तत् त्वं असि / बलराम अग्रवाल
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दरवाजा खुलवाने को घंटी बजी। अन्दर से आवाज आयी—“कौन?”
“दरवाजा खोलके देख!”
“भाई, तू है कौन? यह जाने बिना मैं दरवाजा नहीं खोल सकता!”
“ दरवाजा खोले बिना ...
3 months ago
बिलकुल सच कह है जी.
धन्यवाद
स्थितियाँ तो कुछ यही कहती हैं.
वाह.. क्या बात है। लोकतंत्र में पनप रही गुलामी को तड़प को ये कार्टून बखूबी पेश करता है।
बहुत सटीक कार्टून है। कम से कम हमारे देश में तो इन राजनेताओं ने लोकतंत्र का यही हाल कर दिया है।