Aadarsh Rathore
2 Responses
  1. काबिले तारीफ़....मैं तो अभी तक सोच रहा हूँ....कि इतनी अच्छी प्रस्तुति कैसे संभव है?....मेरे लिए एक पहेली ही है.....
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    विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
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    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....


  2. Unknown Says:

    really same on us yaar....