लघुकथा की भाषिक संरचना / बलराम अग्रवाल
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यह लेख मार्च 2024 में प्रकाशित मेरी आलोचनात्मक पुस्तक 'लघुकथा का साहित्य
दर्शन' में संग्रहीत लेख 'लघुकथा की भाषिक संरचना' का उत्तरांश है। पूर्वांश
के लि...
1 week ago
इन्ही सब प्रश्नों में हम इंसान हमेशा उलझे रहते है ...
.nice
पता नही जी
सही लिखा है महाराज....गूढ़ अर्थ है इसमें
सच तो एक पहेली है... जो अब तक न किसी की समझ में आई और शायद न आ पाए... लेकिन फिर सबका भरोसा इसी सच पर टिका है...
मुझे लगता है की-
"सत्य
जगत का सबसे बड़ा मिथ्या"
के स्थान पर -
"सत्य
जगत की सबसे बड़ी मिथ्या"
होना चाहिए.