Aadarsh Rathore
आज जो उत्तर भारतीयों के खिलाफ़ महाराष्ट्र में जो हिंसा हो रही है उसके लिए सीधे तौर पर ठाकरे परिवार की कुत्सित राजनीति दोषी है। जो लोग बिहार के लोगों को दोष देकर और उनके राजनेताओं की कमियां निकालकर राज ठाकरे की कार्वाई को सही ठहरा रहे है उन्हें एक बात समझनी होगी। बिहार की तुलना महाराष्ट्र से न की जाए। ये मात्र बिहार की बात नहीं है। भौगोलिक परिस्थियों और ऐतिहासिक लिहाज से भी देखा जाए तो हमेशा से महाराष्ट्र के लिए बहुत ही अनुकूल परीस्थितियां रहीं। बिहार से तुलना करना अनुचित है। विशेषकर वहां हमेशा से ही विषम हालात रहे हैं। अधिकतर क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में रहता है।
बेशक रही सही कसर नेतृत्व ने पूरी कर दी। जिन लोगों ने भांति भांति के तर्क देकर राज ठाकरे के अंदाज़ का समर्थन किया है वो तो समझ से परे है। जो लोग इस घटनाक्रम के इतने ही पक्षधर हैं वो कल को देश भर में हो रही आतंकी घटनाओं को भी जायज़ ठहरा देंगे। कल को कहेंगे कि धमाके जो हो रहे हैं सही हैं। और यदि बिहारी से इतनी ही एलर्जी है तो क्यूं न बिहार का योगदान जानने के लिए ये पढ़ें।
यदि बिहार से निकलने वाले सामान की आपूर्ती रोक दी जाए तो महाराष्ट्र क्या पूरा देश डगमगा जाए। जहां तक हालातों की बात है तो ये मात्र बिहार के ही नेतृत्व की समस्या नहीं है। सीधे तौर पर इसके लिए वो दल जिम्मेदार हैं जिनने देश के केंद्र पर 50 साल के करीब लगातार शासन किया लेकिन बावजूद उसके वो देश को एक दिशा नहीं दे पाए। रोज़गार का विकास केवल उन्हीं क्षेत्रों में हुआ जो आज़ादी से पहले से ही विकसित थे। आप ही बताएं आज़ादी के बाद हमले कौन से नए महानगर को बसा लिया? दोष स्थानीय नेताओं का ही नहीं केंद्र का है जिसने देश के लिए तय नीति नहीं बनाई। आज हर किसी को अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए अपने प्रदेश से बाहर आना पड़ता है। क्यूं नहीं ऐसे हालात बना दिए गए कि हर व्यक्ति को उसके ही राज्य में सब सुविधाएं मिलने लगे। आज भी इलाज कराने के लिए दिल्ली जैसे शहरों का रुख करना पड़ता है।

मेरा उद्देश्य महाराष्ट्र राज्य के लोगों पर टिप्पणी करना नहीं है। मेरा विरोध मात्र राज ठाकरे की हिंसक और फिरकापरस्ती नीतियों पर है। न तो उस शख्स को जनता से सरोकार है न ही महाराष्ट्र से। वह तो अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरी कर रहा है। फर्क क्या रह गया शहाबुद्दीन और राज में।
क्षेत्रीय राजनीति का ये भयंकर चेहरा है। पूत के पांव पालने में ही दिखते हैं। आज एमएनएस बिहार के लोगों के खिलाफ़ इसलिए मोर्चा खोले हुए है कि वो स्थानीय लोगों का रोज़गार छीन रहे हैं। कल को वो कोई और तर्क देकर कहेंगे की महाराष्ट्र के साथ बहुत ग़लत होता रहा है। आर्थिक व्यवस्था का केंद्र महाराष्ट्र (मुंबई) ही है, लेकिन पूरा देश इसका फायदा उठा रहा है। इसलिए हम आज़ाद होना चाहते हैं। हमें भारत के साथ नहीं रहना। इस तरह की विध्वंसक सोच पर रोक लगाई जानी बहुत ज़रूरी है।

और अगर राज को उत्तर भारतीयों के बढ़ते हस्तक्षेप से इतनी ही समस्या है तो क्यूं नहीं वो पहले सत्ता में आकर कोई कानून बनाने की सोचते। असंवैधानिक कार्रवाई करने की छूट किसने दी?
2 Responses
  1. Anonymous Says:

    i agree your idea ! very nice blog


  2. Surya Says:

    यह असंवैधानिक कार्रवाई सत्‍ता में आने का रास्‍ता है