Aadarsh Rathore
एफ़एम पर गाना बज रहा है, चल लग जा गले से मेरे ठां करके, ठां ठां करके। पहले मैं सोचने लगा कि क्या बकवास गाना है। किस हद तक पहुंच गया है आज गानों का स्तर। इतना ही सोचते सोचते चैनल बदला। इस चैनल पर गाना बज रहा था- देसी गर्ल, देसी गर्ल । यहां भी कुछ अटपटा लगा। लेकिन मैंने एक चीज़ महसूस की। वो ये कि ये दोनों गाने मुझे आकर्षक लगे। हालांकि इनका गीत लेखन (LYRICS) कुछ अटपटा ज़रूर है लेकिन कुल मिलाकर बहुत अच्छा गाना है। आजकल के चलन के मुताबिक इसमें अंग्रेजी रैप अंश भी हैं जो बेहतरीन हैं। दरअसल मैं पूर्वाग्रहों से ग्रस्त आदमी हूं। लेकिन अब मैं धीरे-धीरे हर पूर्वाग्रह से बाहर निकल रहा हूं। ठीक ऐसा ही पूर्वाग्रह गानों को लेकर भी था। हिंदी गानों में अटपटे शब्दों के इस्तेमाल और रैप के प्रयोग को मैं ग़लत समझता था और गाने को ढंग से सुने बिना ही उसके बारे में राय बना लेता था कि ये गाना बेकार है। पप्पू कांट डांस साला को सुनकर मुझे हैरानी होती थी कि आखिर कैसे ये गाना हिट हो गया। लेकिन फिर मैंने ज़बर्दस्ती इन गानों को सुना। फिर मुझे न केवल इनका संगीत बेहतर लगा बल्कि गीत (LYRICS) में कुछ अलग लगा। ख़ास कर लग जा गले से मेरे ठां करके, ठां ठां करके गाने ने तो मुझे बेहद प्रभावित किया। इस गाने में भावनाओं का सटीक अभिव्यक्तिकरण है। इसमें ठां से मिलने में एक तड़प झलकती है। ठां से गले मिलना मतलब बहुत ज़ोर से, पूरी ताकत से गले मिलना। ठां शब्द का इस्तेमाल ही प्रेमी की परिस्थिती को बयां करने में अकेला सार्थक शब्द है। इसमें एक उत्तेजना भी है और मिलन की चाह भी।

सुनने के लिए यहां से बजाएं


ठां से मिलना की कल्पना करने पर आंखों के सामने दूर से, विपरीत दिशाओं से दौड़ कर आते हुए लड़का-लड़की दिखते हैं जो टकराकर गले मिलते हैं। इस तरह ये गाना हर एक को इसी प्रकार की कल्पना में खुद को डालने के लिए अवश्य प्रेरित करता होगा। मेरा तो मानना है हर एक दीवाना खुद ठां करके गले मिलना चाहेगा। यही रचनात्मकता है। नयापन है। और खुशी की बात है कि संगीत का स्तर गिरा नहीं बल्कि एक अलग आयाम स्थापित कर रहा है। इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल भी अच्छा है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि इस तरह के गाने सार्थक ही रहें। मसलन बाबा सहगल टाइप बेतुके रैप और कबाड़ा रचना भी न बन जाए। जो लोग ठां ठां टाइप के गानों को विरोध करते हों मैं उनसे विशेष आग्रह करना चाहुंगा कि वे एक बार इन्हें ज़रूर सुनें। आपको अच्छा लगेगा। इससे न तो भाषा को हानि हो रही है न ही कुछ अटपटा लग रहा है। बल्कि एक ऐसी नवीनता झलक रही है जो आधुनिकता को समेटे हुए पुराने गानों वाला अभिव्यक्तिकरण समेटे हुए है।
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8 Responses

  1. सुन लिया..पढ़ लिया.

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.


  2. हर चीज की अपनी उपयोगिता है।
    दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ।


  3. गाना तो अच्‍छा है, दीवाली के ठॉं पटाखे की तरह :)
    आपको दीपावली की हार्दिक बधाई।


  4. आप का अन्दाज़े बयां पसन्द आया..


  5. Manish Kumar Says:

    main ye geet to nahin suna par aapki baton ko padhkar laga ki aapko

    Main to Talli Ho Gayi

    ka jikra karna chahiye tha.

    Naveenta akarshit karti hai. Aur agar sangeet sanyjan achcha ho to jhoomne ke mood mein aise geet aur bhate hain.

    Par jab aap fursat se baithkar geet sangeet se madhurya lena chahte hain to aise geet naagwaar guzarte hain.


  6. Anonymous Says:

    how can you write a so cool blog,i am watting your new post in the future!


  7. Neha Pathak Says:

    mujhe to gaane teen chaar baar sunane par lyrics samajh hi nahi aaye the.....ab padh ke pata chalaa ki gaane ke bol "aa mil jaa gale" hai......mujhe lyrics mei ho rahe naye prayogo se problem nahi hai par gaane aise bhi na gaae jaae ki ek baar sunane par atha na samajh aae....