जब से घर से वापस आया हूं तब से कुछ उदास हूं। घर गया तो एक उत्साह था, सोचा था इस बार अपने शहर में कुछ नया देखने को मिलेगा। जोगिन्दर नगर, हिमाचल प्रदेश के मण्डी ज़िले का एक प्रमुख क़स्बा। यही वह जगह है जहां पर देश के प्रथम हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन ने काम करना शुरु किया था। वो भी अंग्रेजों की बदौलत। अंग्रेजों ने पावर हाउस बनाने के मकसद से सामान ढोने के लिए रेलवे लाइन बिछाई थी जो अब तक जस की तस पड़ी है। उस लाइन पर एक इंच की बढ़ोतरी नहीं हुई, हां जोगिन्दर नगर से पावर हाउस तक जाने वाली लाइन ज़रूर बंद हो गई है।
यहां के विधायक ठाकुर गुलाब सिंह जी इस वक्त हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग में मंत्री पद पर आसीन हैं। इसलिए मैंने सोचा था कि इस बार उन्होंने ज़रूर इलाके के लिए कुछ खास किया होगा। सड़कें एकदम मखमल सी होंगी, कई नई योजनाएं शुरु की होंगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला। इससे पहले भी ठाकुर साहब कई बार महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे हैं। ठाकुर गुलाब सिंह कई बार इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। हर बार पार्टी बदलकर उन्होंने सत्ता सुख का आनंद लिया। कभी बीजेपी की सरकार में रहे तो कभी कांग्रेस की सरकार में। लेकिन जनाब ने इलाके में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया।
ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये जोगिन्दर नगर बस स्टैंड की है। ये सड़क कई सालों से ऐसी ही है। बस स्टैंड का नया भवन बन गया लेकिन इसकी हालत नहीं सुधरी। और तो और जो सड़क मंत्री जी के पैतृक गांव और मुख्य क़स्बे को जोड़ती है, उसकी हालत ये है कि गड्ढे गिन-गिनकर थक जाओगे। इतने सालों में क्षेत्र में एक अच्छा शिक्षण संस्थान नहीं खुल पाया। एक पटवारी प्रशिक्षण संस्थान खुला है जिसका कोई लाभ नहीं।
अंग्रेज जो विकास कर गए थे उसके बाद तरक्की की रफ्तार बहुत मंद रही। अच्छा शिक्षण संस्थान और स्कूल न होने की वजह से अच्छे डॉक्टर आदि भी इस कस्बे में नहीं आना चाहते। खेल सुविधाओं के नाम पर फूटी कौड़ी खर्च नहीं की गई। मेला ग्राउंड नाम से प्रसिद्ध मैदान जो किसी वक्त स्थानीय सरकारी स्कूल की संपत्ति थी, आज उसे टैक्सी स्टैंड में तब्दील कर दिया गया है। उसकी दुर्दशा पर आंसू बहाने के अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता। जहां तक एक बड़े ग्राउंड, जो शहर से बाहर की तरफ है, का सवाल है तो वहां स्टेडियम बनाने के नाम पर लाखों का खर्च दिखाया गया। हकीकत ये है कि स्टेडियम के नाम पर बेहूदा सी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है जिसने मैदान की जगह भी कम कर दी है।
कछुए की गति से अस्पताल के भवन का निर्माण हो रहा है। पिछले माह कॉलेज के साइंस ब्लॉग का उद्घाटन किया गया। ऐसे वक्त जब कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। ये काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। मंडी से पठानकोट जाने वाला राजमार्ग शहर के बीच से गुज़रता है। महत्वपूर्ण मार्ग होने के कारण सेना के ट्रक और अन्य भारी वाहनों का लगातार आवागमन होता रहता है। तंग सड़कें होने के कारण हादसों का अंदेशा लगातार बना रहता है। एक बाईपास रोड की ज़रूरत है लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।
पर्यटन की भी जोगिन्दर नगर में अपार संभावनाएं हैं। पैरा ग्लाइडिंग लर्निंग स्पॉट, ऐतिहासिक पावर हाउस आदि होने की वजह से इसे अच्छी तरह विकसित किया जा सकता है। लेकिन हमारे नेताओं को सरकारी कर्मचारियों की ट्रांसफर करवाने से ही फुरसत नहीं मिलती।
वहीं हमारे बगल का विधानसभा क्षेत्र है धर्मपुर। महेन्द्र सिंह वहां के विधायक हैं। महेन्द्र सिंह की लोकप्रियता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विगत 25 सालों में उन्होंने 5 बार अलग-अलग पार्टी के टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और हर बार विजयी हुए। बड़े-बड़े दिग्गज उनके आगे नतमस्तक हो गए। अभी हाल ही उन्हें धूमल सरकार में परिवहन मंत्री का पद दिया गया। पद मिलने के अगले दिन ही उन्होंने धर्मपुर में रोडवेज़ का डिपो खोलने की घोषणा कर दी। अब भला जनता को क्या चाहिए।
जोगिन्दर नगर के विधायक ठाकुर गुलाब सिंह एक अच्छे वक्ता हैं। अपनी भाषण के बूते ही हर बार वो गोली देकर जनता को उल्लू बना देते हैं। और दूसरा तबका जो उनका समर्थन करता है वो हैं सरकार कर्मचारी। ये लोग अपनी ट्रांसफर इलाके से बाहर न होने देने के लिए साहब के पिछलग्गू बने रहते हैं। हालांकि इसी रवैये के कारण उन्हें पिछली बार हार का स्वाद भी चखना पड़ा था लेकिन उन्होंने सबक नहीं लिया।
भोली-भाली पहाड़ी जनता भाषणों की गोली खाकर ही संतुष्ट है। गांवों में निर्वाह कृषि करके वो खुश रहती है और ज्यादा सपने नहीं देखती। इसी का फायदा उठाकर हर बार ये नेता सत्ता सुख उठाते रहते हैं और इलाके की ऐसी-तैसी कर देते हैं। ऐसे में दु:ख तो होगा ही।
यहां के विधायक ठाकुर गुलाब सिंह जी इस वक्त हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग में मंत्री पद पर आसीन हैं। इसलिए मैंने सोचा था कि इस बार उन्होंने ज़रूर इलाके के लिए कुछ खास किया होगा। सड़कें एकदम मखमल सी होंगी, कई नई योजनाएं शुरु की होंगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं मिला। इससे पहले भी ठाकुर साहब कई बार महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे हैं। ठाकुर गुलाब सिंह कई बार इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। हर बार पार्टी बदलकर उन्होंने सत्ता सुख का आनंद लिया। कभी बीजेपी की सरकार में रहे तो कभी कांग्रेस की सरकार में। लेकिन जनाब ने इलाके में विकास के नाम पर कुछ नहीं किया।
ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये जोगिन्दर नगर बस स्टैंड की है। ये सड़क कई सालों से ऐसी ही है। बस स्टैंड का नया भवन बन गया लेकिन इसकी हालत नहीं सुधरी। और तो और जो सड़क मंत्री जी के पैतृक गांव और मुख्य क़स्बे को जोड़ती है, उसकी हालत ये है कि गड्ढे गिन-गिनकर थक जाओगे। इतने सालों में क्षेत्र में एक अच्छा शिक्षण संस्थान नहीं खुल पाया। एक पटवारी प्रशिक्षण संस्थान खुला है जिसका कोई लाभ नहीं।
अंग्रेज जो विकास कर गए थे उसके बाद तरक्की की रफ्तार बहुत मंद रही। अच्छा शिक्षण संस्थान और स्कूल न होने की वजह से अच्छे डॉक्टर आदि भी इस कस्बे में नहीं आना चाहते। खेल सुविधाओं के नाम पर फूटी कौड़ी खर्च नहीं की गई। मेला ग्राउंड नाम से प्रसिद्ध मैदान जो किसी वक्त स्थानीय सरकारी स्कूल की संपत्ति थी, आज उसे टैक्सी स्टैंड में तब्दील कर दिया गया है। उसकी दुर्दशा पर आंसू बहाने के अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता। जहां तक एक बड़े ग्राउंड, जो शहर से बाहर की तरफ है, का सवाल है तो वहां स्टेडियम बनाने के नाम पर लाखों का खर्च दिखाया गया। हकीकत ये है कि स्टेडियम के नाम पर बेहूदा सी बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है जिसने मैदान की जगह भी कम कर दी है।
कछुए की गति से अस्पताल के भवन का निर्माण हो रहा है। पिछले माह कॉलेज के साइंस ब्लॉग का उद्घाटन किया गया। ऐसे वक्त जब कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। ये काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। मंडी से पठानकोट जाने वाला राजमार्ग शहर के बीच से गुज़रता है। महत्वपूर्ण मार्ग होने के कारण सेना के ट्रक और अन्य भारी वाहनों का लगातार आवागमन होता रहता है। तंग सड़कें होने के कारण हादसों का अंदेशा लगातार बना रहता है। एक बाईपास रोड की ज़रूरत है लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।
पर्यटन की भी जोगिन्दर नगर में अपार संभावनाएं हैं। पैरा ग्लाइडिंग लर्निंग स्पॉट, ऐतिहासिक पावर हाउस आदि होने की वजह से इसे अच्छी तरह विकसित किया जा सकता है। लेकिन हमारे नेताओं को सरकारी कर्मचारियों की ट्रांसफर करवाने से ही फुरसत नहीं मिलती।
वहीं हमारे बगल का विधानसभा क्षेत्र है धर्मपुर। महेन्द्र सिंह वहां के विधायक हैं। महेन्द्र सिंह की लोकप्रियता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विगत 25 सालों में उन्होंने 5 बार अलग-अलग पार्टी के टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और हर बार विजयी हुए। बड़े-बड़े दिग्गज उनके आगे नतमस्तक हो गए। अभी हाल ही उन्हें धूमल सरकार में परिवहन मंत्री का पद दिया गया। पद मिलने के अगले दिन ही उन्होंने धर्मपुर में रोडवेज़ का डिपो खोलने की घोषणा कर दी। अब भला जनता को क्या चाहिए।
जोगिन्दर नगर के विधायक ठाकुर गुलाब सिंह एक अच्छे वक्ता हैं। अपनी भाषण के बूते ही हर बार वो गोली देकर जनता को उल्लू बना देते हैं। और दूसरा तबका जो उनका समर्थन करता है वो हैं सरकार कर्मचारी। ये लोग अपनी ट्रांसफर इलाके से बाहर न होने देने के लिए साहब के पिछलग्गू बने रहते हैं। हालांकि इसी रवैये के कारण उन्हें पिछली बार हार का स्वाद भी चखना पड़ा था लेकिन उन्होंने सबक नहीं लिया।
भोली-भाली पहाड़ी जनता भाषणों की गोली खाकर ही संतुष्ट है। गांवों में निर्वाह कृषि करके वो खुश रहती है और ज्यादा सपने नहीं देखती। इसी का फायदा उठाकर हर बार ये नेता सत्ता सुख उठाते रहते हैं और इलाके की ऐसी-तैसी कर देते हैं। ऐसे में दु:ख तो होगा ही।
apna ghar bharne ke alawa karte hi kya hain neta
apna ghar bharne ke alawa karte hi kya hain neta
प्याले का टेस्ट चेंज हो रहा है आदर्श भाई। पहले प्यार और अब ये। कहीं नेतागीरी करने का इरादा तो नहीं है। अपन तो फुल सपोर्ट में खड़े मिलेंगे। बता देना।
आपकी बातों से इत्तेफाक है।
( Treasurer-S. T. )
आप हिमाचल में ही रहकर पत्रकारिता क्यों नहीं करते। वहाँ लोगों में चेतना पैदा कीजिए। यहाँ दिल्ली में बैठकर दुखी होने से नहीं चलेगा।
हर जगह एक ही हाल है भाई। आपका लिखा पढ़ कर मुझे अपने गृह राज्य की याद आ गई। नेता अमीर हो रहे हैं और जनता ग़रीब।
हर जगह का यही हाल है.
हर जगह समान माहौल है. नेता लोग काम करके राजी नहीं हैं.
join Politics and work 4 ur people
sirf dosh dene se kucch nahi ho sakta aadarsh bhayi... humein bhi milkar aage aana hoga... waise main aapke dard ko samajh sakta hun...
अरे पुरे भारत का यही हाल है, लेकिन जनता क्योनही पुछती इन नेताओ से, क्यो इन्हे बार बार वोट देती है...
सही कह रहे हैं!
बंधू, आपके लेख को पढ़ कर मुझे लगता है की मेरा ख़याल वास्तविकता से काफी दूर है. यूं तो मैं हमेशा से कांग्रेस का समर्थक रहा हूँ, परन्तु, मुझे लगता था की जितना काम भाजपा सरकार ने सडकों के निर्माण में किया है, उतना किसी अन्य सरकार ने नहीं किया.
मैं शिमला जिला के रहने वाला हूँ, यहाँ पर भी जो सड़क निर्माण का कार्य भाजपा सरकार के दौरान शुरू हुआ था, वह कांग्रेस के राज में थाप हो गया था. अब दोबारा भाजपा के वापिस आने पर काम पुनः शुरू हुआ है.
शायद शिमला वासियों को गलत फहमी है की भाजपा सरकार शिमला को अनदेखा कर हिमाचल के निचले स्थानों की तरफ अधिक ध्यान देती है.
सही लिखा है आदर्श जी लेकिन ये नेता कबसे हितैषी हो गये इलाके के, ये तो अपना मतलब साधते हैं, चाहे वहीं के लोकल नेता से मंत्री बने हो या बाहर आकर
भीगी बिल्ली जी,
दरअसल वाकई कांग्रेस के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश दो हिस्सों में बंट गया था। इस बारे में जल्द ही जानकारी जुटाकर अपने विचार पेश करूंगा
आदर्शजी मै तो ये कहना चाहूंगा कि अंग्रेजों ने इस देश को इतना नहीं लूटा जितना कि इन नेताओं ने....
नेता आते हैं और वोट लेकर निकल जाते हैं... सब जगह एक जैसा ही हाल है...
adarsh ji, desh aur samaj ke bare me apki chinta jayaj hai. is chinta ko chintan banayen. naya rasta nikalen.
shubhkamnayen.
-virendra vats
leader ko gali dena bahut aasan hai,hum log neta ban jai to insa bhi adhik lutanga, samja aadarsh bhai
ये मेरे वतन के लोग...
ये मासूम वतन के लोग...
कितना ये सहते हैं... फिर भी चुप रहते है...
http://nayikalam.blogspot.com/
हाँ आदर्श भाई, लिखा तो सही है तुमने. जब से होश संभाला है ठाकुर साहब की जय जयकार सुनी है. जब हारे थे तो जनता खुश हुई थी, हमने भी सोचा था कि कुछ तो बदलाव दिखेगा. लेकिन हुआ क्या? जैसा चाचा वैसा भतीजा. जब कुर्सी नहीं थी तब मंत्री महोदय की सेहत एकदम डावांडोल हो गयी थी, सत्ता में आये तो चेहरे पे नूर आ गया. ये तो भला हो कर्नल बैटी का जो शानन पावर हॉउस बना गए वरना जोगिन्दर नगर वो भी ना होता जो आज है. अंततः अस्पताल बना है, डाक्टर नहीं हैं. कोई भी कोई आना नहीं चाहता. आखिर किया क्या है इन सब लोगों ने अपनी बड़ी बड़ी कोठियां बनाने के सिवा? बस चुनाव के वक्त आश्वासन देते हैं. बस अब आप से ही आशा है.