Aadarsh Rathore
रोज़ का सफर मेरे लिए एक अलग अनुभव लेकर आता है। कल ऑफिस के लिए आ रहा था। 12-22 सेक्टर से 58 जाने के लिए रिक्शा किया। मैंने देखा कि रिक्शेवाला रेड लाइट पर भी क्रॉस कर रहा था। मैंने कहा कि भाई देख कर चला करो। मुझे ऊपर जाने की जल्दी नहीं है। रिक्शे वाला बोला सर रेड लाइट दिल्ली में ही चलती है। ये यूपी है! यहां कोई नहीं रुकता....।
ये शब्द मैं पहले भी कई बार सुन चुका था। कई बार अपने ऑफिस के ड्राइवर्स के मुंह से, कई बार सहयोगियों के मुंह से या उन लोगों से जिनके साथ मैंने अक्सर महारानी बाग से नोएडा तक की दूरी तय की है। हर कोई यही कहता है कि यूपी में कोई नियम नहीं चलता। मैंने देखा भी है, हर चौराहे पर गाड़ियां बत्ती का उल्लंघन करती रहती हैं। रेड लाइट्स तो बस नाम के लिए लगी हैं।
खैर, मैं यूं ही रिक्शे पर बैठा चला जा रहा था। उससे आगे सेक्टर 58 जाने वाले चौराहे पर हम रुके। (यहां न चाहते हुए भी हर किसी को रुकना पड़ता है क्योंकि ट्रैफिक बहुत ज्यादा रहता है)। मेरी निगाह सिग्नल पर कम होते क्रमांको (काउंटडाउन) पर थी। इतने में मैंने देखा कि एक टवेरा सिग्नल तोड़ती हुई 100 की गति में सामने से आ रही है। उनके ठीक सामने एक बुज़ुर्ग सड़क पार कर रहे थे। पहले चर्रर्रर्रर्र...र्र.र्र.र की आवाज़(ब्रेक लगने की) एक ढक्क की आवाज़ (बुज़ुर्ग से टकराने की) सुनी और देखा कि बुज़ुर्ग हवा में उड़ते हुए, तीन कलाबाज़ियां खाते हुए कहीं दूर उड गए हैं। मैंने मुंह दूसरी दिशा में फेर लिया। धीरे-धीरे शोर बढ़ता गया। दो-तीन सैकेंड्स बाद जब मैं कुछ समझने लायक हुआ तो रिक्शे से उतरकर घटनास्थल (जो मात्र 20 कदम की दूरी पर सड़क की दूसरी ओर था) की ओर बढ़ चला। मैंने अद्भुत नज़ारा देखा। बुज़ुर्ग बिल्कुल सुरक्षित थे और अपनी चप्पल ढूंढ रहे थे जो टकराने के बाद कहीं छिटक गई थी। लोगों ने उन्हें किनारे बिठाया और हाल पूछने लगे। बाबा ने जब पायजामा थोड़ा ऊपर उठाया तो बाईं जांघ पर सिर्फ हल्की सी त्वचा छिली थी ( जिसमें रक्त का अंश मात्र भी नहीं दिख रहा था। मैं हैरान था, ईश्वर का चमत्कार ही समझिए जो वो बच गए। ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हुए मैं फिर से रिक्शे पर बैठा और आगे चल दिया( सिग्नल ग्रीन हो चुका था)।
मैंने फिर रिक्शेवाले से पूछा, क्यों.... अब भी सिग्नल तोड़ोगे?
रिक्शेवाले ने कहा- ये तो बूढ़े की गलती है, देख कर नहीं पार कर सकता था।
मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा।
सेक्टर 58 थाने के पास एक चौराहा है, जैसे ही मैं वहां पहुंचा तो देखा कि एक तरफ से तेज़ गति में एक कार आ रही है, दूसरी तरफ से बाइक.....।
मेरे मन में कुछ अजब सी आशंका पैदा हुई.... इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, गाड़ी वाले ने बाइक सवार को टक्कर मार दी। बाइक तो कार के नीचे दब गई लेकिन बाइक सवार उड़कर चौराहे के बीच वाले मेहराब( जहां पुलिसकर्मी खड़े होकर निर्देश देते हैं) से जा टकराया। उसका हेलमेट छिटककर दूर जा गिरा। मैं रिक्शे से तुरंत उतरा और बाइक सवार को संभाला। देखा कि उसके हाथ की उंगलियां कुचल गई थीं। कार वाला घबराते हुए बाहर निकला तो देखा कि उसके हाथ में पहले से प्लास्टर सा बंधा था। इतने में वहां लोगों का मजमा लग गया। मैंने अपने फोन से घटना का चित्र खींचा और फिर से रिक्शे पर बैठ गया।

गाड़ी का नम्बर मैंने हटा दिया है
इस बार मैंने रिक्शेवाले से कुछ नहीं कहा। लेकिन महसूस किया कि रिक्शावाला अब संभल कर चला रहा है। ऑफिस के बाहर रिक्शा रुका, मैंने पैसे दिए और गेट की तरफ बढ़ चला। पीछे से आवाज़ आई, सर......!
पीछे मुड़कर देखा तो रिक्शेवाला मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगा....
सर...! आगे से रेड लाइट देखकर पार करूंगा.............
ये कहते हुए वो पैडल मारता हुआ आगे बढ़ गया। मैंने भी ईश्वर को धन्यवाद दिया, दो लोगों की जान बचाने के लिए, इस बात के लिए भी कि घटना का शिकार मैं नहीं हुआ और तीसरा इस बात के लिए एक बंदे को कम से कम ये समझ तो आई कि यूपी हो या दिल्ली! मौत कहीं नहीं रुकती.......
इसलिए नियमों का पालन करना ही चाहिए....
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8 Responses
  1. सही बात.
    ओ तो आप उत्तर प्रदेश से हैं. मैं सोच रहा था कि दिल्ली से हैं.


  2. मानव मन ऐसा है कि कुछ देर तक इस तरह की चीजों को देखने पर सिहर उठता है पर वक्त के मरहम उस सिहरन को भर देते हैं और मन फिर उसी तरह लापरवाह हो जाता है। यहाँ मुंबई में लोकल ट्रेन से किसी के कटने का नजारा देख कर लोग थोडा संभल कर चलते हैं लेकिन अगला स्टेशन आने तक उस घटना को भूल जाते हैं और बात किसी और मुद्दे पर चल पडती है। यही है मानव मन.....शायद वक्त को भी घाव भरने की जल्दी होती है ।


  3. Anonymous Says:

    भाई नॉएडा में तो रेड लाइट पर रुकना भी खतरनाक है | रेड लाइट पर रुकने वाले को पता नही कब कोई कॉल सेण्टर की तवेरा या वहां चलने वाले टेंपो जो कभी रेड लाइट पर नही रुकते पीछे से टक्कर मार दे | यु पी के रेड लाइट वाले चौराहे पार करते तो भाई बड़ा डर लगता है बहुत ही सावधानी रखनी पड़ती है |


  4. अंकुर जी, हिमाचल प्रदेश से हूं, इस वक्त दिल्ली में रह रहा हूं और नोएडा में मेरा कार्यालय है।


  5. उत्तम प्रदेश की उत्तम घटनाएं,
    लिखी दिखती है जगह जगह,
    इबारत बड़ी अटपटी,
    सावधानी हटी दुर्घटना घटी.


  6. Anonymous Says:

    good..
    very good, keep it up..


  7. हां... आंखों वाले अगर रेड लाइट क्रास करेंगे तो मौत तो अंधी होती है वो भला कोई लाइट क्यों मानने लगी...
    दुर्घटनाओं को दावत देती आदतें जितनी जल्दी बदल जाएं उतना अच्छा...


  8. Anonymous Says:

    can u leave ur phone number to me???