तस्वीरें हकीकत बयां करती हैं....
चांद मोहम्मद (चंद्र मोहन) की पत्नी फिजा के माथे पर लगा सिंदूर इस बात को साबित करता है कि लोगों के लिए धर्म की कितनी अहमियत है। इन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया था तो सीना ठोक कर कहा था कि हमने पूरी आस्था से इस्लाम कबूल किया है। जितनी मेरी जानकारी है उसके मुताबिक मुस्लिम धर्म में माथे में सिंदूर नहीं लगाया जाता। आज इस घटना ने केवल मुस्लिमों को ठेस पहुंचाई बल्कि हिन्दुओं को भी ठेस पहुंचाई है। क्योंकि अगर उन्हें हिन्दू धर्म से अच्छा इस्लाम लगा था और उसे सरेआम कबूल भी किया था तो आज सिंदूर लगाने की क्या ज़रूरत? सिंदूर महज साज सज्जा का सामान नहीं है, एक सुहागन की शान है। अगर इस्लाम को दिल से कबूल किया है तो उसकी इज्जत तो करो .....
चांद मोहम्मद (चंद्र मोहन) की पत्नी फिजा के माथे पर लगा सिंदूर इस बात को साबित करता है कि लोगों के लिए धर्म की कितनी अहमियत है। इन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया था तो सीना ठोक कर कहा था कि हमने पूरी आस्था से इस्लाम कबूल किया है। जितनी मेरी जानकारी है उसके मुताबिक मुस्लिम धर्म में माथे में सिंदूर नहीं लगाया जाता। आज इस घटना ने केवल मुस्लिमों को ठेस पहुंचाई बल्कि हिन्दुओं को भी ठेस पहुंचाई है। क्योंकि अगर उन्हें हिन्दू धर्म से अच्छा इस्लाम लगा था और उसे सरेआम कबूल भी किया था तो आज सिंदूर लगाने की क्या ज़रूरत? सिंदूर महज साज सज्जा का सामान नहीं है, एक सुहागन की शान है। अगर इस्लाम को दिल से कबूल किया है तो उसकी इज्जत तो करो .....
यह उनका व्यक्तिगत मामला है. देश में एक ही कानून हो तो ऐसी नौबत ही न आए.
कहाँ आस्था की बात कर रहे हैं. ऐसा करने के अतिरिक्त कोई विकल्प उनके पास नहीं था और वह विकल्प मिल गया मुस्लिम ला में.
SANJAY JEE KEE BAAT SE SAHMAT HOON
bhaiya maine suna tha ki hindi blogs me google ad nahi dikhte hain. aapke blog me google ad dikhte hain. Ye chamatkar kaise hua?
नौटंकी है भाई साहब !लोग तमाशा देख रहे है .लैला मजनू बना दिया है जैसे कोई बड़ा तीर मारा हो.मीडिया वालो से पूछो अगर उनका जीजा किसी ओर से ब्याह करके ऐसा काम करे फ़िर वे कैसे मुस्करा के पूछेगे सवाल ओर कैसे पीछे गीत बजायेंगे ?
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम......
saari hadon ko todta saccha pyar hai,ya dharm aur pyar ki aadh mein ho raha tamasha,kuch bhi nahi pata.Iss bina ticket ke tamashe ka mazaa sab le rahe hain iss liye aap bhi iss mudde ko chodkar dusre gambhir vishayon pe dhyaan de.
सन्नू की जी भाड मै जाये दोनो..
धन्यवाद
मैं एक शंका दूर करने के लिए टिप्पणी कर रहा हूं। यह सत्य है कि मुसलमान महिलायें सुन्दर नहीं लगातीं पर यदि कोई लगाती है तो उसे आस्था के विरोध नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह तो केवल श्रिंगार की सामग्री है। और बस !!धन्यवाद
that is their personnel matter we dont need to advise or comment
sorry
प्रिय मित्र आलम, आपको अपने धर्म का अच्छा ज्ञान है, प्रसन्नता की बात है। मैं आपको बता दूं कि हिन्दू धर्म में बिन्दिया को आप भले ही सुंदर लगने के लिए किया गया श्रृंगार कह दें, किन्तु सिंदूर श्रृंगार के लिए इस्तेमाल नहीं होता। पति की लम्बी उम्र के लिए लगाया जाता है सिन्दूर....। मेरी आपत्ति इस बात से है कि इन लोगों ने इस्लाम को महज इस बात के लिए सहारा बनाया ताकि एक बीवी रहते हुए दूसरी शादी की जा सके। ऐसे में इस्लाम को चुनना महज एक तरीका था। न तो इनकी इस्लाम में आस्था है और न ही हिन्दू धर्म की कद्र... ये लोग तो बस अपना मतलब निकालना जानते हैं।
I am totally agree with Aadarsh.... and moreover if this was their private matter then why they appeared on every news channel....
प्रिय मित्र आदर्श राठौर साहिब! स्पष्टीकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
दोनों ने धर्म परिवर्तन क्यों किया था, ये सब जानते हैं। लेकिन ठीक जैसे हम किसी को धर्म बदलने से रोक नहीं सकते, (रोकना चाहिए भी नहीं) ठीक वैसे ही सिंदूर लगाने से भी नहीं। मेरे हिसाब से ये उनका निहायत ही व्यक्तिगत मामला है। मुस्लिम होकर सिंदूर लगाने की बात पर अगर आप विरोध करेंगे, तो ख़ुद को श्रीरामसेना की पांत में खड़े पाएंगे। शुभकामनाएं।
जिन लोगों के बीच धर्म उतार फेंकने और नैतिकता लतियाने-धकियाने जितनी हैसियत रखती हो, उनके लिए सिंदूर को माँग में भरना न भरना कोई माने नहीं रखता। प्रिय राठौर, जो औरत पति की उम्र के लिए सिंदूर धारण करती है, उसे धर्म बदलने बनने की जरूरत नहीं पड़ती। और जो औरत अपनी खुशी के लिए एक ब्याहता औरत और उसके बच्चों की खुशियों पर बैठकर इस्लाम कबूल करे, उसे सच्चा मुसलमान माना जाएगा, मुझे शक है। आप चालू टाइप के चैनलों की तर्ज़ पर इस तरह के विषयों पर अपनी ऊर्जा व्यर्थ न गवाएँ।
चाँद मोहम्मद और फिज़ा दोनो बराबर के कुसूरवर हैं फिज़ा को तो उसके किए की सज़ा मिल रही है अब चाँद मुहम्मद भी भला कहाँ छूटने वाले हैं। भगवान की नज़रों से भी भला कोई बच सका है
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