इस तरह के कई होर्डिंग्स नोएडा में लगे हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और नोएडा में हुई अपहरण और बलात्कार आदि की घटनाओं ने इन विज्ञापनों की पोल खोल कर रख दी है। ये विज्ञापन किन्ही नेता ने बहन जी की नज़रों में आने के लिए टंगवाए हैं। लेकिन कम से कम महोदय कुछ और लिख देते। बात भी ऐसी कही कि हजम नहीं होती। हकीकत ये है कि बहन जी की सरकार, बढ़ता भ्रष्टाचार और व्यभिचार।
लघुकथा की भाषिक संरचना / बलराम अग्रवाल
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यह लेख मार्च 2024 में प्रकाशित मेरी आलोचनात्मक पुस्तक 'लघुकथा का साहित्य
दर्शन' में संग्रहीत लेख 'लघुकथा की भाषिक संरचना' का उत्तरांश है। पूर्वांश
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2 weeks ago
सुशासन के पोस्टरों से तो पूरा यूपी पटा पड़ा है। जनता सु और कु का भेद जानती है।
सुशासन के लिए विज्ञापन नहीं करना पड़ता वो तो खुद बोलता है.
सब को सुरक्षा सब को समान. ..... की यही है पहचान, अजी यह हमारे लिये थोडे लिखा है, यह तो चोर ओर उच्च्को के लिये है.
धन्यवाद