"सत्यमेव जयते के एपिसोड के लिए माफी मांगें आमिर खान- डॉक्टर"
ये पढ़कर मैं हैरान सा हूं. डॉक्टरों को सत्यमेव जयते का विरोध नहीं करना चाहिए. बल्कि उन्हें तो खुद पहल करके अपने बीच की काली भेड़ों की पहचान करके उनके खिलाफ मोर्चा खोलना चाहिए. क्योंकि कुछ एक लालची डॉक्टर्स की वजह से पेशा बदनाम हो रहा है. डॉक्टर या मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र कुछ भी सोचें लेकिन हकीकत ये है कि ये पेशा धीरे-धीरे सम्मान खोता जा रहा है.
माना कि जो व्यक्ति डॉक्टर बनता है वो अपनी काबिलियत के दम पर एक मेडिकल कॉलेज में पहुंचता है. लेकिन ये उसकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये उस व्यक्ति का सौभाग्य है कि उसकी योग्यता और क्षमता को सरकार एक बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण दिशा में इस्तेमाल करना चाहती है. सरकार चाहती है कि ये योग्य व्यक्ति डॉक्टर बने और जन के स्वास्थ्य का ख्याल रखे. इतना महत्वपूर्ण काम हर किसी ऐरे-गैरे को नहीं दिया जा सकता. इसलिए परीक्षा के माध्यम से अच्छे लोगों को चुना जाता है और वो भी लिमिटेड सीट्स के लिए. फिर सरकार उनकी पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च करती है (ऐसी प्रफेशनल एजुकेशन जिसमें सरकार प्रति छात्र सबसे ज्यादा खर्च करती है. ).
फिर इतना खर्च करने के बाद एक डॉक्टर तैयार होता है. इसमें डॉक्टरों को ये घमंड नहीं होना चाहिए कि बाकी सभी नालायक थे और हम ही इस काबिल थे जो डॉक्टर बन गए. बल्कि उन्हें गर्व होना चाहिए कि वो इस काबिल थे कि उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए चुना गया है.
क्या हो जब डॉक्टर बजाए देश के लिए काम करने के (जिसके लिए उन्हें डॉक्टर बनाया गया है) सिर्फ अपने ही हितों के बारे में सोचने लग जाएं? अब कुछ डॉक्टर (ध्यान रहे कि सिर्फ "कुछ") जो सरेआम लूट-खसोट मचा रहे हैं, उनके काम को इसलिए जस्टिफाई नहीं किया जा सकता कि सरकार से उन्हें कम सैलरी मिलती है. अजी! अगर पैसा ही कमाना है तो आप मेडिकल प्रफेशन में क्यों गए? रात को किसी चौराहे पर लिपस्टिक लगाकर खड़े हो जाओगे तो भी भरपूर पैसा आएगा.
डॉक्टरी के पेशे को सम्मान की नज़र से देखा जाता था और है भी. इसीलिए हर माता-पिता की ख्वाहिश होती थी कि उनका बच्चा डॉक्टर बने. लेकिन फिर इस ख्वाहिश की वजह बदल गई. डॉक्टर बनना मतलब पैसे की बरसात होगी.
देश में रहने वाले डॉक्टर क्या करते हैं और क्या नहीं, ये तो बाद की बात है लेकिन पिछले ही साल 3000 डॉक्टर भारत से अमेरिका चले गए? इससे देश को अरबों रुपये का नुकसान हो गया.
डॉक्टर भगवान का रूप कहे जाते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो भगवान हो गए और उनकी गलत बातों की आलोचना भी नहीं की जा सकती. डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक, अध्यापक समेत दुनिया का कोई भी अच्छा प्रफेशन अपनाने वाला आदमी अपनी जगह बराबर महत्व रखता है. डॉक्टर आसमान से नहीं टपके हैं, इसलिए उन्हें फिजूल की बहस करने से बचना चाहिए और गलतियों को स्वीकार करके उनमें सुधार करना चाहिए.
ध्यान रहे कि अच्छे और बुरे लोग हर व्यवसाय में हैं. डॉक्टरों को भी इनसे अलग नहीं रखा जा सकता. किसी चीज़ में सुधार तभी हो सकता है जब पहले ये स्वीकार किया जाए कि सुधार की गुंजाइश है. अगर सब कुछ परफेक्ट होने के मुगालते में रहना तो फिर बहस यहीं खत्म हो जाती है.