Aadarsh Rathore
चांद तक पहुंच हो गई हमारी
बेशक तुम खुश होंगे
हर देशवासी की तरह
जो मानता है इसे
एक बडी उपलब्धि।


पर मैं खुश नहीं,
मानो या न मानो
मुझे तो ये बेकद्री लगी
समय की, पैसे की।

मत इतराओ इतना
खुश मत हो तुम।
चंद्रयान एक मिशन है
महज धाक जमाने का।

बेशक हो गए हम शामिल
उन चंद देशों की कतार में
जिनने दी है
चांद पर दस्तक।

लेकिन हमारा उनसे
कोई मुकाबला नहीं।
पहुंचे हैं वो चांद पर
पाकर काबू
अपनी जनता की भूख पर।
हरेक को छत देकर
देखा है सपना उनने
चांद पर बस्ती बसाने का।

लेकिन हमारा क्या है?
आधी जनता भूखी है
ठिठुर रही है जाड़ों में
कुछ फुटपाथ पर,
कुछ फ्लाईओवर के नीचे।



खाने के नाम पर
खा रही है गालियां
जो मिलती है हर रोज़
सभ्रांत लोगों से
हर गली, रेड लाइट
और चौराहों पर।

उनके लिए चांद
आज भी एक सपना है
और कल भी
एक सपना ही रहेगा।

क्या ज़रूरत है
चांद पर जीवन ढ़ंढने की
जब धरती पर ही जीवन
महफूज़ नहीं है।

चांद में जीवन की नहीं
जीवन में चांद की तलाश है
उस लोरी का चांद
जिसे सुन भूखा बच्चा
शांत होकर सो जाता है।


उस संबोधन चांद
जिसे सुन प्रेयसी,
मंद मंद मुस्काकर
प्लास्टिक के आशियाने को
महल समझ सो जाती है।


तलाश है उस चांद की
जो सबके जीवन में
उजाला ले आए,
तब तक मिशन चंद्रयान
एक अभियान नहीं,
देश की भूखी-नंगी जनता का
अपमान है,
घोर अपमान।
10 Responses
  1. तलाश है उस चांद की
    जो सबके जीवन में
    उजाला ले आए,
    तब तक मिशन चंद्रयान
    एक अभियान नहीं,
    देश की भूखी-नंगी जनता का
    अपमान है,
    घोर अपमान।
    khoobsurat khyaal hai.....


  2. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने , मेरे मन में जो बात चल रही थी , वह इतने सुंदर शब्‍दों में व्‍यक्‍त की गयी है आपके द्वारा।


  3. Vivek Gupta Says:

    सुंदर रचना


  4. चांद में जीवन की नहीं
    जीवन में चांद की तलाश है
    जो चाँद की तरह
    जीवन को खूबसूरत बना दे.


  5. बहुत उम्दा!!


  6. भावपूर्ण रचना है।


  7. नमस्कार भाई, कितनी अच्छी बात कही है आपने अपनी इस रचना में, अगर सच बतौउ तो रचना पड़ने के बाद मन काफी ही पसन् हुआ है !


  8. shama Says:

    Sarvpratham mere blogpe tippanee deneke liye dhanyawaad kehtee hun !
    Itnee kam umrme behad paripakw aur samvedansheel man hai tumhere paas !
    Manvindarjeene jo panktiyan quote kiya, mai wahee kahungee...!
    Anek shubhkamnayen ! Bohot badhaee !
    Tum jaise wyakse milna ya baat karna ek badaahee sukhad anubhav hoga !


  9. Unknown Says:

    देर से आपके ब्लाग पर आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ. आपकी बात में जो दर्द है वह मैं भी महसूस करता हूँ. समाज और देश की बहुत सी जरूरतें होती हैं, पर परिस्थितिओं को देखते हुए प्राथमिकता तो निश्चित की ही जानी चाहिए. आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार देश की पहली प्राथमिकता है. सारे कार्यक्रम इस बात को ध्यान में रख कर तय किए जाने चाहिए.


  10. Anonymous Says:

    cool blog