कहते हैं राजनीति बहुत गंदी है, लेकिन सवाल है कि उसे गंदा बनाया किसने. नेताओं ने??? नहीं भाई, इसे आप और हमने मिलकर गंदा बनाया है। हमने कभी गलत आदमी क वोट देकरतो कभी वोट ही न देकर ऐसा किया है। हमारी लापरवाही रही हो या मूर्खता लेकिन हमने ऐसे-ऐसे नेता चुन लिए हैं जो निरंतर हमें बेवकूफ बना रहे हैं। अनपढ़ लोगों को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है और हम दोबार उसी को विजयी बना देते हैं। लेकिन इस बार तो हद ही हो गई। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडी (यू) के प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के खिलाफ सरेआम अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणी की है। राबड़ी देवी ने छपरा में चुनावी सभा के दौरान नीतीश और ललन सिंह के खिलाफ असंसदीय टिप्पणी की। राबडी देवी ने अपने पति और सारण संसदीय सीट से आरजेडी उम्मीदवार लालू प्रसाद के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान यह टिप्पणी की थी। राबड़ी ने कहा 'ललन सिंह, नीतीश का साला है और नीतीश, ललन सिंह का साला है। इसलिए दोनों को हाथ में हाथ मिलाते हुए देखा जाता है। राबड़ी ने इसके आगे यह भी कहा है कि नीतीश ने मीडिया, कोर्ट सबको अपनी मुट्ठी में कर लिया है। जेडीयू के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने इसे निंदनीय बताते हुए कहते हैं कि यह बहुत आश्चर्य की बात है कि बिहार में करीब साढ़े सात साल शासन करने वाली राबड़ी देवी जैसी नेता अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी कर रही हैं। लेकिन शायद शिवानंद तिवारी को ये बात समझ नहीं आ रही कि अनपढ़, गंवार और मूर्ख को कभी अक्ल नहीं आ सकती। इस मुद्दे पर जितनी राजनीति होनी हो, होती रहे। लेकिन ये घटना इन नेताओं के मानसिक दीवालियापन को दिखाती हैं। उससे भी बड़ी बेवकूफ है वो जनता जो ऐसे मूर्ख नेताओं को चुनती है। बार-बार राष्ट्रबोध पर प्रहार करना नहीं चाहता, लेकिन दिल से वही शब्द निकल रहे हैं, इसे हिन्दुस्तान कहूं या मूर्खिस्तान????? खैर कोई बात नहीं, सब एक जैसे हैं, चुनिए एक बार फिर ऐसे नेता और भारत को डूबते हुए देखते रहिए...
लघुकथा की भाषिक संरचना / बलराम अग्रवाल
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यह लेख मार्च 2024 में प्रकाशित मेरी आलोचनात्मक पुस्तक 'लघुकथा का साहित्य
दर्शन' में संग्रहीत लेख 'लघुकथा की भाषिक संरचना' का उत्तरांश है। पूर्वांश
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1 week ago
सही कहा, लालू ने राबड़ी को सीएम बनाकर गलत परंपरा शुरू की थी
Gandi Raajneeti aisa hi karwati hai
भाई बार-बार देशवासियों को मूर्ख कहना सही नहीं है, जनता का हिस्सा आप भी हैं, लेकिन बढ़िया लेख
सही कहा आपने
Sir aap bahut acha likhte hai..
सभी चाहते हैं कि देश में भगत सिंह जैसा क्रांतिकारी पैदा हो लेकिन उनके घर में नहीं वरन पडोसी के घर में. वे नाले के किनारे खड़े होकर व्यवस्था को कोसते रहेंगे परन्तु उस व्यवस्था को तैयार करने हेतु मतदान के दिन छुट्टी मनाएंगे या फिर देश पर अहसान करके मतदान केंद्र तक पहुँच भी गए तो अचानक उन्हें याद आता है कि अरे! फलां प्रत्याशी तो अपनी जात - बिरादरी का है, या फलां प्रत्याशी तो मेरा चहेता फिल्मस्टार है.
जो राष्ट्र या समाज अपने इतिहास से सबक नहीं लेता वह उसे दुहराने को अभिशप्त होता है. भारत के पास सबक सीखने को एक लम्बा इतिहास है, परन्तु उसे याद रखने लायक स्मरणशक्ति अब भारतीयों में नहीं रही.........
निशाचर से पूरी तरह सहमत… मुगल साम्राज्य भारत में लौटकर रहेगा… क्योंकि वाकई भारतवासियों ने इतिहास से सबक न सीखने की कसम खा रखी है…
गुस्सा ना करे । हम भाग्यवादी लोग है,अवतार होगा ,हमारे लिये लड़ेगा । अब आपके समुदाय का भगवान आयेगा तो वो आपकी रक्षा करेगा ,जब हमारे वाले की बारी आयेगी तो हम भी बच ही जाएँगे । मतदान करें या ना करें मंदिर की दानपेटी में नोटों का दान ज़रुर करें भगवान तुरंत आएँगे ।
राजनीति को गंदा हम लोगों ने ही बनाया है। आज कोई मां-बाप नहीं चाहते कि उनका बेटा राजनीति में जाए। वैसे भी ईमानदार रहकर राजनीति में तरक्की करना मुश्किल है। पहले से ही ऐसे दिग्गज बैठे हैं जो न आपको आगे बढ़ने देंगे और नही देश को। समझ नही नहीं आता कि वोट दें भी तो किसको... हर कोई अयोग्य नज़र आता है.
बिल्कुल सही लिखा है।
अगर हम ने अपने आतीत से सबक लिया होता तो शायद यह दिन ना आता, लेकिन नही हम कभी नही सुधर सकते ....बाकी बात निशाचर जी ने कह दी है.
धन्यवाद
निशाचर जी आपसे शत प्रतिशत सहमत हूं। समर्थन के लिए सभी का धन्यवाद...
आप ने सही कहा की राजनीति गंदी होती जा रही है...आखिर ये वो दौर है जब नेता राजनीतिक लाभ और सुर्खियों में आने के लिए कुछ भी कर सकते हैं...ऐसे में अगर राबड़ी ऐसी बयानबाज़ी करती हैं तो...आश्चर्य कैसा...वरुण से लेकर चिदंबरम साहब सभी तो वोट बटोरने के लिए चुनावी लथकंड़े अपना रहे हैं...तभी तो कहा है 'राजनीति जो न कराये, सो कम है'....