Aadarsh Rathore
है हृदय व्याकुल मेरा
अवरुद्ध सा यह श्वास है,
विचित्र होगा कुछ घटित
हो रहा आभास है।

नीर स्वयं हैं बहा रहे
नयनों में फिर भी प्यास है,
कथनों से मांदे हैं अधर
अब श्रवण की आस है।

क्या है ये सब, और क्यों
सृजन है या विनाश है,
हर शंका, समस्या का हल
बस तुम्हारे ही पास है। 
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