Aadarsh Rathore
टीवी पर नज़रें गड़ाए बैठा था। मुंबई में आतंकवादी हमले पर समाचार चैनल पर मंत्री जी (नाम लेना उचित नहीं समझता) से सीधे बात की जा रही थी। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:
एंकर: मंत्री जी... कोई भी देश में घुस आता है, सरेआम सड़कों पर फायरिंग करता है.... सीएसटी और कई महत्वपूर्ण जगहों में बेधड़क घुस कर लोगों की जान ले लेता है। ऐसे में देशवासी खुद को कैसे सुरक्षित मानें..... क्या हो रहा है देश में..?
मंत्री: देखिए.... बिना मतलब की बात मत कीजिए..... आतंकवादी कभी बताकर हमला नहीं करते
एंकर: मंत्री जी अगर आतंकी बताकर हमला करते होते, चेतावनी देकर हमला करते होते तो फिर बात ही क्या थी... कोई भी अपनी जान बचा लेता.... सीधा सा सवाल ये है कि क्या ये हमारी सुरक्षा एजेंसियों और पूरे गुप्तचर तंत्र की विफलता है या नहीं....
मंत्री: देखिए आप सुरक्षा कर्मियों की शहादत पर सवाल उठा रहे हैं.....
एंकर: कमाल है....! हमने ऐसा कब कहा.......?

ये तो हाल हैं हमारे देश के नेताओं के। जिनसे पूछा क्या जाता है और जवाब क्या देते हैं। नाम के मंत्री है सब। क्षमा चाहता हूं कठोर टिप्पणिय़ों के लिए लेकिन जो हककीत है, उससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। ये लोग समय रहते इंतज़ाम नहीं करते...फिर अगर कहीं कोई घटना हो जाए तो जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। यहां तक की सवाल उठाने वाले पर ही आरोप मढ़ देते हैं। ये पैसा किस बात के ले रहे हैं?
अब तक मैंने जितना देखा, सुना, पढ़ा है... मैंने आज तक किसी देश में इतना कमज़ोर कैबिनेट नहीं देखी। हमारे पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह अंतर्राष्ट्रीय घोटाले में फंस कर देश की किरकिरी कराते हैं। गृह मंत्री शिवराज पाटिल कहने भर को मंत्री हैं, उनने दिल्ली धमाकों के दौरान बार-बार कपड़े बदलकर ही अपनी 'प्रतिबद्धता' ज़ाहिर कर दी थी। श्रीप्रकाश जायसवाल को देखकर लगता है कि अभी-अभी नींद से उठकर आए हैं। कहां धमाके हो रहे हैं.. उन्हें इस बारे में जानकारी ही नहीं रहती। उनका एटिट्यूड ऐसा दर्शाता है कि उन पर ये जिम्मेदारी थोपी गई है। अगली बार आप उन्हें टीवी पर देखें तो मेरी बातों को ध्यान में रखें और तय करें की मैं गलत हूं या सही...। रक्षामंत्री एंटनी इतने कमज़ोर हो गए कि मूर्च्छित हो गए। हालांकि इस तरह की दिक्कत किसी के साथ भी पेश आ सकती है लेकिन अब क्या कहें। आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान पहले रखना चाहिए। कल को देश की कोई मिसाइल मिस हो जाए तो आप क्या करेंगे? प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगते हैं कि वो सोनिया गांधी की कठपुतली हैं। इसमे आप सोनिया को दोष नहीं दे सकते। अगर ऐसा है भी तो सिर्फ इसलिए कि मनमोहन सिंह में राजनैतिक इच्छा शक्ति और नेतृत्व क्षमता अभाव है। अन्यथा देश के प्रधानमंत्री होने के नाते आप कोई चला नही सकता। आपको अपना दम खुद दिखाना होता है। यानि हर मंत्रालय का लगभग यही हाल है। ऐसे में हम क्या करें जब हमारे नेता ही ऐसे हैं.... इनसे कोई उम्मीद नहीं रखी जा सकती। मुझे ये कहने में कोई परेशानी नहीं है कि आज जितने भी लोग राजनीति में आ रहे हैं.. सिर्फ और सिर्फ अपने घर नोटों से भरने के लिए। देश को लूट रहे हैं सभी नेता। ये सत्ता इसलिए नहीं हासिल करते कि विकास कराना है, इसलिए कररते हैं ताकि नोट छापे जा सकें। पार्टियों में सत्ता पर आने में विकास की होड़ नहीं लगती.... होड़ लगती है कि कौन 5 साल में सबसे ज्यादा जेबें भरता है। कोई है जो जनसेवा को लक्ष्य बनाता है?

हमें चाहिए कि कोसने की इस आदत को महज बातों तक ही सीमित न रखें। हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि जिस चीज़ से हम संतुष्ट नहीं हैं, उसे बेहतर बनाने के लिए खुद ही प्रयास करें। हमें खुद राजनीति में आना चाहिए। एक प्रण करके, एक लक्ष्य के साथ। तभी देश की हालत सुधर पाएगी.....
लेबल: |
7 Responses
  1. Gyan Darpan Says:

    क्षमा चाहता हूं कठोर टिप्पणिय़ों के लिए लेकिन जो हककीत है, उससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।

    इन नेताओ के लिए तो कठोर टिप्पणियों के लिए भी शब्द कम पड़ जाते है देश का दुर्भाग्य है जो ऐसे नेता केबिनेट में है |


  2. ye log to neta kahalane ke hakdar bhee nahi. narayan narayan


  3. इसी तरह की ऊटपटांग बातचीत मैने भी टीवी में सुनी. वो कुछ ऐसी थी कि एंकर पूछता था आपका नाम क्या है और नेता बोलता था कि मेरे दो हाथ दो पैर हैं.
    ये लिंक भी देखिये
    http://ankurthoughts.blogspot.com/2008/07/blog-post.html


  4. यही नेता कमीने ओर सुयर है , अगली बार जब वोट दे तो इन्हे मत दे, अगर मांगने आये तो मौं पर थुक दे, आप ने बहुत उचित बात कही साले वोट मांगने सए पहले कुछ ओर भीख मिल जाने पर कुछ ओर, इन के खान दान को ओर इन्हे कीडे पडे मरे साले बाकी सभी गालिया इन के नाम.
    धन्यवाद


  5. mangilaljain Says:

    anankvadiyo ke bas mulayam lalu paswan amarshing lapata hee.


  6. Alpana Verma Says:

    इस लेख में मुंबई के उप्मुख्मंत्री और गृहमंत्री जी की कही बातें कैसे शामिल नहीं हैं--
    उन्होंने तो सब से चिंताजनक बात कही '-उनका कहना है कि बड़े शहरों में इस तरह की एकाध घटनाएं हो जाती हैं।
    यह उन की और उनके जैसे नेताओं की सोच बताती है!बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण भी है.


  7. Anonymous Says:

    where you come from!