मंत्री बदले या बदले सरकार
ऐसे न थमेगा ये नरसंहार,
चूहे बन बैठे हैं अब हम
करना होगा पहले स्वीकार...
कड़ी सज़ा क्या देंगे उनको
जिनको अब तक पकड़ न पाए,
जो पहले से ही पकड़ में हैं
वो तो जेल में बिरयानी खाएं।
(पूर्व गृहमंत्री के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि आतंकियों को पकड़कर उन्हें 'पूरी' सज़ा दी जाएगी)
लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है
आधारशिला है भ्रष्टाचार,
हर क्षेत्र में, हर दफ्तर में
रिश्वतखोरी है नैतिक अधिकार
दो पैसों में बिकते हैं पुलिसिए
गली-मोहल्ले, चौराहों पर
चिकन तोड़, उड़ा कर दारू
करते हैं कमाई गुनाहों पर।
पग-पग पर ज़ख्म देते है नेता
करते हैं भारत मां का अपमान
फिर भी हमको है गौरव
लोकतंत्र में रहने का अभिमान.......
हम तुम पर भी तो लानत है
अपनी ही दुनिया में खोए हैं,
आग लगी है खटिया में फिर भी
चद्दर ताने सोए हैं।
बहुत हुई कमरे में चर्चा,
जज़्बा अपना तुम सबको दिखाओ,
जुबां की छुरियां कुंद हो गईं
वज्र सम नव शस्त्र बनाओ।
मत करो उम्मीद किसी से
मत किसी से गुहार लगाओ,
'मौत' से डर लगता है गर जो
उठो चलो शहीद हो जाओ।
(उपरोक्त पंक्तियों का आशय है कि अकाल मृ्त्यु से डर लगता है तो क्यों न सामने आकर लड़ाई लड़कर शहीद हुआ जाए.... मरते वक्त डर नहीं लगेगा, गर्व होगा)
ऐसे न थमेगा ये नरसंहार,
चूहे बन बैठे हैं अब हम
करना होगा पहले स्वीकार...
कड़ी सज़ा क्या देंगे उनको
जिनको अब तक पकड़ न पाए,
जो पहले से ही पकड़ में हैं
वो तो जेल में बिरयानी खाएं।
(पूर्व गृहमंत्री के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि आतंकियों को पकड़कर उन्हें 'पूरी' सज़ा दी जाएगी)
लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ है
आधारशिला है भ्रष्टाचार,
हर क्षेत्र में, हर दफ्तर में
रिश्वतखोरी है नैतिक अधिकार
दो पैसों में बिकते हैं पुलिसिए
गली-मोहल्ले, चौराहों पर
चिकन तोड़, उड़ा कर दारू
करते हैं कमाई गुनाहों पर।
पग-पग पर ज़ख्म देते है नेता
करते हैं भारत मां का अपमान
फिर भी हमको है गौरव
लोकतंत्र में रहने का अभिमान.......
हम तुम पर भी तो लानत है
अपनी ही दुनिया में खोए हैं,
आग लगी है खटिया में फिर भी
चद्दर ताने सोए हैं।
बहुत हुई कमरे में चर्चा,
जज़्बा अपना तुम सबको दिखाओ,
जुबां की छुरियां कुंद हो गईं
वज्र सम नव शस्त्र बनाओ।
मत करो उम्मीद किसी से
मत किसी से गुहार लगाओ,
'मौत' से डर लगता है गर जो
उठो चलो शहीद हो जाओ।
(उपरोक्त पंक्तियों का आशय है कि अकाल मृ्त्यु से डर लगता है तो क्यों न सामने आकर लड़ाई लड़कर शहीद हुआ जाए.... मरते वक्त डर नहीं लगेगा, गर्व होगा)
bahut achhe
सही कहा आपने इस्तीफा देने से किसी समस्या का हल नहीं मिल सकता। इस्तीफा देना मतलब जिम्मेदारी से भागना।
बहुत हुई कमरे में चर्चा,
जज़्बा अपना तुम सबको दिखाओ,
bas itnaa hi
ये सब के दिल की बात को आप ने अपने ब्लॉग पर बड़ी ही संजीदगी से कह दिया ,
भाई हम सब की बात आप ने अपनी कलम से यहा लिख दी, आज यह हर भारतीया का सवाल है.
धन्यवाद
देश के नेताओं की हालत देखकर मैं सोच रहा था कि क्यों ना एक नया सिस्टम बनाया जाये.चुनाव का नया तरीका, नये लोग, नये तरह की सरकार, नया संविधान यानि कि लोकतंत्र का वर्जन २.०
जैसे कि हमें कंप्यूटर सिस्टम में समय समय पर आपरेटिंग सिस्टम अपग्रेड करना पड़ता है वैसे ही इस सिस्टम में भी कुछ अपग्रेड किया जाये नये पैचेज, अपडेट्स(नये कानून) और साफ़्टवेयरों(नये लोग) से लोकतंत्र वर्जन २.० बनाया जा सकता है.
एक बात और मैं सोच रहा था कि देश में एक एक से अच्छे मैनेजमेंट गुरू हैं, इंजीनियर हैं, शिक्षाविद हैं. इनका उपयोग केवल कंपनियों में ही क्यों हो रहा है सरकार में क्यों नही. नये सिस्टम में नये लोगों को मौका दिया जाये. असल में लोकतंत्र २.० जनता द्वारा चुने लोगों की नही बल्कि स्वयं जनता की सरकार हो. लो.२.० में नये लोगों की भर्ती हो पुरानों कि रिटायर किया जाये अथवा दूसरा काम दिया जाये. ये तेजी से हो ताकि नये नये विचारों के लोग आयें और विकास तेज हो.
अभी वाले सिस्टम में दिक्कत ये है कि लोग लंबे समय तक एक ही राजनीति में लटके रहते हैं और अच्छे नये एक्सपर्ट्स को मौका नही मिल पाता है. दूसरा कारण: "नंगो" से तो भगवान भी डरते हैं तो फ़िर ये तो केवल अच्छे लोग ही हैं. इन्हे भी तो डर लगता है. इसी वजह से ये राजनीति में नही उतरते हैं.
तीसरा कारण: देश चालाना सिखाने का कोई ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फ़िलहाल मेरी जानकारी में नही है. इस वजह से लोगों राजनीति में आने से पीछे हटते हैं.
ये बात अभी मैंने पूरी नही कही है.ये केवल टाइटल है, कहानी तो एक्सपर्ट्स(जिन्हे देश के कोने कोने से इकट्ठे होकर सलाह मश्वरा करना होगा) की मदत से बनेगी अगर आपको इसमें कुछ अच्छा समझ में आता है और इसपर कुछ आगे सोचा जा सकता है तो अपने विचार जरूर दें.
आप एक पत्रकार हैं आपको मुझसे बेहतर समझ है इसीलिये तो इस विषय में एक "एक्सपर्ट" से बात कर रहा हूं.
मेरी पिछली कमेंट को देखकर कुछ लोग ऐसा भी कह सकते हैं कि मैं इतना छोटा सा कुछ ज्यादा ही कूद रहा हूं.
इस बारे में मैं कहना चाहूंगा कि आप और भी बेहतर रास्ता खोजें.और हो सके तो सिस्टम को ठीक भी करें.
सही कहा आपने इस्तीफा देने से किसी समस्या का हल नहीं मिल सकता। इस्तीफा देना मतलब जिम्मेदारी से भागना।
सही लिखा आपने।
सबसे अच्छी पोस्ट है यह...जो शहीद हुए है वह अमर हो गये हैं..
i agree your idea ! very nice blog