दिन गुज़रे, गुज़रे महीने
गुज़र गए प्रिय बंधु साल
मग्न रहे हम दुनिया में अपनी
लील गया खुशियों को काल।
आशाएं टूटी, हौंसले टूटे
कुछ प्रियवर कुछ अपने छूटे
पहले रूठी ये जीवनधारा
फिर जाने किसने वो सपने लूटे...
दृष्टि लुप्त, अवरुद्ध कर्ण है
श्वास स्थगित, स्पंदन है बाधित
संवेदनहीन पड़े हस्त चरण हैं
रुधिर प्रवाह भी पड़ा अवलंबित
खुद तक ही यदि संकुचित रहता
दुष्प्रभाव इस घटनाक्रम का
तो दुखी न होता मैं हँसता रहता
समझ कर खेल नीयती के क्रम का
फिर सुनता हूँ जब अंत: कर्णों से
हर कहीं से सिसकी और करुण कराह
दिखता है जब खंडित खंडित
छिन्न भिन्न सबका उत्साह
अश्रु नहीं आते आँखों से
चिंगारी सी कुछ आती है
रोना तो कब का छोड़ दिया है
अब मृत्यु साक्षात् गाती है
बस बहुत हुआ, न और सहूंगा,
आतंक के विष को न पी पाऊंगा
अब तो बस निश्चय है मेरा
मार दूंगा या...मर जाऊँगा...
देश भर में दशकों से जारी आतंकवाद पर
गुज़र गए प्रिय बंधु साल
मग्न रहे हम दुनिया में अपनी
लील गया खुशियों को काल।
आशाएं टूटी, हौंसले टूटे
कुछ प्रियवर कुछ अपने छूटे
पहले रूठी ये जीवनधारा
फिर जाने किसने वो सपने लूटे...
दृष्टि लुप्त, अवरुद्ध कर्ण है
श्वास स्थगित, स्पंदन है बाधित
संवेदनहीन पड़े हस्त चरण हैं
रुधिर प्रवाह भी पड़ा अवलंबित
खुद तक ही यदि संकुचित रहता
दुष्प्रभाव इस घटनाक्रम का
तो दुखी न होता मैं हँसता रहता
समझ कर खेल नीयती के क्रम का
फिर सुनता हूँ जब अंत: कर्णों से
हर कहीं से सिसकी और करुण कराह
दिखता है जब खंडित खंडित
छिन्न भिन्न सबका उत्साह
अश्रु नहीं आते आँखों से
चिंगारी सी कुछ आती है
रोना तो कब का छोड़ दिया है
अब मृत्यु साक्षात् गाती है
बस बहुत हुआ, न और सहूंगा,
आतंक के विष को न पी पाऊंगा
अब तो बस निश्चय है मेरा
मार दूंगा या...मर जाऊँगा...
देश भर में दशकों से जारी आतंकवाद पर
बस बहुत हुआ, न और सहूंगा,
आतंक के विष को न पी पाऊंगा
अब तो बस निश्चय है मेरा
मार दूंगा या...मर जाऊँगा...
ये आतंक असहनीय हो गया है
हम सब साथ है | क्षत्रियों को अपना फर्ज निभाना है ..........
हम सब साथ है | क्षत्रियों को अपना फर्ज निभाना है ..........
अश्रु नहीं आते आँखों से
चिंगारी सी कुछ आती है
रोना तो कब का छोड़ दिया है
अब मृत्यु साक्षात् गाती है
-sach mein ab dilon mein aakrosh hai--sankalp hain--
bahut khub kaha aapne. narayan narayan
बहुत बढ़िया लिखा आपने.
सही कहा आप ने मर जाउगा या मार दुगां...
नफ़रत ओर नफ़रत है बस इन सुयरो के लिये.
बहुत सटीक कहा ! बहुत वेदना का समय है !
रामराम !
बहुत सटीक...
सुन्दर रचना अन्तिम लाइनें विशेष तौर पर अधिक अच्छी.
can u leave ur phone number to me???