डीएनडी फ्लाई ओवर से 'उड़कर' आने वाली गाड़ियों के रजनीगंधा चौराहे पर रुकते ही भिखमंगों की ब्रिगेड़ आक्रमण कर देती है। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ, गाड़ी जैसे ही रुकी, सड़क के दोनों ओर खड़े भिखारियों का समूह ने हमला कर दिया। भिखारियों के इस समूह में ज्यादा तादाद में बच्चे और महिलाएं थीं जो गोद में दुधमुहों को लिए भीख मांग रही थीं। दिल्ली की सड़कों पर लगभग हर सिग्नल पर यही हाल है। मैंने देखा कि एक औरत अपने चेहरे पर बनावटी करुण भाव लाकर (जो थोड़ी देर पहले अपनी सखी से ठिठोली कर रही थी लेकिन सिग्नल रेड होते ही उसके चेहरे के भाव बड़ी तेज़ी से बदले थे) और आवाज़ में ग़जब की कर्कश दयनीयता लाकर पैसे मांग रही थी।
कल ही मैंने इसे दूसरे चौराहे, जो कि रजनीगंधा से 5 किलोमीटर दूर है, पर देखा था। जितने में वो मिन्नते मांगते हुए पैसा मांग रही थी, उसकी में बैठे डेढ़ दो साल के बच्चे की नज़र मेरे बगल में बैठी एक महिला के पर्स पर गड़ी रही। वो अपेक्षा कर रहा था कि कब वह अपने पर्स से कुछ निकालती है। ये नज़ारा देख मेरे मन में जो भाव पैदा हुआ उसे मैं अब तक नहीं समझ पाया हूं। कल इसी चौराहे पर कुछ बच्चे हाथों में कुछ किताबें लिए आए थे। मुझे हल्की सी प्रसन्नता हुई थी कि कम से कम ये भीख तो नहीं मांग रहे। भले ही इनकी हालत दयनीय है लेकिन ये भीख मांगने के बजाय किताबें बेचकर कुछ कमाई कर रहे हैं। मैंने भी एक बच्चे से एक मैग्ज़ीन खरीदी थी लेकिन आज वही बच्चा तेल का कटोरा लिए शनिदान मांग रहा था। गाड़ी आगे बढ़ी... आगे वाले सिग्नल पर पर फिर हम रुके....। इस बार नज़ारा कुछ अलग था। दो औरतों ने एक युवती, जिसकी उम्र मुश्किल से 20 साल रही होगी, को पकड़ा था और गाड़ी वालों के सामने जा जा कर पैसे मांग रही थीं। मेरे सामने एक गाड़ी थी इस वजह से मैं उन औरतों सिर ही देख पा रहा था। मैं जानना चाह रहा था कि आखिर ये कौन सा नया तरीका होगा भीख मांगने का। मैं उनका गाड़ी की ओट से बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था। इतने में सिग्नल ग्रीन हुआ और बगल वाली गाड़ी झर्रर्र.. से निकल गई......अब दोनों औरतें और युवती मेरे सामने थी। जो दृश्य मेरे सामने था उसे देख मेरे होश उड़ गए थे। बीच वाली युवती गर्भवती थी... उसके अधनंगे उदर की नुमाइश कर दोनों औरतें उस युवती की मजबूरी बता कर पैसे मांग रही थीं। मेरे सोचने समझने की क्षमता जवाब दे चुकी थी। इतने में एक झटके के साथ हमारी गाड़ी आगे बढ़ गई। मैं पूरे रास्ते और अभी तक इस सोच से परेशान हूं कि ये क्या हो गया है लोगों को..? मासूमों से भीख मंगवाना तो देखा था लेकिन अब मातृत्व को भी मजबूरी बताकर उस बच्चे के नाम पर भीख मांगना शुरु कर दिया है...? जिसने नन्ही जान ने इस दुनिया में पहली सांस भी नहीं ली है, उसके नाम पर भीख मांगी जा रही है। शर्म इन भिखारियों को नहीं, हर उस इंसान को आनी चाहिए जो चौराहों अपनी 'दरियादिली' का परिचय देते हुए भीख देता है। इन्ही चंद 'दरियादिल' लोगों की वजह से इन्हें भीख मांगने की आदत लगी है, और इन्हीं लोगों ने आज एक बच्चे से जन्म से पहले ही भीख मंगवा दी.....
कल ही मैंने इसे दूसरे चौराहे, जो कि रजनीगंधा से 5 किलोमीटर दूर है, पर देखा था। जितने में वो मिन्नते मांगते हुए पैसा मांग रही थी, उसकी में बैठे डेढ़ दो साल के बच्चे की नज़र मेरे बगल में बैठी एक महिला के पर्स पर गड़ी रही। वो अपेक्षा कर रहा था कि कब वह अपने पर्स से कुछ निकालती है। ये नज़ारा देख मेरे मन में जो भाव पैदा हुआ उसे मैं अब तक नहीं समझ पाया हूं। कल इसी चौराहे पर कुछ बच्चे हाथों में कुछ किताबें लिए आए थे। मुझे हल्की सी प्रसन्नता हुई थी कि कम से कम ये भीख तो नहीं मांग रहे। भले ही इनकी हालत दयनीय है लेकिन ये भीख मांगने के बजाय किताबें बेचकर कुछ कमाई कर रहे हैं। मैंने भी एक बच्चे से एक मैग्ज़ीन खरीदी थी लेकिन आज वही बच्चा तेल का कटोरा लिए शनिदान मांग रहा था। गाड़ी आगे बढ़ी... आगे वाले सिग्नल पर पर फिर हम रुके....। इस बार नज़ारा कुछ अलग था। दो औरतों ने एक युवती, जिसकी उम्र मुश्किल से 20 साल रही होगी, को पकड़ा था और गाड़ी वालों के सामने जा जा कर पैसे मांग रही थीं। मेरे सामने एक गाड़ी थी इस वजह से मैं उन औरतों सिर ही देख पा रहा था। मैं जानना चाह रहा था कि आखिर ये कौन सा नया तरीका होगा भीख मांगने का। मैं उनका गाड़ी की ओट से बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था। इतने में सिग्नल ग्रीन हुआ और बगल वाली गाड़ी झर्रर्र.. से निकल गई......अब दोनों औरतें और युवती मेरे सामने थी। जो दृश्य मेरे सामने था उसे देख मेरे होश उड़ गए थे। बीच वाली युवती गर्भवती थी... उसके अधनंगे उदर की नुमाइश कर दोनों औरतें उस युवती की मजबूरी बता कर पैसे मांग रही थीं। मेरे सोचने समझने की क्षमता जवाब दे चुकी थी। इतने में एक झटके के साथ हमारी गाड़ी आगे बढ़ गई। मैं पूरे रास्ते और अभी तक इस सोच से परेशान हूं कि ये क्या हो गया है लोगों को..? मासूमों से भीख मंगवाना तो देखा था लेकिन अब मातृत्व को भी मजबूरी बताकर उस बच्चे के नाम पर भीख मांगना शुरु कर दिया है...? जिसने नन्ही जान ने इस दुनिया में पहली सांस भी नहीं ली है, उसके नाम पर भीख मांगी जा रही है। शर्म इन भिखारियों को नहीं, हर उस इंसान को आनी चाहिए जो चौराहों अपनी 'दरियादिली' का परिचय देते हुए भीख देता है। इन्ही चंद 'दरियादिल' लोगों की वजह से इन्हें भीख मांगने की आदत लगी है, और इन्हीं लोगों ने आज एक बच्चे से जन्म से पहले ही भीख मंगवा दी.....
स्वभाव से अति भावुक होते हुए भी सड़क पर भीख मांगते बच्चों को देखकर मुझे कभी दया नहीं आती. कारण, क्योंकि मुझे लगता है अगर इन्हे आज भीख दे दी, तो एक तो इनके माता पिता, जब तक शरीर इजाज़त देगा, और बच्चे पैदा करते रहेंगे, दूसरे ये बच्चे कल बड़े होकर इसी धंधे में लगे जायेंगे यानी जितने ज़्यादा बच्चे पैदा करो, (कोई शिक्षा और स्वास्थ्य की तो चिंता है नहीं) उतनी अधिक कमाई.
शर्म इन भिखारियों को नहीं, हर उस इंसान को आनी चाहिए जो चौराहों अपनी दरियादिली का परिचय देते हुए भीख देते हैं। इन्ही चंद दरियादिल लोगों की वजह से इन्हें भीख मांगने की आदत लगी है, और इन्ही लोगों ने आज एक बच्चे से जन्म से पहले ही भीख मंगवा दी..............
" ये लेख पढ़ कर दिल भावुक हो गया है, हमे भी रोज ही ऐसे नजारों से रूबरू होना पड़ता है, कभी छोटे छोटे बच्चों को भीख मांगते देख बहुत दया भी आती है , मगर जवान लड़कियों और ओरतौं को देख कर गुस्सा भी बहुत आता है, एक दो बार उनसे कहा भी की काम करोगी घर मे , तो इनकार कर दिया, आज तक समझ नही आया काम करने की बजाय इस तरह सडक पर भीख मांगने मे क्या अच्छा लगता है इन्हे... , ये भी ठीक है इनको भीख नही डैनी चाहिए , और साथ साथ कुछ ऐसा भी कानून हो की भिखारियों को रोका जाए इस तरह सडको पर भीख मांगने से... दयनीय भी है और निंदनीय भी .."
Regards
achcha lekh.....
lekin vishay lambi bahas ka hai....
आज काम की कमी से कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहता...भीख मांगने वालों से बडी गल्ती भीख देनेवालों की होती है।
किसी जरुरत मंद की मदद करनी चाहिये, किसी भूखे को रोटी भी देना अच्छा है, लेकिन यह लोग ना तो मजबुर है, ओर ना ही भिखारी, इस लिये इन्हे कभी भी दान नही देना चाहिये..... कयोकि हम इन्हे पेसा दे कर इन की आदते बिगाड रहे है, ओर कोई इन्हे काम दे कर देखे कभी काम को हाथ नही लगायेगे.
यह इन का धंधा है, ओर इन मेसे चोर उच्चके भी बहुत होते है.
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर लेख. भीक हम नहीं देंगे कोई और देगा. इन्हें रोक पाना मुश्किल लगता है. आभार.
bahut achha lekh,magar ye dandha ban chala hai.over population,aur kaam chori.
शानदार लेख है। लेकिन इस धंधे की जड़ें बड़ी गहरी हैं दोस्त। कोख में भीख मांगता बच्चा वाकई काफ़ी दर्दनाक है, लेकिन ये बेरहम लोग भीख के लिए बच्चों को भी किराए पर भी ले लेते हैं। बहुत शानदार, कोशिश जारी रहनी चाहिए।
aadarsh... nazar thodee aur painee hotee ja rahee hai... achchha laga ki tumne us bachche ka dard bayan kiya jo dhartee per aane se pahle hi bhikharee ban gaya...
Very good!
very good ararsh. unn bhavanao ko vacha dedi.jo humesha man me uthti hey.