गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मेरे सभी ब्लॉगर मित्रो को शुभकामनाएं... राष्ट्रीय पर्व का मौका है, मन उत्साह से भरा है। हालांकि ये उत्साह उतना नहीं है जितना बचपन में हुआ करता था। वजह मुझे मालूम है, समय के साथ उत्साह कम होने के लिए कुछ परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। उनकी चर्चा कर मैं राष्ट्र बोध को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता। और यही मेरा संकल्प भी है। मैं किसी चीज़ को कोसना बंद करूंगा। देश की बेहतरगी के लिए अपना शत प्रतिशत देने की कोशिश करूंगा। कोई भई ऐसा काम नहीं करूंगा जिससे मेरे देश के लिए कोई समस्या हो। मैंने संकल्प किया है खुद को किसी भी विवाद से दूर रखूंगा। एक हद तक संयम रखूंगा। मुझे बहुत आगे जाना है, छोटे-मोटे विवादों में फंसकर मुझे अपने लिए परेशानी मोल नहीं लेनी। तुच्छ लोगों का तो काम ही होता है दूसरों के काम में अडंगा डालना, उनके बारे में दुष्प्रचार करना और उन्हें विचलित करने की कोशिश करते रहना। इस तरह के हर षडयंत्र से बचते हुए मुझे निरंतर बढ़ते रहना है। खुद में निंरतर सुधार लाऊंगा। एक नागरिक के हर कर्तव्य के अलावा अपने नैतिक कर्तव्यों का भी पालन करूंगा। और हां, ज्ञान प्राप्ति और और धनोपार्जन के अलावा अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है। स्वास्थ्य अच्छा रहा तो सब अच्छा रहेगा। बस संतुलित होकर दूसरों के हितों को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी से काम करूंगा। ईश्वर में पूरी आस्था रखकर प्रार्थना करता हूं कि मुझे अच्छी राह पर ही चलाए और हर मुश्किल से बचाए।
मेरे देश में शांति रहे, पथभ्रष्ट युवा जो आतंक और अलगाव की राह पर निकले हैं, एक बार फिर मुख्य धारा में लौटें और नई शुरुआत करें। हम-आप मिलकर ही देश का पुनर्निर्माण करेंगे। आपराधिक और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त लोग भी एक बार आत्मचिंतन करें। एक बार फिर आपको शुभकामनाएं
HAPPY REPUBLIC DAY!!!
मेरे देश में शांति रहे, पथभ्रष्ट युवा जो आतंक और अलगाव की राह पर निकले हैं, एक बार फिर मुख्य धारा में लौटें और नई शुरुआत करें। हम-आप मिलकर ही देश का पुनर्निर्माण करेंगे। आपराधिक और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त लोग भी एक बार आत्मचिंतन करें। एक बार फिर आपको शुभकामनाएं
HAPPY REPUBLIC DAY!!!
गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामना !!
बहुत सुंदर विचार
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
http://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
बेशक आदर्श साहब ,
आप जैसे बाबाओं के कारण ही आज देश को ये दिन देखना पड रहा है । धन्य हैं आप और आपका संकल्प । आप निश्चित ही बहुत तरक्की करेंगे । देश का क्या है , जाए भाड में ....।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ
बहुत अच्छा संकल्प किया है.....ऐसा ही संकल्प पूरा देश कर ले तो समस्या ही खत्म हो जाए..............आपको भी गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
सरीथा जी,
या तो आप पोस्ट पूरी पढ़े बिना टिप्पणी करने वालों में से एक हैं या फिर आत्ममुग्ध या खुद को अति आदर्शवादी मानने वालों में से एक। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरी सोच की वजह से कैसे आज देश का हाल खराब हो गया है। मेरी उम्र तो महज 20 साल है शायद आपकी उम्र की तिहाई। जो देश मुझे मिला है वो तो आप लोगों के कंधो से ही मिला है। चाहे पत्रकारिता की बात कर लें या बाकी परिवेश की। भला मैं कैसे देश को भाड़ में जाने दे सकता हूं? मैंने पत्रकारिता एक ध्येय के साथ शुरु की है, किसी और की तरह प्रोफेशन या विरासत के रूप में नहीं मिली। अगर मैंने किसी निक़ष्ट विवाद में न फंसने की बात कह दी तो आपको बुरा लग गया। लेकिन बताएं कि मैं क्यों इन विवादों में फंसू। कृपया स्पष्ट करें कि आपको कहां से लगा कि मेरी सोच की वजह से देश के ये हालात हैं।
बहुत उम्दा प्रण लिए हैं इस पावन मौके पर. आप इस पथ पर अग्रसर रहें, शुभकामनाऐं.
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आदर्श जी ,मैं बगैर पूरा पढे - समझे कभी कमेंट नहीं करती । आप हम आज जिस दौर में हैं ,उसमें ये कैसे संभव है कि कोई चुपचाप रहे , विवाद में ना फ़ंसे । जो भी देशहित की बात करेगा कहेगा ,उसी पर विवाद होगा । आप अपने कर्तव्यों का पालन चुपचाप करते रहें ये तो ठीक बात है लेकिन इसे वर्तमान परिस्थितियों में मैं ठीक नहीं मान सकती । एक विचारवान व्यक्ति का मौन क्या सामाजिक स्वास्थ्य के लिए उचित कहा जा सकता है । मेरा उद्देश्य आपको विचलित करना कतई नहीं था ,हां आपकी चेतना को झकझोरने का मेरा प्रयास कामयाब ज़रुर कहा जा सकता है । उम्मीद है आपकी नाराज़गी दूर हो गई होगी । एक बार फ़िर कहना चाहूंगी ,विवाद - निर्विवाद के फ़ेर में ना पडॆं । देश का भला चाहते हैं तो आसान राह की बजाय चुनौतियों का सामना करें । देश के साथ साथ आपकी तरक्की भी होगी ।
गनतंत्रदिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से आपको तथा प्रत्येक ब्लौगरों को हार्दिक बधाई और शुभ कामनायें
नमस्कार मित्र, सबसे पहले तो उस गणतंत्र की हार्दिक शुभ कामनाएं जिसका मात्र 26 जनवरी को एहसास करने और पूरे साल कभी स्वर्थपरता तो कभी टुच्चई में प्राय: रौंदा जाता है। बहरहाल मैं सरिथा जी की बातों से सहमत हूं । मैने भी यह पोस्ट पढ़ा एक बार नहीं वरन दो बार ताकि विचार को सही -सही समझ सकूं। यार तुम तो भगत सिंह की एक पंक्ति प्राय: बोलते थे "जिसको सुनाई नही देता है तो बम फोड़ दो"। मुझे लगा तुम एक ना एक दिन उन लोगों की जोरदार आवाज बनोगे जो देश के कोने -कोने से आकर चिखते हैं, जो किसी ना किसी राजनीति या फिर नौकरशाही की प्रताड़ना झेल सिसकियां लेते हैं। तुम्हारे जैसे लोगो गर स्वयं तक सिमित रह गये तो यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य होगा। अपने आप को सही रास्ते पर लाना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन दूसरों को भी रास्ते को बताना कहीं बहुत ही अच्छी बात है। अगर यही अरस्तु सोच रखता तो कभी ग्रीस में परिवर्तन नही होता। गैलिलियों अगर इसी तरह रहचा तो वेस्ट में खोज और धर्म के विरुद्ध अभिव्यक्ति कदापि नही कर पाता।
मित्र हो सकता हो 20 साल की उम्र में तुमने बहुत जल्दी सबक ले लिये हो। शायद सुभाष चंद्र बोस को भी यही सोच रख लेना चाहिए था. आराम में से आईसीएस की कुर्सी तोड़ते, भगत सिहं फांसी पर नही चढ़े होते अच्छा जनाधार था हो सकता था नेहरू के साथ कैबिनेट में मंत्री होते। शायद जेपी भी प्रधानमंत्री होते।।।।।
गणतन्त्र दिवस की आपको भी शुभकामनाएँ
प्रिय मित्र अमृत और सरीथा जी,
मेरे कथन का आशय स्पष्ट है, मैंने कहा है कि मैं छोटे-मोटे विवादों में उलझना नहीं चाहता। मसलन अगर कोई मुझे हतोत्साहित करने के लिए जानबूझकर किसी विवाद में ( व्यक्तिगत स्तर पर) घसीटता है तो मैं उससे बचने की कोशिश करूंगा। जैसे मेरे ऑफिस में कोई मेरे बारे में कुछ गॉसिप कर रहा है तो मैं उससे उलझने नहीं जाऊंगा। इस तरह के विवादों में फंसकर मैं समय खराब नहीं करना चाहता। और हां, जहां तक बात है राष्ट्र हित की या नैतिकता की, विवाद कितना भी गहरा क्यों न हो, मैं उसमें कूदने से नहीं घबराऊंगा और न ही मैं कभी घबराया हूं। यदि किसी के साथ अन्याय होता है तो मैं तब तक कुछ नहीं करूंगा जब तक वह शख्स खुद कुछ करने का दम नहीं दिखाता। बेशक मैं एक बार उसे प्रेरित अवश्य करूंगा। चुनौतियों से भागना मेरी आदत नहीं। बहुत बार मैं ऊट पटांग विवादों में फंस चुका हूं। लेकिन कई बार जोश में उठाए गए कदमों से मुझे घाटा भी उठाना पड़ा है। लेकिन जहां सही और गलत की बात आती है, मैं स्वाभाविक तौर पर सच के साथ खड़ा रहा हूं। अमृत इस बात को शायद तुमसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। सच का साथ देने की वजह से ही एक बार मेरा करियर भी दांव पर लग गया था। लेकिन फिर भी मैंने हार नहीं मानी है। सड़क पर पुलिस वाला रिश्वत लेता है तो उससे अंत तक उलझता हूं और तब तक उसका पिंड नहीं छोड़ता जब तक कि वो माफी न मांगे। कई जेबकतरों को सीधा किया है मैंने..., कई बार इसी सच के पीछे पिटा भी हूं। जब मैंने अपने गांव में दलितों के साथ होली खेली थी तो मेरे पड़ोसी और रिश्तेदार जो कि खुद को ऊंची जाति का कहलाने में फक्र महसूस करते हैं, ने मेरे बारे में कई तरह की बातें की थी। अपने इलाके के विधायक को बीच सभा में उठकर प्रश्न पूछने वाला बालक भी मैं ही था।
अगर मैं अपने लिए अच्छे ख्वाब संजोता हूं तो पूरे देश को साथ लिए चलता हूं। मर्सिडीज़ में बैठने का सपना देखता हूं मैं, लेकिन उस सपने में कार के बाहर लाल बत्ती पर कोई भिखारी मुझे नज़र नहीं आता।
अगर अब भी आपको कई शंका हो तो मैं कुछ नहीं कर सकता। जैसा कि मैं पहले ही लिख चुका हूं कि मुझे अपनी संवैधानिक, नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का बोध है। और सच का साथ देने के लिए, अन्याय के विरोध में उठ खड़ा होने के लिए तैयार रहना इन्हीं जिम्मेदारियों में शामिल है।
गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामना !!
बहुत सुंदर विचार
वाहवा.......... बधाई आपको...
"मैं रोज मील के पत्थर सुमार करता था,
पर सफर न कभी इख्तियार करता था,,
सारे ख्वाब अधूरे पड़े रहे मेरे,
मै जिन्दगी पर बहुत एतबार करता था"
.....एक और संकल्प पर न जाने क्यों यह शेर याद आ गया।.....बस यूं ही!!!.....आदर्श जी, अगली किसी जनवरी में आपसे पूंछेगे कि क्या हुआ उस इरादे का।....भगवान आपकी सहायता करें!....आमीन!!!!!
Alok ji,
aapka kehna sahi hai, aksar hum naye pran karte hain lekin unhe nibhate nahi. lekin mujhe poora vishwas hai ki is baar main nibha paunga, kyunki is baar karne ke liye mujhe khud par hi nirbhar hona hai, khud hi is kartavya ko nibhana hai...
आदर्श भाई,
ख्याल अच्छा है। पर सिर्फ़ संकल्प लेने से काम नहीं चलेगा। विवादों से बचना भी होगा।
एक साल बाद मैं अपने निश्चय पर 90 फीसदी खरा उतरा
ये दिन मुझे होली-दिवाली से भी ज्यादा पसंद है। पूरे साल भर मुझे इसी दिन का इंतज़ार रहता है।