गोपाल सिंह नेगी
सुबह से ही काम में बहुत ज्यादा व्यस्त था। गुड़गांव में एक मीटिंग के सिलसिले में गया था। मीटिंग काफी देर तक चली और सफल भी रही। उसके बाद मैं वहां से दोबारा ऑफिस की ओर चल दिया। रास्ते में सोचा थोड़ा संगीत का आनंद उठा लिया जाए। मैंने अपने ड्राइवर महोदय को एफएम चलाने को कहा। उन्होंने एआईआर एफएम गोल्ड लगा दिया और हम दोनों मधुर और कर्णप्रिय संगीत का आनंद उठाने लगे। दोपहर के 12:30 बज रहे थे और समाचार का समय हो गया था। जो मुख्य खबर थी वो ये कि संसद की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गयी है। कारण बताया गया कि कुछ बीएसपी सांसदों ने हंगामा कर दिया। बीएसपी सांसद सत्ता पक्ष पर आरोप लगा रहे थे कि सरकार मायावती की विशेष सुरक्षा हटाने के बारे मे सोच रही है। "इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता" मैंने अपने मन में सोचा। समाचार समाप्त हुए और फिर से संगीत शुरु हो गया। मैं ऑफ़िस पहुँचा और काम मे लग गया। शाम तक मैं काफ़ी थक चुका था। मैंने जेम्स को आवाज़ दी और एक चाय बनाने के लिए कहा। जेम्स 18 साल का सांवला लड़का है। झारखंड के आदिवासी बहुल इलाक़े से आया है, बहुत ही मेहनती लड़का है। बस थोड़ा कम पढ़ा लिखा है। वो चाय लेकर आया। मैंने चाय की चुस्कियाँ लेते हुए सोचा कि जेम्स से कुछ बात की जाए। मैने पूछा जेम्स तुम्हारे घर मे कौन-कौन हैं, क्या करते हैं वगैरह-वगैरब…..। वो हिन्दी के शब्दों को जोड़ते हुए हर सवाल का जवाब देने लगा। फिर मैंने पूछा “जेम्स पढ़ाई कहाँ तक की है?” वो बोला “सर छोटा था तो गया था स्कूल….फिर नहीं गया” मैने पूछा “क्यों?”
जेम्स “सर घर मे पैसा कम था…..तो नहीं पढ़या…..तभी हमारे गावों मे लाइट नहीं था…..आज भी लाइट नहीं है…..घर वाले बोले उज्जला नहीं है तो पढ़ोगे कैसे…..फिर छोड़ दिया स्कूल.”
उसके मुंह से ये सच्चाई सुनकर मैं द्रवित हो गया। ठीक उस वक़्त मेरे मन में दोपहर 12:30 बजे की तस्वीर उभर आई जब मैं आकाशवाणी पर समाचार सुन रहा था। संसद मे इस बात को लेकर बवाल था कि मायावती जी की वो विशेष सुरक्षा हटाई जा रही है जिस पर संभवता हर साल लाखों रूपये खर्च होते होंगे। और जेम्स इस लिए नहीं पढ़ पाया कि उसके घर वाले ग़रीब थे। संसद की कार्यवाही उन लोगों की सुरक्षा को लेकर स्थगित कर दी जाती है जो दूसरों का घर जलाकर अपना आशियाना रोशन करते हैं। वहीं जेम्स का गांव आज भी रोशनी से महरूम है। संसद की कार्यवाही पर हर घंटे कितना धन व्यय होता है ये जगजाहिर है, अगर स्थगन के समय की धन राशि का एक भी हिस्सा जेम्स के गावों में पंहुच जाता तो शायद आज जेम्स भी पढ़ा लिखा होता...
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25 Responses
  1. कहीं धूप .. कहीं छांव .. यही तो दुनिया है !!


  2. skyenews Says:

    गोपाल भाई इन लोगो का तो सब कुछ हो सकता है लेकिन ये लोग देश का कुछ नहीं कर सकते या नहीं करना चाहते.
    बहुत ही तथ्यात्मक विवेचन प्रस्तुत किया आपने......यूँ ही लिखते रहिए....


  3. देश की विडंबना है गोपाल भाई
    देश का बुरा हाल है, इसीलिए मैंने सोचा है कि राजनीति में जाना है और कुछ करना है


  4. Unknown Says:

    जनाब अब ये तो सियासत मे होता ही है. उनकी दरो-दीवार, शाबो रोज़ रोशन रहती हैं और ये तभी मुमकिन है जब मुल्क का कोई तबका अपनी ज़िंदगी बेनूर रहकर गुज़र दे.


  5. @ AADARSH
    I dont think u can do anything good for country by joining politics. Good thoughts cant survive in politics


  6. Unknown Says:

    आदर्श भाई आप इस सियासी खेल मे शरीक होने का खाब रखते हैं आपका इस्तक्बाल है मगर कहीं आप भी इन्ही सरकारी नुमाएंदों की तरह अपने ही मुस्तकबिल को रोशन करने मे मत लग जाना.
    आपके नेक मकसद मे खुदा आपको कामयाबी दे,,,,
    आमीन


  7. Yachna Says:

    राजनीतिज्ञ सिर्फ अपना मकसद पूरा करने में जुटे रहते हैं. इन्हें देश और जनता से कोई मतलब नहीं


  8. गोपाल जी
    मैं आपकी लेखन शैली का कायल हो गया हूँ। कहाँ से कहाँ बेहद रोचक ढँग में लिखते हैं आप। सरलता से सामाजिक मुद्दे उठाते हैं ये मुझे बेहद पसँद है।


  9. Anonymous Says:

    maine dekha hai is blog me mayawati ke khilaaf jahar ugla ja rha hai. kya akeli mayawati hi galat hai?


  10. गोपाल जी देश की यहीं विडंबना है कि एक ओर तो धूप है तो दूसरी ओर छांव, लेकिन मन तब दुखी होता है जब लोगों का नेतृत्व करने वाले नेता उनके ही पैसे से मौज करते हैं और दूसरी ओर गरीब जनता पैसे की कमी की वजह से पढ तक नही पाती जैसे की जेम्स नही पढ़ पाया


  11. Anonymous Says:

    maine dekha hai is blog me mayawati ke khilaaf jahar ugla ja rha hai. kya akeli mayawati hi galat hai?


  12. Anonymous Says:

    maine dekha hai is blog me mayawati ke khilaaf jahar ugla ja rha hai. kya akeli mayawati hi galat hai?


  13. Anonymous Says:

    यार ये जेम्स अगर नहीं पढ़ पाया तो इसमे बहन मायावती का क्या कसूर. ऐसी बेफ़िजूल की बातें मत लिखा करो यार.
    जय भीम, जय भारत


  14. ऐसे कई जेम्स अभी भी अशिक्षित हैं। गोपाल जी आपने अरसे से ठेकेदार ब्लाग पर नहीं लिखा। किसी दिन वहां भी मुद्दा उठाइए। इंतजार करूंगा


  15. Anonymous Says:

    keep it up bro...
    ur blog in very nice


  16. Unknown Says:

    Dear Bro
    Cicero said: The authority of those who teach is often an obstacle to those who want to learn.

    I really impressed with your blog and your article. I have never seen a blog like this who elevate the social issues in very touchy and intresting manner...PYALA IS REALLY JOYFUL.......


  17. आदर्श भाई
    आज तो अनोनीमस टिप्पणिकर्ताओं की बाढ़ ही आ गई है। हैरानी की बात तो ये है कि किसी ने मेरे नाम से ही टिप्पणी कर दी है। हा हा हा
    क्या बात है, मामला गड़बड़ लग रहा है। कहीं खुद ही किसी से टिप्पणियां तो नहीं करवा रहे। खैर, मजाक कर रहा हूं।
    गोपाल सिंह जी ने अच्छा विषय उठाया है। कई मुद्दे लंबित पड़े हैं लेकिन संसद में टीपी सीरियलों पर बहस हो रही है। शर्मनाक बात है ये।


  18. Unknown Says:

    दुष्यंत याद आ रहे हैं...
    कहाँ तो तय था चिरागां हर-एक-घर के लिए...
    कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए.....!!!
    www.nayikalam.blogspot.com


  19. सज्जाद भाई,
    अभी तक तो अपने इरादों पर दृढ़ रहा हूं। कई अवसर आए लेकिन चाहकर भी अपने आदर्शो से समझौता नहीं कर पाया। मुझे पूरा विश्वास है खुद पर कि मैं डिगूंगा नहीं।
    कलम का सिपाही जी, मुझे खुद टिप्पणियां करवाने की ज़रूरत नहीं। मुझे टिप्पणीकर्ता नहीं पाठक चाहिए। और आप जैसे मित्र तो मेरा ब्लॉग पढ़ते ही हैं। ऐसे में मैं भला क्यों टिप्पणी कराउंगा या करूंगा। जिनको टिप्पणियों की चाह हो वो टिप्पणी कराते होंगे। लेकिन वाकई आज कुछ अतिरिक्त ही हो गया है। खैर छोड़िए, मैं समझ गया कि ये किसकी शरारत है।


  20. Anonymous Says:

    meri shararat hai. chay banana bura kaam hai kya


  21. इस लेख के सन्दर्भ मे कुछ गुमनाम व्यक्तियों ने बिना सोचे समझे कुछ टिप्पणिया कर दी हैं… ….जो लोग ये कहते हैं की इस ब्लॉग मे मायावती की खिलाफ सिर्फ़ ज़हर उगला जाता है वो पुराने और नये सभी संबंधित लेखों को ध्यान से पढ़े और तत्पश्चात टिप्पणी करें…..भैया आपका नसीब तो जेम्स से काफ़ी अच्छा है की आप लोग पढ़े लिखे हो…
    बहरहाल जो लोग नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए मैं बता दूं की संसद की एक घंटे की कार्रव्ाही के दौरान 34,500 रुपये खर्च होते हैं…अब आप अनुमान लगा लीजिए की अगर सदन का पूरा दिन मायावती की सुरक्षा और टी वी धारावाहिकों की भेंट चढ़ जाए तो हमारा कितना धन व्यर्थ हो गया…..और भाई साहब रही चाय बनाना की बात तो चाय बनाना तो बिल्कुल भी बुरी बात नहीं है, लेकिन कभी आप इस दौर से गुजरें तो आपको अहसास होगा की वातानूकूलित कमरों मे बैठकर जो चाय की गरमा गरम चुस्कियाँ आप और हम लेते हैं उसमे किसी की कितनी मजबूरी और कितना दर्द घुला रहता है.


  22. आदर्श भाई, एक पैराग्राफ का बाद कुछ खाली जगह तो छोड़ दिया करिए.


  23. hmmmmmmmm...

    baat to sochne wali hai...


  24. नेगी जी जिस दिन ये बात हमारे नेताओं को पता लग जाएगी उस दिन इस देश की तस्वीर ही अलग होगी....


  25. Crazy Codes Says:

    ye to apne desh ki chhoti si ghatna hai...
    6th salary scheme ko lagu karne mein saalon lagte hai aur us beech 6 baar netaon ke vetan badhte hai...
    ye hai humara INDIA...