ताकत से झुका ले कोई हमें
ये काम नहीं आसान,
ये जान ले पाकिस्तान।
टीपू की चमकती तेग हैं हम
अर्जुन का दहकता बाण,
ये जान ले पाकिस्तान।
दिल भी है बड़ा, धरती भी बड़ी
अपने को किसी से बैर नहीं,
लेकिन जो बुरी नीयत से बढ़े
वह कोई हो उसकी खैर नहीं,
दुनिया की सभी कौमौं के लिए
है अपना यही ऐलान
ये जान ले पाकिस्तान।
नापाक इरादों ने बढ़कर
जिस देश की धरती घेरी
उस देश की धरती पर हमनें
नेहरू की राख बिखेरी है,
इस राख की इज्जत रखने को
हो जाएंगे सब कुर्बान,
से जान ले पाकिस्तान।
वह वक्त गया, वह दौर गया
जब दो कौमों का नारा,
वो लोग गए इस धरती से
जिनका मकसद बंटवारा था,
अब एक है हिन्दुस्तानी
और एक है हिन्दुस्तान,
ये जान ले पाकिस्तान।
ग़ैरों की मदद से राज करे
जो खुद अपनी आबादी पर,
वो लोग न लहरा पाएंगे
परचम कश्मीर की वादी पर,
मांगे हुए टैंकों का दमखम
कुछ देर का है मेहमान
ये जान ले पाकिस्तान।
ताज, अजंता के वारिस
इतिहास बनाने निकले हैं,
काशी, अजमेर, अमृतसर के
संगम को बचाने निकले हैं,
इस राह पर जो भी खून बहे
तहज़ीब पर है एहसान,
ये जान ले पाकिस्तान।
अपने तिरंगे झंडे के
दुश्मन को कुचलकर दम लेंगे,
साज़िश के भड़कते शोलों को
कदमों से मसलकर दम लेंगे,
रोके से नहीं रुक सकने का है
ये बढ़ता हुआ तूफान,
ये जान ले पाकिस्तान।
(ये कविता मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी जी की है। बचपन से मैंने इस जब-जब मंच पर पढ़ा, श्रोताओं में नए जोश का संचार हुआ। इस कविता ने मुझे वक्ता के रूप में पहचान दिलाई। मेरे कस्बे के बच्चे-बच्चे की जुबां पर इसके बोल हैं)
ये काम नहीं आसान,
ये जान ले पाकिस्तान।
टीपू की चमकती तेग हैं हम
अर्जुन का दहकता बाण,
ये जान ले पाकिस्तान।
दिल भी है बड़ा, धरती भी बड़ी
अपने को किसी से बैर नहीं,
लेकिन जो बुरी नीयत से बढ़े
वह कोई हो उसकी खैर नहीं,
दुनिया की सभी कौमौं के लिए
है अपना यही ऐलान
ये जान ले पाकिस्तान।
नापाक इरादों ने बढ़कर
जिस देश की धरती घेरी
उस देश की धरती पर हमनें
नेहरू की राख बिखेरी है,
इस राख की इज्जत रखने को
हो जाएंगे सब कुर्बान,
से जान ले पाकिस्तान।
वह वक्त गया, वह दौर गया
जब दो कौमों का नारा,
वो लोग गए इस धरती से
जिनका मकसद बंटवारा था,
अब एक है हिन्दुस्तानी
और एक है हिन्दुस्तान,
ये जान ले पाकिस्तान।
ग़ैरों की मदद से राज करे
जो खुद अपनी आबादी पर,
वो लोग न लहरा पाएंगे
परचम कश्मीर की वादी पर,
मांगे हुए टैंकों का दमखम
कुछ देर का है मेहमान
ये जान ले पाकिस्तान।
ताज, अजंता के वारिस
इतिहास बनाने निकले हैं,
काशी, अजमेर, अमृतसर के
संगम को बचाने निकले हैं,
इस राह पर जो भी खून बहे
तहज़ीब पर है एहसान,
ये जान ले पाकिस्तान।
अपने तिरंगे झंडे के
दुश्मन को कुचलकर दम लेंगे,
साज़िश के भड़कते शोलों को
कदमों से मसलकर दम लेंगे,
रोके से नहीं रुक सकने का है
ये बढ़ता हुआ तूफान,
ये जान ले पाकिस्तान।
(ये कविता मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी जी की है। बचपन से मैंने इस जब-जब मंच पर पढ़ा, श्रोताओं में नए जोश का संचार हुआ। इस कविता ने मुझे वक्ता के रूप में पहचान दिलाई। मेरे कस्बे के बच्चे-बच्चे की जुबां पर इसके बोल हैं)
कविता अच्छी है ओर प्रभाव भी अच्छा छोड़ती है.
बहुत अच्छी कविता है
ताकत से झुका ले कोई हमें
ये काम नहीं आसान,
ये जान ले पाकिस्तान।
टीपू की चमकती तेग हैं हम
अर्जुन का दहकता बाण,
ये जान ले पाकिस्तान।
बहुत खुब कविता लिखी है आप ने हमेश की तरह से.
धन्यवाद
दुश्मन को ललकार, पड़ोसी से कर प्यार
ये रिश्ते बड़े हैं नाजुक, न कर ऐसे वार
आसां है बहुत, लड़ना, झगड़ना, तकरार
तू राही कुछ जुदा है, ना छोड़ प्यार की डगर
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