'ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई महिला जीवन भर वर्जिन रहे। अगर उसकी इच्छाओं की पूर्ति नहीं होगी, तो वह वेश्यावृत्ति करने लगेगी। इस दुनिया में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं। ऐसे में उनका ख्याल कौन रखेगा? क्या है आपके पास कोई तरीका? नहीं न? अल्लाह ने पवित्र कुरान में इस बात का सॉल्यूशन दिया है। इस्लाम में 4 महिलाओं से शादी करने की बात इसीलिए कही गई है।'
जी हां, इस्लाम में 4 महिलाओं से शादी करने की इजाजत इसलिए दी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की 'वासना' को शांत करके उन्हें प्रॉस्टिट्यूशन में जाने से रोका जाए। यह बात मैं नहीं, पीस टीवी देखकर तालियां बजाने और वाह-वाह करने वाले मुस्लिम भाइयों के 'हीरो' डॉक्टर जाकिर नायक कहते हैं। इससे पहले कि मैं अपनी बात रखूं, आप लोग खुद ही यह यू-ट्यूब विडियो देख लें। इससे यह पुष्टि भी हो जाएगी कि वाकई जाकिर नायक ने ये बातें कही हैं या नहीं।
डॉक्टर जाकिर नायक अक्सर सेमिनारों का आयोजन करते हैं, जहां पर वह ऑडियंस के सवालों के जवाब भी देते हैं। इसी तरह के एक सेमिनार में एक शख्स ने जाकिर नायक से इस्लाम में 4 शादियों के कॉन्सेप्ट पर सवाल किया कि एक से ज्यादा महिलाओं के साथ शादी करना महिलाओं का दमन नहीं है? इस पर जाकिर ने कहा-
अगर आपको लगता है कि एक महिला से ज्यादा से शादी करना उनके साथ अन्याय करना है, तो लाखों महिलाओं का ख्याल कौन रखेगा, आप रखेंगे? पवित्र कुरान में अल्लाह ने इस समस्या का हल दिया है। इस दुनिया में मर्दों से ज्यादा महिलाएं हैं, उनका ख्याल कौन रखेगा? अगर आप हर महीने उन्हें चैरिटी देंगे, तब भी नाकाफी होगी। (अपनी बात के समर्थन में डॉक्टर जाकिर नायक कुरआन के चैप्टर नंबर 30 अर-रूम के वर्स नंबर 21 का हवाला देते हुए कहते हैं कि पुरुष और महिला के बीच में कुदरत ने प्यार और उलफ़त पैदा की है।) मैं मेडिकल डॉक्टर हूं और यह बता सकता हूं कि एक महिला जिंदगी भर वर्जिन नहीं रह सकती। यह पॉसिबल ही नहीं है। क्या होगा, वह प्रॉस्टिट्यूशन में चली जाएंगी। सॉल्यूशन कोई नहीं है। अल्लाह ने इस बात का हल दिया है।
जाकिर नायक ने इस विडियो में और बातें भी कही हैं, जैसे कि इस्लाम में 4 शादियां करने की बाध्यता नहीं है। मगर उनका यह तर्क सुनकर मेरा सिर घूम गया कि चार शादियों की व्यवस्था क्यों दी गई है। जिस दौरान डॉक्टर जाकिर नायक दूसरे धर्मों की खिल्ली उड़ा रहे होते हैं, उस दौरान सभागार में मौजूद और पीस टीवी देख रहे कुछ लोग गदगद होकर तालियां बजा रहे होते हैं। उन्हें इतना मजा आ रहा होता है कि पूछो मत। ऊपर वाले विडियो में भी आप ऐसा देख सकते है। मगर खुश होने वाले लोग ये नहीं जानते कि जाकिर नायक उन्हें गुमराह कर रहे हैं। ऊपर जो तर्क डॉक्टर नायक ने पेश किए हैं, वे तथ्यहीन होने के साथ-साथ शर्मनाक भी हैं।
1. पहली बात तो यह कि इस दुनिया में महिलाओं की तादाद पुरुषों के मुकाबले ज्यादा नहीं हैं। पूरी दुनिया का सेक्श रेशियो देखा जाए तो 101 मर्दों के मुकाबले सिर्फ 100 महिलाएं हैं। यानी महिलाओं की तादाद पुरुषों से कम है।
2. दूसरी बात यह कि महिलाएं आत्मनिर्भर क्यों नहीं हो सकतीं? अगर पुरुष उन्हें नहीं संभालेंगे तो क्या वे कुछ कर ही नहीं सकतीं? यही डॉक्टर जाकिर नायक पहले तो इस्लाम का हवाला देखकर महिलाओं पर तमाम तरह की बंदिशें लगाने की बात कहते हैं। इतनी बंदिशें कि महिलाएं आत्मनिर्भर हो ही न पाएं। फिर कहेंगे कि चूंकि महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं हैं, इसलिए उन्हें सहारे की जरूरत है।
3. जाकिर नायक का कहना है कि कोई महिला ताउम्र वर्जिन नहीं रह सकती। उनका कहने का अर्थ है कि वह सेक्स करेगी ही करेगी और अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए प्रॉस्टिट्यूशन में उतर जाएगी। यह निहायत की बेवकूफाना सोच है। प्रॉस्टिट्यूशन के धंधे में कोई अपनी वासना शांत करने भी आता हो, यह पहली बार सुना है। जहां तक वासना की ही बात है, जगजाहिर है कि वासना के अधीन होकर रेप जैसी घटनाओं को अंजाम देने में पुरुष आगे रहते हैं या महिलाएं। मगर जाकिर साहब पुरुषों को कुछ नहीं कहेंगे। उन्हें आत्मनियंत्रण की सलाह नहीं देंगे। बस महिलाओं को 'ठरकी' बताएंगे और उन्हें सलाह देंगे कि घर पर बैठी रहो, बाहर जाओ तो पर्दा करके नहीं तो रेप हो जाएगा।
4. सबसे अहम बात कि अपनी बात पर बल देने के लिए जाकिर नायक ने पवित्र कुरआन का सहाला लेते हुए सुर: अर-रूम के वर्स नंबर 21 का हवाला दिया है। अगर आप इस आयत का अर्थ जानेंगे, तो साफ हो जाएगा कि जाकिर नायक ने अपने हिसाब खुद ही ऊपर वाली मनगढ़ंत बातें कही हैं और उसका अल्लाह या कुरआन से कोई लेना देना नहीं है। [30:21] में सिर्फ इतना कहा गया है- और उसी की (कुदरत) की निशानियों में से एक यह भी है कि उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही तरह के साथी पैदा किए, जिनमें तुम चैन पा सको। उसी ने तुम दोनों के बीच प्यार और उलफत पैदा कर दी। अगर गौर करोगे तो पाओगे कि खुदा की कुदरत की इसी तरह की बहुत सी निशानियां हैं। बाकी के तर्क जाकिर नायक ने खुद जोड़े हैं।
इससे साफ होता है कि डॉक्टर जाकिर नायक जैसे लोग, जो कि कुरआन में कही गई बातों की व्याख्या अपने हिसाब से कुतर्कों के साथ कर देते हैं, वे लोग ही इस्लाम की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह अकेला यू-ट्यूब विडियो नहीं है, जिसमें जाकिर ने इस तरह की बातें की हैं। आप Dr. Zakir Naik सर्च करेंगे, तो यू-ट्यूब पर आपको हजारों विडियो मिल जाएंगे। ज्यादातर में आपको दिखेगा कि वह कैसे दूसरे धर्मों की बुराई करके इस्लाम को बेहतर दिखाने की कोशिश करते हैं। कुछ ऐसे विडियो भी आपको मिलेंगे, जो दिखाएंगे कि जाकिर नायक फ्लो में बोलते हुए मनगढ़ंत कुछ भी कह जाते हैं और वहां बैठी जनता को लगता है कि बंदे को तो दुनिया भर की चीज़ें याद हैं।
अपने ईमान, अपनी दीन को मानने और उसके प्रचार में कोई बुराई नहीं है। भारत का संविधान भी इसकी इजाजत देता है। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों के विश्वास पर प्रहार करें। इससे लोग आपके धर्म की तरफ आकर्षित नहीं होंगे, बल्कि वे नफरत करने लगेंगे। ऐसा हो भी रहा है। जो कुछ डॉक्टर नायक बोलते हैं, उसका भावार्थ यही निकलता है कि इस्लाम के हिसाब से दूसरे धर्मों और उससे अनुयायियों के लिए कोई जगह नहीं है। हिंदू, ईसाई, सिख, यहूदी और बाकी धर्मों के लोग पथभ्रष्ट हैं। खुद को इस्लामिक स्कॉलर कहने वाले जाकिर नायक के मुंह से ऐसी बातें सुनकर गैर-इस्लामिक धर्म के लोग इस्लाम के बारे में कैसी राय बनाते होंगे, आप अंदाजा लगा सकते हैं।
मेरे कुछ मित्रों को शिकायत है कि इस्लाम को लेकर बिना वजह दुष्प्रचार किया जाता है और इसी की वजह से पूरी दुनिया में इस्लामोफोबिया फैल रहा है। उनकी बात सही भी है, मगर इस बारे में भी विचार करने जरूरत है कि कहीं इस इस्लामोफोबिया के फैलने के पीछे कहीं खुद कुछ मुस्लिम ही जिम्मेदार तो नहीं। मुझे पूरा विश्वास है कि डॉक्टर जाकिर नायक जैसे लोगों को खारिज करने के लिए खुद मुसलमान ही आगे आएंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि मुस्लिम ही अपने मजहब को बेहतर जान-समझ सकते हैं। अगर उनके मजहब के बारे में कहीं से गलत राय बन रही है, तो यह उन्हीं का फर्ज है कि उसका हल कैसे किया जाए।