, इतनी फुर्तीली
कि दूसरों को पीछे छोड़ रही है
(आज प्रात: हुई सत्य घटना पर आधारित)
जो कल उस चौराहे पर
खड़ी थी अपना पेट उघाड़े,
रेंग रही थी धीरे-धीरे
दो औरतों के सहारे
सूखे होठों पर लिए कंपन
और मैली आंखों में रुलाई,
मांग रही थी भीख
देकर पेट से होने की दुहाई
इस चौराहे पर आज वही लड़की
शनिदान का कटोरा लिए दौड़ रही है,
इतनी चुस्त, इतनी फुर्तीली
कि दूसरों को पीछे छोड़ रही है
(आज प्रात: हुई सत्य घटना पर आधारित)
मन रे तू काहे ना धीर धरे ....क्या करे पुराणों में लखा है दान पुण्य किजिए...पाप कम होगा, स्वर्ग नसीब होगा...अरे देवता दिखाना पड़ता है हम संस्कारी हैं और तो और सब भगवान उपर से देख रहे हैं...थोड़ा आड़े तिरछे किए कि बस...
अच्छी पोस्ट
बधाई!
इन लोगो ने धन्धा बना दिया है
achchha lekha aur achchhi post
bhai good post
kuch naye subject pe bhi likhiye,
bahut dino se thekedar par apki koi post nai aayi
दोस्त, जो मन करता है लिख देता हूं। किसी भी घटना से प्रेरणा मिलती है तो अपने ब्लॉग पर डाल देता हूं। ठेकेदार पर जल्द ही एक पोस्ट डालूंगा।
हर जगह यही कहानी है.....
सच मै इन लोगो ने यह धंधा ही बना लिया है, ओर इन के चक्क्र मै कई बार सही जरुरत मंद भी रह जाता है.
धन्यवाद
क्या करें-जब जैसे पैसा मिल जाये और पेट पल जाये.
अंतिम प्रयास पेट की भूख शांत करना है.सच या झूठ/ सही या गलत- यह जब भरे पेट वाले नहीं समझ रहे तो उन्हें क्या दोष दें.
बहुत अच्छी और दिल को भाने वाली है यह रचना,धन्यवाद । ग़ालिब ने कहा था
तंगदस्ती न हो ग़ालिब
तंदुरुस्ती हज़ार नेमत है
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
aapki rachna jabardast hai. Aise logon ko wakai me madat kee awashyakta hai.
Really shameful.. just because of these people, few genuine needful people are also taken for granted..