Aadarsh Rathore
अक्सर आपने बच्चों को ये कहते सुना होगा कि मैं बड़ा होकर पायलट बनूंगा, डॉक्टर बनूंगा इत्यादि। ज़ाहिर है हम सभी ने बचपन में ऐसा ही कोई न कोई ख्वाब संजोया होगा। हम में से ज्यादातर के ख्वाब या तो वक्त के साथ बदल गए या फिर किसी कारण पूरे नहीं हो पाए। लेकिन क्या बचपन में देखे गए ‘ख्वाबों’ को ख्वाब कहना सही है? छोटी उम्र में बच्चे को यह तक पता नहीं होता कि वह जो बनने की बात कह रहा है, वह आखिर चीज़ क्या है। वह तो ये सब इसलिए कहता है क्यूंकि उसे यह माता-पिता या परिवार के ही सदस्यों द्वारा सिखाया जाता है। जब बच्चा नया-नया बोलना सीखता है तो उसे रटाए जाने वाले आधारभूत वाक्यों मसलन, नाम, माता-पिता का नाम आदि की श्रेणी में एक वाक्य यह भी होता है कि आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हो ? घर में आए मेहमानों के सामने बच्चे का इसी तरह से मॉक इंटरव्यू लिया जाता है। यानि काफी हद तक ये बच्चे अपनी सोच नहीं होती, बल्कि इस तरह की सोच बना दी जाती है। बच्चा इसी रट को लिए बड़ा हो जाता है। ऐसे में प्राय: यही रट उसके जीवन का ‘उद्देश्य ’ बन जाती है। यहां तक कि जब वह किशोर होता है तब भी उसके लिए यह सवाल अंग्रेजी या हिंदी की परीक्षा में 10-15 अंको का मसाला बन जाता है। अंग्रेजी या हिंदी के पेपर में आपके जीवन का उद्देश्य विषय पर निबंध लिखने को आता है। बच्चे अक्सर इस सवाल का जवाब देने के लिए किसी किताब से निबंध रट लेते हैं और यथावत लिख देते हैं। इस निबंध में भी जीवन के उद्देश्य को बहुत ही संकुचित करके बताया गया होता है। सवाल जीवन के उद्देश्य के बारे में पूछा जाता है और जवाब करियर के बारे में दिया जाता है।
क्या करियर बनाना ही जीवन का उद्देश्य होता है? मेरे लिए जीवन के उद्देश्य के मायने करियर से थोड़े अलग हैं। करियर आपके जीवन का एक लक्ष्य हो सकता है लेकिन उद्देश्य नहीं। मेरे विचार से जिंदगी का उद्देश्य करियर बना कर नाम, पैसा और सम्मान कमा लेना मात्र नहीं है। इन सबसे हटकर कोई ऐसा काम कर गुज़रने की तमन्ना है जिसके पूरा होने के बाद आप इस शांति और तसल्ली से मर सकें कि मेरा जीवन व्यर्थ नहीं गया। और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए करियर एक रास्ता हो सकता है। यानि अच्छा करियर जीवन उद्देश्य नहीं बल्कि उद्देश्य पूरा करने का एक माध्यम है। और ये उद्देश्य आपका खुद का चुनाव होता है न कि किसी प्रभाव या आकर्षण की देन। उद्देश्य किसी के द्वारा थोपा भी नहीं जा सकता। इसका चयन आपको खुद को ही करना होता है कि आप आखिर जी क्यूं रहे है? अगर आपने इस तरह का उद्देश्य नहीं चुना है तो जल्दी चुन लीजिए नहीं तो जीवन के अंतिम समय में आप खुद को कोसते रह जाएंगे कि मैंने तो अपनी जिंदगी बिना कुछ किए ही गंवा दी। बल्कि ये तो उस लापरवाही का नतीजा है जिसके कारण आज समाज से नैतिक मूल्यों का पत्तन हो रहा है। लोगों के जीवन का एकमात्र लक्ष्य पैसा कमाना हो गया है। अपने लिए तो हर प्राणी जीता है। अगर हम मानव हैं तो क्यूं न अपने जीवन का ऐसा परम् लक्ष्य निर्धारित करें जिनसे संपूर्ण मानवता लाभान्वित हो। उदाहरण के लिए मानव के जीवन स्तर को पहले से ज्यादा उन्नत, सभ्य, और विकसित करने में अपना योगदान देना जीवन का उद्देश्य हो सकता है। माता-पिता को भी चाहिए कि बच्चे को बजाए करियर के बारे में सिखाने के जीवन के नैतिक लक्ष्यों के बारे में शिक्षा दें ताकि वक्त के साथ उन लक्ष्यों को हासिल करना उसके जीवन का उद्देश्य बन जाए। उस उद्देश्य को हासिल करने के लिए वह किस करियर का चुनाव करता है, उस पर छोड़ दें। बच्चे को लक्ष्य और उद्देश्य में भेद बताएं और बजाए यह पूछने के कि आप क्या बनना चाहते हो ये पूछना शुरू करें कि जिंदगी में क्या करना चाहते हो?
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4 Responses
  1. सटीक और सार्थक आलेख !!


  2. अच्छी बात कही आप ने धन्यवाद


  3. शुक्रिया..ब्लॉग का लिंक देने के लिए..


  4. vikas yadav Says:

    aapka pyala wakai kuchh dm rakhta h......