Aadarsh Rathore
मुझे नहीं पता अमृत जी के दोस्तों ने क्या सोचकर ये बात कही थी लेकिन नोएडा वाली घटना को देखते हुए इसका अर्थ समझ में आ रहा है। नोएडा में एक के बाद एक अपहरण और बलात्कार के मामलों ने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। खासकर सामूहिक बलात्कार की घटना ने उन आशंकाओं को सच साबित कर दिया जो अमृत की पोस्ट पढ़कर जगी थी। मैं भले ही अमृत की इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहत कि अकेली लड़की क्या होती है, लेकिन उनकी पोस्ट में जो उन्होंने दो वाकयों का ज़िक्र किया है उस पर ज़रूर कुछ कहना चाहता हूं। निर्दिष्ट घटनाओं के मुताबिक आज के परिवेश में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। पहली वाली दोनों घटनाएं मेरे सामने ही घटी थीं। संयोग से मैं और अमृत दोनों साथ थे। खास बात ये दोनों वाकये नोएडा में ही घटित हुए थे। शायद कुछ लोग मुझसे सहमत न हों लेकिन मैं अपनी बात कह देना चाहता हूं। और ये बात किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर नहीं कह रहा बल्कि अपने अनुभल के आधार पर कह रहा हूं। पता नहीं यमुना नदी के इस पार लोगों को क्या हो जाता है? नदी के इस ओर (एनसीआर में ही) और उस पार रहने वालों के रहन-सहन से लेकर व्यवहार आदि तक ज़मीन आसमान का फर्क है। नियम कानून क्या होता है वो यहां के लोगों को पता ही नहीं। नोएडा को गुंडों का शहर कह दिया जाए तो कोई गलत नहीं है। पूरे यूपी के गुंडे यहीं आकर बस गए हैं।



खैर, यूपी के कहने ही क्या ( यूपी से संबंध रखने वाले नाराज़ न हों, मेरे भाव को समझने की कोशिश करें) सरकार, प्रशासन और एक बड़ा जन समुदाय अजीब सी मानसिकता वाला है। जिस प्रदेश में अपराधी सरकार चला रहे हों उस प्रदेश का क्या हो सकता है? हर रोज़ आईएएस अधिकारियों के तबादलों की खबरें। अपराध भी ऐसे घिनौने कि आपकी आत्मा कांप जाए। अगर किसी सरकार में कोई अपराधी या बाहुबली आदि चुना जाता है तो सीधे तौर पर उस जगह की जनता ही इसके लिए दोषी है। पता नहीं किस मानसिकता के अधीन रहकर लोग ऐसा फैसला करते हैं। बात में जब वही नेता उनकी ऐसी-तैसी करते हैं तो उन्हें गालियां बकने लग जाते हैं। खैर, जब मन में गुस्सा हो तो आदमी बहुत कुछ कहना चाहता है। इस वक्त मैं लिख रहा हूं तो इसी जल्दबाज़ी में मुख्य विषय से भटक रहा हूं।

मैं नोएडा की बात कर रहा था। चूंकि ये यूपी के जंगलराज का सबसे घना और आधुनिक हिस्सा है इसलिए दिल्ली और अन्य राज्यों के अपराधी भी यहीं रहने आते है। उन्हें पता है कि यूपी में कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जहां तक लड़कियों के अगवा होने की बात है तो इसके पीछे भी इन्हीं अपराधियों का हाथ रहता है। नए साल में अय्याशी के लिए सरेराह लड़कियों को उठाकर उनके साथ दुष्कृत्य करने वाले कोई और नहीं बल्कि यही लोग रहते हैं। हर साल नोएडा से कई नवयुवतियां और बच्चे लापता हो जाते हैं। इसी साल के पहले हफ्ते में 3 लड़कियों का अपहरण हो चुका है औऱ दो का बलात्कार। पिछले साल भी इसी तरह का मुद्दा उठा था लेकिन आरुषि हत्याकांड ने (ये भी कमाल का हत्याकांड था) की वजह से सारी बात दब गई। इन पूरे हालातों में लड़कियां क्या लड़के भी सुरक्षित नहीं है। हर रोज नई घटना होती है, अखबारों में रोज ऐसी कई घटनाएं का उल्लेख होता है। इसके लिए नोएडा का सुस्त पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है। ठेले वालों की पिटाई करके पैसे वसूलने वाले अपराधियों के साथ बैठकर दारू नहीं पीते होंगे क्या? यही पुलिस वाले अपनी इज्जत का सौदा करके इन अपराधियों का हौसला बढ़ाते हैं। अगर कोई सही ऑफिसर आ भी जाए तो उसका तबादला कर दिया जाता है या गुंडे किसी मुठभेड़ में उसे मार देते हैं ( इसमें भी पुलिस वाले शामिल रहते हैं)। इन हालात में क्या किया जा सकता है। किसी से न्याय की उम्मीद करना ठीक नहीं है। अपनी सुरक्षा अपने हाथ, खुद हथियार लेकर चलो। कल मेरे साथ भी एक लूटपाट की वारदात होते-होते रह गई। उसका उल्लेख मैं कल करूंगा अभी समय नहीं। लोग कहेंगे कि मैं निरंतर राष्ट्र बोध पर प्रहार कर रहा हूं, लेकिन फिर भी मैं इतना ही कहूंगा, इस देश का कुछ नहीं हो सकता। भले ही ये नकारात्मक भाव है, दुखद बात है लेकिन सत्य है( ईमानदारी से खुद से पूछकर देखें)।
अमृत जी, चाहे तिजोरी खाली हो या भरी हुई, उसके साथ निगरानी करने वाला हो या नहीं, डाकूस्तान में आपका लुटना तय ही है और वाकई आज हिन्दुस्तान डाकूस्तान बनने की तरफ ही अग्रसर है। बात हंसने की नहीं हैं मेरे दोस्त...
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6 Responses
  1. राठौर जी, आप की बात से सहमत हूँ। आप ने जिस ठोस तरीके से मामले को रखा है वह काबिले तारीफ है। लेकिन मैं इस से सहमत नहीं कि कुछ नहीं हो सकता।

    बहुत कुछ हो सकता है, बशर्ते कि लोग संगठित हो कर रहने लगें।


  2. PD Says:

    अरे वो साहब जब वी मेट का डायलाग मार रहे थे..


  3. Unknown Says:

    aap ki baat se sehmat hun...aur tab tak kuch nahi ho sakta jab tak wahan ki public jaagruk na ho jaaye...


  4. राठॊर जी, यह कहानी शायद इस समय पुरे भारत की है, ओर यह गुण्डे हमारे बदमाश, ओर दवंग बाज नेताओ के ही बच्चे है,क्योकि कहते है हरामी के यहां हरामी ही पेदा होते है, लेकिन हो सकता है सब कुछ हो सकता है, जब भी कोई ऎसी घटना हो तो सारी जनता को मिल कर ऎसे गुण्डो को वही मार देना चाहिये, दो चार बार ऎसा हो तो देखो केसे होती है गुन्डा गरदी
    धन्यवाद


  5. इतना गुस्सा...
    इतनी हताशा...
    इतनी निराशा...
    कैसे कहूं, अच्छी बात नहीं?


  6. आदर्श भैया खूब गुस्से में आप लग रहे हैं. वैसे बात गुस्से वाली है भी. मैं भी आपकी बात से सहमत हूं.


    "हरामी के यहां हरामी ही पेदा होते है"

    सही बात