Aadarsh Rathore
10 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के नोटों में हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की तस्वीर छपी देखते हैं। लेकिन आने वाले समय में हो सकता है आपको ये तस्वीर देखने को न मिले। इसके स्थान पर नए चेहरे को जगह मिल सकती है। और वो नया चेहरा कोई और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती हो सकती हैं। जीते जी अपनी मूर्तियां बनवाकर खुद की उनका उद्घाटन करने वाली मायावती अगर प्रधानमंत्री बनती हैं तो मुझे लगता है उनकी सबसे पहली कोशिश यही रहेगी। महत्वाकांक्षी मायावती अभी से जब दलित उद्धार के नाम पर करोड़ों रुपयों का दुरुपयोग कर अपनी मूर्तियां लगवा सकती हैं तो उन्हें इस कदम को उठाने में कोई परेशानी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में मायावती दलितों के लिए कितना काम कर रही हैं, इसकी पोल इन इलेक्शन्स में खुल गईं। जब कई इलाकों के लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की तो कई पत्रकार वहां पहुंचे। वहां के लोगों की दयनीय हालात देखकर आपको भी रोना आ जाता। मायावती हर मंच से ये कहती फिरती हैं कि दलितों के घर में सोने, उनके साथ रहने, खाना-खाने से दलितों का भला नहीं होता। अरे तो क्या मूर्तियां लगवाने से भला होता है? लखनऊ वाले तो जानते ही होंगे कि सरकारी धन का कितना दुरुपयोग किया जा रहा है। दिल्ली वालों को देखना हो तो नोएडा चले जाएं। फिल्म सिटी के बाहर एक दीवार बनाई जा रही है। यहां पर एक पार्क भी बनेगा जिसमें डॉ. अम्बेडकर और अन्य दलित आइकन्स समेत मायावती की विशाल प्रतिमा बनाई जाएगी। सुनने में आता है कि इस योजना में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आने वाला है।

जब मायावती दलितोद्धार के नाम पर इस तरह से जीते जी अपनी मूर्तियां बनवा सकती हैं तो प्रधानमंत्री बनने पर जाने क्या-क्या करेंगी। कल को ये तर्क देंगी की महात्मा अगड़ी जाति से थे। इस देश की बहुसंख्यक जनता का ध्यान रखते हुए वो अपनी तस्वीर छपवा देंगी, भले ही आप सब मिलकर कितना भी विरोध करें। तब 1000 रुपये का नोट कुछ ऐसा दिखेगा।
13 Responses
  1. समरथ को नही दोष गुसांई।


  2. सुना है कि चमड़े का सिक्का तो हुमायूं के ज़माने में भी चला था।:)


  3. मायावती का भव्य स्टेच्यू दलितों का उद्धार ही तो है, आप क्यूँ रोड़ा अटका रहे हैं?


  4. क्या फर्क पड़ता है मूर्तियों से....देश का पैसा ही बर्बाद होता है...जब देश के लोगों को देश के बर्बाद होने से फर्क नहीं पड़ता तो ये तो वैसे भी सिर्फ देश का पैसा ही है....आप चाहें तो मायावती के समर्थकों से पूछ लीजिए....


  5. अगर इससे आगे की कल्पना करें तो शायद हो सकता है कि कल को दिल्ली का नाम बदल कर "मायापुरी" रख दिया जाए......और इस देश का "दलितस्तान".


  6. Amit Bhardwaj Says:

    हो सकता है जब मायावती दलित का राग अलापकर मुख्यमंत्री की सीट तक पहुंच सकती है तो शायद प्रधानमंत्री की सीट तक भी पहुंच जाए...और शायद जो आप कर रहे है कि नोट पर महात्मा गांधी की जगह उनकी फोटो...ये भी हो सकता है...कोई बड़ी बात नहीं....


  7. अभी तथाकथित बापू की फोटो भी वहां इसी मानसिकता के तहत लगाई जाती है. क्या किसी देश के नोट पर किसी व्यक्ति की फोटो सामंती मानसिकता की द्योतक नहीं है? और गान्धी का फोटो क्या कॉंग्रेसियों के उद्धार के लिए नहीं है?


  8. मूर्ति लगती है तो लगने दीजिये...बाकी मूर्तियों की तरह इन पैर भी कबूतर बीट ही करेंगे...रही बात नोटों पर मायावती की तस्वीर की तो जनाब...न वे कभी प्रधानमन्त्री बन पाएंगी और न ही कभी ऐसा हो पायेगा...


  9. मायावती को छोड़िये. अगर आप पीएम बन जायें तो आप क्या क्या करेंगे. एक बढिया घोषणापत्र तैयार करके अपने ब्लाग पर प्रकाशित कीजिये. मैने भी किया है. मैं समझता हूं कि नये विचारों को सामने लाने के लिये ऐसा जरूरी है.
    http://ankurthoughts.blogspot.com/2009/05/blog-post.html


  10. क्या हुआ जो देश को चलाने वाले संकुचित सोच रखते हैं.
    क्या हुआ जो देश के भविष्य की चिंता से ज्यादा नेताओं को अपनी विरासत बनाने का ख्याल है.

    क्या हुआ जो देश को कभी मराठी तो कभी दलित मुद्दों का सामना करके शर्मसार होना पड़ता है.
    क्या हुआ जो लोकतंत्र के नाम पर नंगा नाच बनकर रह गई है राजनीति पर नहीं कसा जा रहा शिकंजा.
    कुछ नहीं हुआ..
    और कुछ नहीं होगा...जब तक हम जागेंगे नहीं बस हमारे जागने की दरकार है उसके बाद
    मायावती का भव्य स्टेच्यू मायावती का हाथी ही रौंदेगा.


  11. "महत्वाकांक्षी मायावती अभी से जब दलित उद्धार के नाम पर करोड़ों रुपयों का दुरुपयोग कर अपनी मूर्तियां लगवा सकती हैं तो उन्हें इस कदम को उठाने में कोई परेशानी नहीं होगी..."

    कम से कम उसके जाने के बाद निशानी तो रहेगी... ;))

    बहुत सुन्दर बातें आपने उठायी हैं...

    ~जयंत


  12. इससे 1000रु के नोट की कीमत कम या ज्यादा तो नहीं होने वाली है न?


  13. Neha Pathak Says:

    मायावती कों प्रधानमंत्री बनानी से रोकने के लिए अगर खुद राजनीति करनी पडी तो मैं उसके लिए भी तैयार हूँ...
    पूरे उत्तर प्रदेश में १६ जनवरी के दिन बिजली नहीं आती है, क्यूंकि १५ जनवरी के दिन बसपा वाले मायावती का जन्मदिन मनाने के लिए पूरे लखनऊ कों बिजली से रौशन कर देते है, उसके बाद ये भी कहते है की बेहें जी ने अपना जन्मदिन सादगी से मनाया, केक भी नहीं काटा. कभी मौका मिला तो मायावती कों जन्मदिन पर केक भेजूंगी और कहूँगी की पूरे उ. प्र. कों बिजली संकट में डालने से अच्छा केकही काट लीजिये.